
पोर्ट ब्लेयर की एक अदालत ने अंडमान निकोबार द्वीपसमूह के पूर्व मुख्य सचिव जितेंद्र नारायण और अन्य लोगों के खिलाफ 21 वर्षीय महिला द्वारा दर्ज कराये गये सामूहिक दुष्कर्म के मामले में नारायण को 25 नवंबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया. नारायण न्यायिक हिरासत में थे और पुलिस उनकी हिरासत चाहती थी. विशेष जांच दल (एसआईटी) उनसे दो अन्य आरोपियों- निलंबित श्रम आयुक्त ऋषीश्वर लाल ऋषि और कारोबारी संदीप सिंह उर्फ रिंकू के साथ संयुक्त रूप से पूछताछ करना चाहता है.
सरकारी अभियोजक सुमित करमाकर, पीड़िता के वकील प्रतीक चंद्र दास और ऋषि के वकील राकेश पाल गोविंद की दलीलों पर सुनवाई के बाद मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अयान मजूमदार ने नारायण और सिंह को 25 नवंबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया. चेन्नई से सोमवार को यहां पहुंचते ही गिरफ्तार किये गये ऋषि को 22 नवंबर को पुलिस हिरासत में भेजा गया था.
भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) की अधिकारी मोनिका भारद्वाज की अध्यक्षता वाली एसआईटी तीनों आरोपियों को संयुक्त पूछताछ के लिए पुलिस लाइन ले गयी. पीड़ित महिला को सरकारी नौकरी दिलाने का वादा करके मुख्य सचिव के घर बुलाने और वहां नारायण समेत शीर्ष अधिकारियों द्वारा उससे दुष्कर्म के आरोपों की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया था. आरोप हैं कि 14 अप्रैल से एक मई के बीच महिला से बलात्कार किया गया.
इस मामले में फरार सिंह को 13 नवंबर को हरियाणा से गिरफ्तार किया गया था. मामले में प्राथमिकी एक अक्टूबर को दर्ज की गयी थी जब नारायण दिल्ली वित्त निगम के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक के रूप में पदस्थ थे. सरकार ने उन्हें 17 अक्टूबर को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था.
महिला ने शिकायत में दावा किया था कि उसके पिता और सौतेली मां उसकी वित्तीय जरूरतों का ध्यान नहीं रख सके, इसलिए उसे नौकरी की जरूरत थी और कुछ लोगों ने उसे श्रम आयुक्त से मिलवाया क्योंकि वह तत्कालीन मुख्य सचिव के करीबी थे.
महिला ने यह भी दावा किया कि मुख्य सचिव ने द्वीपसमूह के प्रशासन में अनेक विभागों में ‘7800 उम्मीदवारों' की नियुक्ति केवल सिफारिश के आधार पर और बिना किसी औपचारिक साक्षात्कार के की थी.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं