भारतीय नौसेना (Indian Navy) ने समुद्री लुटेरों के खिलाफ विभिन्न अभियानों (Anti-Piracy Operations) में 100 से अधिक लोगों को बचाया है. इनमें से 27 पाकिस्तानी और 30 ईरानी भी शामिल हैं. नौसेना ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह जानकारी दी है. साथ ही भारतीय नौसेना ने कहा कि इसके अलावा अरब सागर में समुद्री डकैती रोधी अभियान भी चलाया जा रहा है. 'ऑपरेशन संकल्प' और अन्य मिशनों के साथ ही हमले की 13 घटनाओं का जवाब देकर 110 लोगों की जान बचाई गई, जिनमें 45 भारतीय और 65 अंतरराष्ट्रीय नागरिक शामिल थे.
अरब सागर में अपनी क्षमताओं को बढ़ाते हुए भारतीय नौसेना ने समुद्री डकैती या ड्रोन हमलों को विफल करने के लिए इस क्षेत्र में निगरानी विमानों के साथ 10 युद्धपोतों की भी तैनाती की है. उन्होंने कहा, "भारतीय नौसेना नेभारतीय और अंतरराष्ट्रीय कार्गो ट्रैफिक को सुरक्षा प्रदान करने के लिए अरब सागर और आसपास के क्षेत्रों में समुद्री लुटेरा और ड्रोन रोधी अभियान चलाने के लिए पी-8आई निगरानी विमान, सी गार्डियन ड्रोन और बड़ी संख्या में कर्मियों के साथ 10 युद्धपोतों को तैनात किया है. "
इसके साथ ही समुद्री डाकुओं के खिलाफ विशेष अभियान में अरब सागर में समुद्री कमांडो और उनके उपकरणों को उतारने वाले भारतीय वायु सेना के सी-17 परिवहन विमान का चालक दल भी नौसेना प्रमुख की प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद थे. भारतीय नौसेना ने शनिवार को अरब सागर में बेहद जोखिम वाले समुद्री लुटेरों के खिलाफ अभियान के समापन के बाद यह प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई.
35 सोमाली लुटेरों को मुंबई पुलिस को सौंपा
इससे पहले भारतीय नौसेना द्वारा पकड़े गए 35 सोमाली समुद्री लुटेरों को कस्टम और इमिग्रेशन की औपचारिकताओं के बाद मुंबई पुलिस को सौंप दिया गया.
मुंबई के नौसेना डॉकयार्ड से सामने आए दृश्यों में समुद्री लुटेरे एक कतार में खड़े नजर आ रहे हैं और मुंबई पुलिस ने उन्हें चेस्ट नंबर दिए हैं.
वहीं भारतीय नौसेना की एक विज्ञप्ति में कहा गया कि इस ऑपरेशन में एक नौसेना डेस्ट्रॉयर, एक गश्ती जहाज, इंडियन एयर फोर्स सी-17 ट्रांसपोर्टर जिसने मरीन कमांडोज को 1,500 मील से अधिक दूरी तक उड़ान भरकर एयर ड्रॉप किया, नौसेना का एक टोही ड्रोन और एक पी-8 निगरानी जेट शामिल था.
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