आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में पुस्तक महोत्सव के उद्घाटन के मौके पर डिप्टी सीएम पवन कल्याण ने किताबों को लेकर अपने लगाव (Pawan Kalyan Book Love) पर खुलकर बात की. उन्होंने कहा कि वह किसी को करोड़ों रुपए देने में संकोच नहीं करेंगे लेकिन बात अगर एक किताब की आएगी तो इसे देने के बारे में वह एक बार जरूर सोचेंगे. उनके लिए किताब देने का मतलब संपत्ति देने जैसा है. उन्होंने कहा कि ये बता पाना बहुत मुश्किल है कि अगर कर्ण को कवच कुंडल देने पड़ें तो उनको कितना कष्ट होगा. वैसे ही अगर उनको अपनी किताब किसी को देनी पड़े तो वह बहुत परेशान हो जाएंगे.
किताबों से पवन कल्याण का लगाव
पवन कल्याण ने बताया कि वह 12वीं की पढ़ाई नहीं कर सके. जो शिक्षा वह चाहते हैं वह किताबों में नहीं बल्कि क्लासरूम में है.इसीलिए उन्होंने खुद को रोक लिया. उन्होंने कहा कि रवींद्रनाथ टैगोर भी स्कूल नहीं गए थे . उन्होंने घर पर ही पढ़ाई की थी. वह भी टैगोर से प्रेरित थे और उनकी ही तरह तरह पेड़-पौधों के जरिए ज्ञान लेते रहे.
पवन कल्याण को ये किताबें पढ़ना पसंद
किताबों से पवन कल्याण का लगाव किसी से छिपा नहीं है. कुछ समय पहले जब विकास के मुद्दे पर चर्चा के लिए वह दिल्ली आए थे तब भी खाली समय में वह कनॉट प्लेस और खान मार्केट घूमने चले जाते थे. इस दौरान उन्होंने दोनों ही जगहों पर किताबें खरीदीं.पवन कल्याण को तेलुगु साहित्य से लेकर अंतरराष्ट्रीय पौराणिक कथाओं तक, सभी किताबों को पढ़ना पसंद है.
विजयवाड़ा में पुस्तक मेले का आयोजन
एक बार फिर से उन्होंने किताबों को लेकर अपने प्रेम को जाहिर किया है. दरअसल इंदिरा गांधी नगर स्टेडियम में 35वां पुस्तक मेले का आयोजन किया जा रहा है. डिप्टी सीएम पवन कल्याण इसी के उद्घाटन के लिए पहुंचे थे. यहां उन्होंने एक बार फिर से अपने किताब प्रेम को जाहिर किया.
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