बेंगलुरू:
कर्नाटक कैबिनेट ने जिलाधिकारियों और मौसम विभाग से प्राप्त आंकड़ों को ध्यान में रखते हुए राज्य के 25 जिलों के 98 ताल्लुकों को सूखा प्रभावित घोषित कर दिया है। राहत के लिए सरकार ने फिलहाल 200 करोड़ रुपये जारी किए हैं।
राज्य के कानून मंत्री टी बी जयचंद्र ने जानकारी दी कि राज्य सरकार केंद्र से मदद की गुहार लगाएगी। सन 2004 में जारी दिशा निर्देश के मुताबिक मानसून के दौरान अगर लगातार 4 हफ्तों तक किसी खास स्थान पर बारिश नहीं होती है तो उसे सूखा प्रभावित घोषित कर दिया जाता है। उत्तर कर्नाटक के जिन 98 ताल्लुकों को सरकार ने सूखा प्रभावित घोषित किया है वहां पिछले 40 हफ्तों से बारिश नहीं हुई है। तकरीबन 70 किसान इस साल खुदकुशी कर चुके हैं। ऐसे में राज्य सरकार ने फजीहत से बचने के लिए फौरन प्रभावित इलाकों को सूखाग्रस्त घोषित कर दिया है।
सरकार ने कैबिनेट में यह भी फैसला लिया कि सूखे और किसानो की मौतों की वजह से इस बार मैसूर दशहरा की चमक पिछले सालों की तुलना में थोड़ी फीकी होगी। हालांकि मान्यताओं से जुड़े सांस्कृतिक कार्यक्रमो में कोई कमी नहीं की जाएगी। मैसूर में दशहरा पर दो आयोजन होते हैं। एक वह जो सरकार प्रायोजित करती है यानी दोपहर के वक्त होने वाला कार्यक्रम और दूसरा मैसूर के वोडेयार राजवंश की तरफ से आयोजित किया जाने वाला कार्यक्रम। राज्य सरकार हर साल इसके लिए बजट में अलग से प्रावधान रखती है जो कि सौ से से डेढ़ सौ करोड़ रुपये का होता है।
राज्य के कानून मंत्री टी बी जयचंद्र ने जानकारी दी कि राज्य सरकार केंद्र से मदद की गुहार लगाएगी। सन 2004 में जारी दिशा निर्देश के मुताबिक मानसून के दौरान अगर लगातार 4 हफ्तों तक किसी खास स्थान पर बारिश नहीं होती है तो उसे सूखा प्रभावित घोषित कर दिया जाता है। उत्तर कर्नाटक के जिन 98 ताल्लुकों को सरकार ने सूखा प्रभावित घोषित किया है वहां पिछले 40 हफ्तों से बारिश नहीं हुई है। तकरीबन 70 किसान इस साल खुदकुशी कर चुके हैं। ऐसे में राज्य सरकार ने फजीहत से बचने के लिए फौरन प्रभावित इलाकों को सूखाग्रस्त घोषित कर दिया है।
सरकार ने कैबिनेट में यह भी फैसला लिया कि सूखे और किसानो की मौतों की वजह से इस बार मैसूर दशहरा की चमक पिछले सालों की तुलना में थोड़ी फीकी होगी। हालांकि मान्यताओं से जुड़े सांस्कृतिक कार्यक्रमो में कोई कमी नहीं की जाएगी। मैसूर में दशहरा पर दो आयोजन होते हैं। एक वह जो सरकार प्रायोजित करती है यानी दोपहर के वक्त होने वाला कार्यक्रम और दूसरा मैसूर के वोडेयार राजवंश की तरफ से आयोजित किया जाने वाला कार्यक्रम। राज्य सरकार हर साल इसके लिए बजट में अलग से प्रावधान रखती है जो कि सौ से से डेढ़ सौ करोड़ रुपये का होता है।