मुंबई:
पुलिस सूत्रों के अनुसार गोवा के मजिस्ट्रेट के सामने अमेरिकी कंपनी के अधिकारियों कबूल किया है कि गोवा के मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए कांग्रेस के नेता दिगम्बर कामत ने रिश्वत ली थी।
एक परियोजना के संबंध में दी गई रिश्वत की जांच के मामले में गवाही देने आए कंपनी के अधिकारियों ने दूसरे कांग्रेस नेता के रूप में चर्चिल अलेमाओ को पहचाना है जिसे करीब एक मिलियन डॉलर रिश्वत दी गई थी। चर्चिल उस समय पीडल्ब्यूडी मंत्री थे।
एनडीटीवी को सूत्रों ने बताया है कि लुईस बर्जर ने मजिस्ट्रेट के सामने सोमवार को इन दो नेताओं का नाम बताया है। कंपनी के इन अधिकारियों को मामले की जांच कर रही गोवा क्राइम ब्रांच ने समन भेजा था।
बता दें कि कामत से इस मामले में अभी पूछताछ होनी है और अलेमाओ से पूछताछ की जा चुकी है। इस पूछताछ में अलेमाओ ने अपने ऊपर लगे सारे आरोपों को बेबुनियाद बताया है।
गौरतलब है कि कांग्रेस पार्टी 2012 में राज्य में हुए विधानसभा का चुनाव हार गई थी और फिलहाल बीजेपी का शासन है।
यह सारा विवाद तब उत्पन्न हुआ जब लुईस बर्जर कंपनी ने अमेरिकी अदालत में माना कि उसने गोवा और गुवाहाटी में परियोजनाओं को लेने के लिए भारत में अधिकारियों को रिश्वत दी थी। कंपनी पर इस काम के 17 मिलियन डॉलर जुर्माना लगाया गया है जिसे कंपनी देने को तैयार है।
वर्ष 2010 में कामत कांग्रेस सरकार की अगुवाई करने के अलावा वित्त विभाग भी संभाल रहे थे जब अमेरिकी कंपनी के अधिकारियों ने राज्य में जापान द्वारा वित्त पोषित जल संवर्धन एवं निकास परियोजना के लिए परामर्श का कार्य लेने की खातिर कथित तौर पर रिश्वत दी थी।
अब कामत एक विधायक हैं और विधानसभा सत्र चल रहा है इसलिए उन्हें राज्य विधानसभा के अध्यक्ष के माध्यम से सम्मन भेजा गया है।
जापानी इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेन्सी :जेआईसीए: के तहत कार्यान्वित की गई परियोजना के लिए निविदाएं तब जारी की गई थीं जब अलेमाओ लोक निर्माण मंत्री थे।
न्यू जर्सी स्थित लुइस बर्जर के अधिकारियों ने एक अमेरिकी अदालत में अपनी गवाही में गोवा और गुवाहाटी में लाइन बिछाने वाली परियोजना के परामर्श का कार्य हासिल करने के लिए एक भारतीय ‘मंत्री’ को रिश्वत देने की बात स्वीकार की थी।
दिगंबर कामत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के शासनकाल में 1031 करोड़ रूपये की इस परियोजना को मंजूरी दी गई थी। इसके तहत राज्य के बड़े शहरों में नालियों के लिए लाइनें बिछाई जानी थी और दक्षिण गोवा में जलापूर्ति संवर्धन की व्यवस्था की जानी थी।
इस मामले में अपराध शाखा जेआईसीए गोवा परियोजना निदेशक ए वाचसुंदर को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। उनके खिलाफ भादंवि की धारा 120 (बी) (साजिश रचने) और भ्रष्टाचार निरोधक कानून की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं।
एक परियोजना के संबंध में दी गई रिश्वत की जांच के मामले में गवाही देने आए कंपनी के अधिकारियों ने दूसरे कांग्रेस नेता के रूप में चर्चिल अलेमाओ को पहचाना है जिसे करीब एक मिलियन डॉलर रिश्वत दी गई थी। चर्चिल उस समय पीडल्ब्यूडी मंत्री थे।
एनडीटीवी को सूत्रों ने बताया है कि लुईस बर्जर ने मजिस्ट्रेट के सामने सोमवार को इन दो नेताओं का नाम बताया है। कंपनी के इन अधिकारियों को मामले की जांच कर रही गोवा क्राइम ब्रांच ने समन भेजा था।
बता दें कि कामत से इस मामले में अभी पूछताछ होनी है और अलेमाओ से पूछताछ की जा चुकी है। इस पूछताछ में अलेमाओ ने अपने ऊपर लगे सारे आरोपों को बेबुनियाद बताया है।
गौरतलब है कि कांग्रेस पार्टी 2012 में राज्य में हुए विधानसभा का चुनाव हार गई थी और फिलहाल बीजेपी का शासन है।
यह सारा विवाद तब उत्पन्न हुआ जब लुईस बर्जर कंपनी ने अमेरिकी अदालत में माना कि उसने गोवा और गुवाहाटी में परियोजनाओं को लेने के लिए भारत में अधिकारियों को रिश्वत दी थी। कंपनी पर इस काम के 17 मिलियन डॉलर जुर्माना लगाया गया है जिसे कंपनी देने को तैयार है।
वर्ष 2010 में कामत कांग्रेस सरकार की अगुवाई करने के अलावा वित्त विभाग भी संभाल रहे थे जब अमेरिकी कंपनी के अधिकारियों ने राज्य में जापान द्वारा वित्त पोषित जल संवर्धन एवं निकास परियोजना के लिए परामर्श का कार्य लेने की खातिर कथित तौर पर रिश्वत दी थी।
अब कामत एक विधायक हैं और विधानसभा सत्र चल रहा है इसलिए उन्हें राज्य विधानसभा के अध्यक्ष के माध्यम से सम्मन भेजा गया है।
जापानी इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेन्सी :जेआईसीए: के तहत कार्यान्वित की गई परियोजना के लिए निविदाएं तब जारी की गई थीं जब अलेमाओ लोक निर्माण मंत्री थे।
न्यू जर्सी स्थित लुइस बर्जर के अधिकारियों ने एक अमेरिकी अदालत में अपनी गवाही में गोवा और गुवाहाटी में लाइन बिछाने वाली परियोजना के परामर्श का कार्य हासिल करने के लिए एक भारतीय ‘मंत्री’ को रिश्वत देने की बात स्वीकार की थी।
दिगंबर कामत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के शासनकाल में 1031 करोड़ रूपये की इस परियोजना को मंजूरी दी गई थी। इसके तहत राज्य के बड़े शहरों में नालियों के लिए लाइनें बिछाई जानी थी और दक्षिण गोवा में जलापूर्ति संवर्धन की व्यवस्था की जानी थी।
इस मामले में अपराध शाखा जेआईसीए गोवा परियोजना निदेशक ए वाचसुंदर को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। उनके खिलाफ भादंवि की धारा 120 (बी) (साजिश रचने) और भ्रष्टाचार निरोधक कानून की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं।
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