
बंबई उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया है कि अपने यकृत (लीवर) के एक हिस्से को अपने अस्वस्थ पिता के लिए देने की मंजूरी मांग रही 16 साल की लड़की की याचिका पर जल्द फैसला लिया जाए. न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति माधव जामदार की खंडपीठ सोमवार को लड़की द्वारा उसकी मां के माध्यम से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी. नाबालिग लड़की ने राज्य सरकार को यह निर्देश देने का अनुरोध किया है कि उसे अपने अस्वस्थ पिता के लिए यकृत दान करने की अनुमति दी जाए.
याचिका के अनुसार लड़की के पिता को यकृत प्रतिरोपण की जरूरत है. उन्हें ‘लिवर सिरोसिस डिकंपनसेटिड' बीमारी होने का पता चला है. याचिका में कहा गया कि सभी करीबी रिश्तेदार अंगदान कर सकते थे लेकिन लड़की के अलावा बाकी सभी चिकित्सकीय लिहाज से अंगदान के पात्र नहीं हैं.
याचिकाकर्ता के वकील तपन थात्ते ने अदालत से कहा कि याची नाबालिग है, इसलिए वह अंग प्रतिरोपण अधिनियम के तहत स्थापित राज्य सरकार के उचित प्राधिकार की मंजूरी के बिना अपने यकृत का हिस्सा दान नहीं कर सकती.
उन्होंने कहा कि 25 अप्रैल को इस संबंध में आवेदन किया गया था लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है. सरकारी वकील पी पी काकाडे ने अदालत से कहा कि राज्य सरकार का संबंधित प्राधिकार आवेदन पर विचार करेगा.
पीठ ने सरकार को निर्देश दिया कि सुनवाई की अगली तारीख, 4 मई तक आवेदन पर फैसला किया जाए क्योंकि याचिकाकर्ता लड़की के पिता की हालत गंभीर है.
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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं