असम में प्रमुख नदियों का जलस्तर घटने के साथ बुधवार को बाढ़ की स्थिति में मामूली सुधार हुआ है. 26 जिलों में प्रभावितों की संख्या घटकर 17 लाख रह गई है. हालांकि, कई जिलों में बारिश के कारण अब भी बड़ा हिस्सा जलमग्न है.
असम आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एएसडीएमए) के अनुसार मंगलवार को कछार में दो, धुबरी, धेमाजी, दक्षिण सलमारा, नागांव और सिवासागर में एक-एक व्यक्ति की मौत के साथ ही कुल सात लोगों की मौत हुई.
इस साल बाढ़, भूस्खलन और तूफान में मरने वालों की संख्या बढ़कर 92 पहुंच गई है, जिसमें से 79 लोग सिर्फ बाढ़ से मरे हैं. सोमवार को 49,014.06 हेक्टेयर की तुलना में 38,870.3 हेक्टेयर कृषि भूमि जलमग्न रही.
धुबरी जिले में 3,54045, कछार में 1,81,545, शिवसागर में 1,36547, बारपेटा में 1,16,074 और गोलाघाट जिले में 1,09,475 लोग बाढ़ से प्रभावित हैं.
507 राहत शिविरों में कुल 48,021 प्रभावितों ने शरण ली हुई है, जबकि शिविरों के बाहर रह रहे 104,665 अन्य लोगों को राहत सामग्री बांटी जा रही है.
धुबरी, कछार, कामरुप, ग्वालपाड़ा, लखीमपुर, डिब्रूगढ़, चराइदेव, दक्षिण सलमारा, नलबाड़ी, करीमगंज, धेमाजी, मोरीगांव, नगांव, शिवसागर, गोलाघाट, सोनितपुर, हेलाखंडी, बिश्वनाथ, बारपेटा, दरांग, कामरुप(एम), माजुली, जोरहाट, कोकराझार, तिनसुकिआ और चिरांग जिले सबसे अधिक प्रभावित हैं.
बाढ़ के कारण काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के 159 जंगली जानवरों की डूबने से या बचाव अभियान के दौरान मौत हो गई, जबकि 133 अन्य को बचा लिया गया.
ढांचागत नुकसान में 94 सड़कें, तीन पुल, 26 घर और छह तटबंध क्षतिग्रस्त हुए हैं. ब्रह्मपुत्र नदी निमाटीघाट, तेजपुर, गुवाहाटी और धुबरी में जबकि बूढ़ी दिहिंग, दिखौ, दिसांग, कोपिली और कुशियारा जैसी अन्य नदियां भी विभिन्न स्थानों पर अपने खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं.
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