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नई दिल्ली:
हर साल दहेज उत्पीड़न के औसतन 10,000 झूठे मामले दर्ज होते हैं। यही वजह है कि सरकार ने आपराधिक कानून में संशोधन की योजना बनाई है, ताकि इसके कानूनी प्रावधानों के लगातार हो रहे दुरुपयोग को रोका जा सके।
प्रस्ताव के तहत, विधि आयोग और न्यामूर्ति मलिमथ समिति की सिफारिशों के तहत अदालतों की अनुमति से भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए को ऐसे अपराध की श्रेणी में रख दिया जाएगा, जिसमें सुलह-समाधान की गुंजाइश हो।
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि दहेज उत्पीड़न मामले में सुनवाई की शुरुआत में पति और पत्नी के बीच समझौता और निपटान का प्रावधान रखा जाएगा। वर्तमान में इस धारा के तहत ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है और यह अपराध गैर जमानती है, जो अभियुक्त की तुरंत गिरफ्तारी का आदेश देता है।
विरोधी पक्षों के बीच बातचीत के जरिए समाधान की कोशिश लगभग असंभव है। पति और उसके परिवार के सदस्य तब तक दोषी मान लिए जाते हैं जब कि अदालत में वे अपने को निर्दोष साबित नहीं कर देते। इस अपराध के लिए तीन साल तक की जेल की सजा दी जाती है।
ऐसे आरोप लगते आए हैं कि जब भी कुछ वैवाहिक समस्याएं उत्पन्न होती है तो पति और ससुराल वालों पर अक्सर दहेत उत्पीड़न के झूठे आरोप लगा दिए जाते हैं।
प्रस्ताव के तहत, विधि आयोग और न्यामूर्ति मलिमथ समिति की सिफारिशों के तहत अदालतों की अनुमति से भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए को ऐसे अपराध की श्रेणी में रख दिया जाएगा, जिसमें सुलह-समाधान की गुंजाइश हो।
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि दहेज उत्पीड़न मामले में सुनवाई की शुरुआत में पति और पत्नी के बीच समझौता और निपटान का प्रावधान रखा जाएगा। वर्तमान में इस धारा के तहत ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है और यह अपराध गैर जमानती है, जो अभियुक्त की तुरंत गिरफ्तारी का आदेश देता है।
विरोधी पक्षों के बीच बातचीत के जरिए समाधान की कोशिश लगभग असंभव है। पति और उसके परिवार के सदस्य तब तक दोषी मान लिए जाते हैं जब कि अदालत में वे अपने को निर्दोष साबित नहीं कर देते। इस अपराध के लिए तीन साल तक की जेल की सजा दी जाती है।
ऐसे आरोप लगते आए हैं कि जब भी कुछ वैवाहिक समस्याएं उत्पन्न होती है तो पति और ससुराल वालों पर अक्सर दहेत उत्पीड़न के झूठे आरोप लगा दिए जाते हैं।
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