नई दिल्ली:
केन्द्र सरकार ने दिल्ली के उपराज्यपाल की शक्तियों के मामले में गृह मंत्रालय की अधिसूचना पर सवाल उठाने वाले हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। मामले पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई होगी।
बुधवार को ही एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा था कि इसकी संभावना है कि मंत्रालय सुप्रीम कोर्ट में जाए। अधिकारी ने कहा था कि मंत्रालय की दलील होगी कि हाई कोर्ट ने उसका पक्ष सुने बगैर फैसला दे दिया और टिप्पणी की। मंत्रालय यह भी दलील देगा कि एसीबी के हाथों गिरफ्तार दिल्ली पुलिस के कांस्टेबल की जमानत याचिका पर तमाम सुनवाई पूरी करने के बाद हाई कोर्ट ने 20 मई को इस मामले पर अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था।
गृह मंत्रालय ने 21 मई को अपनी गजट अधिसूचना जारी की, जिसके अनुसार एसीबी पुलिस थाना केन्द्र सरकार की सेवाओं के अधिकारियों और कर्मियों के खिलाफ अपराधों का संज्ञान नहीं ले सकता। इसके अलावा, इसमें दिल्ली के उप राज्यपाल को वरिष्ठ अधिकारियों की नियुक्तियों और तबादलों की पूर्ण शक्ति दी गई है।
अधिकारी ने कहा, ‘हम सुप्रीम कोर्ट से कहेंगे कि कैसे हाई कोर्ट एक दिन पहले फैसला सुरक्षित रखने के बाद 21 मई को जारी किसी अधिसूचना पर टिप्पणियां कर सकता है।’ उसने कहा कि चूंकि अदालत ने पहले ही फैसला सुरक्षित कर लिया था तो आदेश में अधिसूचना का जिक्र कहां से आया।
दिल्ली हाई कोर्ट ने 25 मई को केन्द्र सरकार की सेवाओं के अधिकारियों और कर्मियों के खिलाफ अपराधों पर कार्रवाई करने से दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधी शाखा (एसीबी) को रोकने वाली केन्द्र सरकार की अधिसूचना को ‘संदिग्ध’ करार दिया था और कहा था कि उप राज्यपाल स्वविवेक से कार्रवाई नहीं कर सकते।
हाई कोर्ट ने कहा था कि अगर कोई अन्य ‘संवैधानिक या कानूनी बाधा’ नहीं आती तो उप राज्यपाल को जनादेश का ‘अवश्य’ ही सम्मान करना चाहिए। किसी निर्वाचित सरकार के रूबरू उप राज्यपाल के अधिकारों पर दिल्ली की आप सरकार और उप राज्यपाल के बीच सार्वजनिक टकराव चल रहा था। इसी बीच, केन्द्र ने 21 मई को उप राज्यपाल का पक्ष लेते हुए एक अधिसूचना जारी की।
बुधवार को ही एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा था कि इसकी संभावना है कि मंत्रालय सुप्रीम कोर्ट में जाए। अधिकारी ने कहा था कि मंत्रालय की दलील होगी कि हाई कोर्ट ने उसका पक्ष सुने बगैर फैसला दे दिया और टिप्पणी की। मंत्रालय यह भी दलील देगा कि एसीबी के हाथों गिरफ्तार दिल्ली पुलिस के कांस्टेबल की जमानत याचिका पर तमाम सुनवाई पूरी करने के बाद हाई कोर्ट ने 20 मई को इस मामले पर अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था।
गृह मंत्रालय ने 21 मई को अपनी गजट अधिसूचना जारी की, जिसके अनुसार एसीबी पुलिस थाना केन्द्र सरकार की सेवाओं के अधिकारियों और कर्मियों के खिलाफ अपराधों का संज्ञान नहीं ले सकता। इसके अलावा, इसमें दिल्ली के उप राज्यपाल को वरिष्ठ अधिकारियों की नियुक्तियों और तबादलों की पूर्ण शक्ति दी गई है।
अधिकारी ने कहा, ‘हम सुप्रीम कोर्ट से कहेंगे कि कैसे हाई कोर्ट एक दिन पहले फैसला सुरक्षित रखने के बाद 21 मई को जारी किसी अधिसूचना पर टिप्पणियां कर सकता है।’ उसने कहा कि चूंकि अदालत ने पहले ही फैसला सुरक्षित कर लिया था तो आदेश में अधिसूचना का जिक्र कहां से आया।
दिल्ली हाई कोर्ट ने 25 मई को केन्द्र सरकार की सेवाओं के अधिकारियों और कर्मियों के खिलाफ अपराधों पर कार्रवाई करने से दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधी शाखा (एसीबी) को रोकने वाली केन्द्र सरकार की अधिसूचना को ‘संदिग्ध’ करार दिया था और कहा था कि उप राज्यपाल स्वविवेक से कार्रवाई नहीं कर सकते।
हाई कोर्ट ने कहा था कि अगर कोई अन्य ‘संवैधानिक या कानूनी बाधा’ नहीं आती तो उप राज्यपाल को जनादेश का ‘अवश्य’ ही सम्मान करना चाहिए। किसी निर्वाचित सरकार के रूबरू उप राज्यपाल के अधिकारों पर दिल्ली की आप सरकार और उप राज्यपाल के बीच सार्वजनिक टकराव चल रहा था। इसी बीच, केन्द्र ने 21 मई को उप राज्यपाल का पक्ष लेते हुए एक अधिसूचना जारी की।
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