विज्ञापन
This Article is From Jul 31, 2019

...क्या राज्यसभा से गैरहाज़िर रहकर विपक्षी सांसदों ने तीन तलाक बिल पास कराने में की सरकार की मदद...?

बिल पास होने के बाद अब विपक्षी दल अपने ऐसे सांसदों से कारण बताने को कह रहे हैं. कांग्रेस ने अपने राज्यसभा सदस्यों से पूछा है कि आखिर पार्टी द्वारा व्हिप जारी करने के बाद भी सदस्य सदन में उपस्थित क्यों नहीं रहे.

...क्या राज्यसभा से गैरहाज़िर रहकर विपक्षी सांसदों ने तीन तलाक बिल पास कराने में की सरकार की मदद...?
राज्यसभा में तीन तलाक बिल पास
नई दिल्ली:

तीन तलाक बिल (Triple Talaq Bill) को राज्यसभा में पास कराने में विपक्ष की भी बड़ी भूमिका रही, अगर ऐसा कहा जाए तो इसमें कुछ भी गलत नहीं होगा. सूत्रों के अनुसार, विपक्ष के 20 सांसद वोटिंग के दौरान राज्यसभा से अनुपस्थित रहे. इस वजह से बहुमत का आंकड़ा 121 से कम हो गया. और यह बिल पास हो गया. बिल पास होने के बाद अब विपक्षी दल अपने ऐसे सांसदों से कारण बताने को कह रहे हैं. कांग्रेस ने अपने राज्यसभा सदस्यों से पूछा है कि आखिर पार्टी द्वारा व्हिप जारी करने के बाद भी सदस्य सदन में उपस्थित क्यों नहीं रहे. बता दें कि मोदी सरकार ‘मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2019' को राज्यसभा में 84 के मुकाबले 99 मतों से पारित करा लिया.

तीन तलाक बिल पास होने के बाद AIMIM प्रमुख ओवैसी का मोदी सरकार पर हमला, किया यह Tweet

सूत्रों ने बताया कि विपक्ष के सदस्य अगर सदन में मौजूद होते तो वह विधेयक को प्रवर समिति के पास भिजवा सकता था. कांग्रेस के जो पांच सदस्य गैर हाजिर रहे उनमें विवेक तनखा, प्रताप सिंह बाजवा, मुकुट मिथी और रंजीब बिस्वाल के अलावा संजय सिंह भी हैं. संजय सिंह ने इससे पहले आज ही कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया. कांग्रेस और सपा सदस्यों के अलावा राकांपा के वरिष्ठ नेता शरद पवार और प्रफुल्ल पटेल भी सदन में अनुपस्थित रहे. इसके अलावा तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक, आईयूएमएल और केरल कांग्रेस के एक- एक सदस्य भी वोटिंग के दौरान गैर हाजिर रहे.

तीन तलाक बिल को लेकर Twitter पर भिड़े महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला, जानें पूरा मामला

वोटिंग के दौरान के टी एस तुलसी भी अनुपस्थित थे जो नामित सदस्य हैं लेकिन वह विधेयक का विरोध करते रहे थे. विपक्षी दल के सदस्यों की गैर हाजिरी के अलावा अन्नाद्रमुक, बसपा और टीआरएस के सदस्य भी सदन में नहीं थे जिससे सरकार ने ऊपरी सदन में इस विधेयक को पारित करा लिया. गौरतलब है कि सत्तारूढ़ दल के पास ऊपरी सदन में बहुमत नहीं है. तीन तलाक बिल पर पीडीपी सांसदों ने भी वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया. 

रविशंकर प्रसाद ने क्यों कहा- मैं मोदी सरकार का कानून मंत्री हूं, राजीव गांधी सरकार का नहीं

दरअसल, पीडीपी के दो सांसदों ने ऊपरी सदन में बिल पेश होने के बाद वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया. इस वजह से बहुमत का आंकड़ा और कम हो गया. और मोदी सरकार इस बिल को पास कराने में सफल रही. बता दें कि पीडीपी पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने सदन में बिल पेश होने से पहले कहा था कि वह इस बिल को लेकर किसी भी तरह से सरकार का साथ नहीं देंगी. लेकिन उनकी पार्टी के दो सांसदों द्वारा वोटिंग में हिस्सा न लेने से अप्रत्यक्ष तौर पर फायदा मोदी सरकार को ही हुआ. 

राज्यसभा में तीन तलाक बिल पर नीतीश कुमार ने इस तरह की मोदी सरकार की मदद

बता दें कि तीन तलाक बिल को लेकर कुछ दिन पहले ही महबूबा मुफ्ती ने कहा था कि मोदी सरकार इस बिल के सहारे हमारे (मुस्लिम) के घरों में घुसने की कोशिश कर रही है. उन्होंने तीन तलाक बिल को लेकर एक ट्वीट भी किया. उन्होंने लिखा कि मैं यह नहीं समझ पा रही हूं कि आखिर मोदी सरकार इस बिल को पास ही क्यों करवाने पर अड़ी है, खास कर तब जब सुप्रीम कोर्ट ने इसे गैर-कानूनी बताया है. ऐसा करना सिर्फ मुसलमानों को दंड देने के लिए किया जा रहा है. ऐसी स्थिति में जब देशकी अर्थव्यवस्था की हालत इनती खराब चल रही हो तो क्या सरकार के लिए यह इतना अहम मुद्दा होना चाहिए?

Triple Talaq Bill पास होने के बाद पीएम मोदी ने किया Tweet, लिखी यह बात...

गौरतलब है कि विपक्ष के कड़े ऐतराज और बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने की मांग के बीच तीन तलाक बिल (Triple Talaq Bill) राज्यसभा से पास हो गया. इससे पहले विपक्ष की बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने की मांग भी सदन में गिर गई. वोटिंग के दौरान बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने के पक्ष में 84, जबकि विरोध में 100 वोट पड़े. अब इस बिल को स्वीकृति के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा. राज्यसभा से तीन तलाक बिल पास होना मोदी सरकार की बड़ी जीत मानी जा रही है. बिल पास होने के बाद कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि आज एक ऐतिहासिक दिन है. दोनों सदनों ने मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिया है. यह एक उन्नतिशील भारत की शुरुआत थी.

Triple Talaq Bill 2019: पढ़िए, तीन तलाक बिल में क्या हैं प्रावधान

बिल के पक्ष में सरकार की दलील
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बिल पर चर्चा के दौरान कहा था कि तीन तलाक संबंधी विधेयक मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने के मकसद से लाया गया है और उसे किसी राजनीतिक चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिये. कानून मंत्री ने राज्यसभा में मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2019 को चर्चा एवं पारित करने के लिए पेश करते हुए यह बात कही. उन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक फैसले में इस प्रथा पर रोक लगाने के बावजूद तीन तलाक की प्रथा जारी है. इस विधेयक को लोकसभा से पिछले सप्ताह पारित किया जा चुका है. रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि इस मुद्दे को राजनीतिक चश्मे या वोट बैंक की राजनीति के नजरिये से नहीं देखा जाना चाहिये. यह मानवता का सवाल है. यह महिलाओं को न्याय दिलाने के मकसद से एवं उनकी गरिमा तथा अधिकारिता सुनिश्चित करने के लिए पेश किया गया है. इससे लैंगिक गरिमा एवं समानता भी सुनिश्चित होगी.

राज्यसभा में तीन तलाक बिल पर नीतीश कुमार ने इस तरह की मोदी सरकार की मदद

विपक्षी पार्टियों ने जताया कड़ा ऐतराज
राज्यसभा में कांग्रेस सहित अधिकतर विपक्षी दलों के साथ साथ अन्नाद्रमुक, वाईएसआर कांग्रेस ने भी तीन तलाक संबंधी विधेयक का कड़ा विरोध करते हुए इसे सेलेक्ट कमेटी में भेजे जाने की मांग की. विपक्षी दलों के सदस्यों ने इसका मकसद 'मुस्लिम परिवारों को तोड़ना' बताया. उच्च सदन में मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2019 पर चर्चा में भाग लेते हुए नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने सवाल उठाया कि जब तलाक देने वाले पति को तीन साल के लिए जेल भेज दिया जाएगा तो वह पत्नी एवं बच्चे का गुजारा भत्ता कैसे देगा? उन्होंने कहा था कि यह घर के चिराग से घर को जलाने की कोशिश' की तरह है. उन्होंने कहा था कि इस विधेयक का मकसद 'मुस्लिम परिवारों को तोड़ना' है. उन्होंने कहा था कि इस्लाम में शादी एक दिवानी समझौता है.

NDA में सहयोगी पार्टी जदयू ने बताया वह क्यों कर रही है तीन तलाक बिल का विरोध

जेडीयू का विरोध
चर्चा में भाग लेते हुए जेडीयू के वशिष्ठ नारायण सिंह ने विधेयक का विरोध किया. उन्होंने कहा था कि वह न तो विधेयक के समर्थन में बोलेंगे और न ही इसमें साथ देंगे. उन्होंने कहा था कि हर पार्टी की अपनी विचारधारा होती है और उसे पूरी आजादी है कि वह उस पर आगे बढ़े. इसके बाद जेडीयू सदस्यों ने विधेयक का विरोध करते हुए सदन से बहिर्गमन कर लिया.

टीएमसी की सरकार को सलाह
उधर, तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन ने तीन तलाक संबंधित विधेयक के प्रावधानों की चर्चा करते हुए कहा था कि यदि तलाक देने वाले पति को जेल में डाल दिया गया तो वह जेल में रहने के दौरान अपनी पत्नी एवं बच्चों को गुजारा भत्ता कैसे दे पाएगा? सेन ने सरकार को सलाह दी कि इस विधेयक को सेलेक्ट कमेटी में भेजा जाना चाहिए. उन्होंने इस विधेयक से तीन तलाक को अपराध बनाने का प्रावधान हटाने की मांग भी की.

Triple Talaq : महिला का आरोप- ससुराल से नहीं मिले 40 हजार रुपये तो पति ने दे दिया 'ट्रिपल तलाक'

समाजवादी पार्टी को भी ऐतराज
समाजवादी पार्टी के जावेद अली खान ने इस विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि कहा कि कई पत्नियों को उनके पति छोड़ देते हैं. उन्होंने सरकार से जानना चाहा कि क्या वह ऐसे पतियों को दंड देने और ऐसी परित्यक्त महिलाओं को गुजारा भत्ता देने के लिए कोई कानून लाएगी? उन्होंने कहा कि मुस्लिम विवाह एक दिवानी करार है. उन्होंने कहा कि तलाक का मतलब इस करार को समाप्त करना है. उन्होंने कहा कि इस कानून के तहत तलाक का अपराधीकरण किया जा रहा है, जो उचित नहीं है. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार राजनीतिक कारणों से यह विधेयक लाई है और ऐसा करना उचित नहीं है.

VIDEO: राज्यसभा में पास हुआ तीन तलाक बिल.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com