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This Article is From Jul 05, 2015

रेलवे की ग्रुप डी की परीक्षा में रहे थे नाकाम, अब आईएएस की परीक्षा में दिखाया जलवा

रेलवे की ग्रुप डी की परीक्षा में रहे थे नाकाम, अब आईएएस की परीक्षा में दिखाया जलवा
अपने दोस्त आदित्य कुमार के साथ सफेद शर्ट में सावन कुमार
नई दिल्ली: चाणक्य ने लिखा है कि शिक्षा आपकी बेहतरीन दोस्त है और शिक्षा ही जवानी, सुंदरता और पैसे को हरा सकती है। बहुत पहले पढ़ा चाणक्य का यह कोड अचानक ही आईएएस परीक्षा में टॉप करने वाली इरा सिंघल के घर में याद आ गई। महज 4 फुट 5 इंच की इरा ने अपने फौलादी इरादे और शिक्षा से उन लोगों की मानसिकता को हरा दिया है, जो महिलाओं और खासतौर पर विकलांगता को कमजोरी का प्रतीक मानती हैं। हमारा समाज शिक्षा से ही बदल सकता है। पढ़ाई ही वह कुंजी है, जिससे समाजिक बदलाव के बंद और अंधेरे कमरे खोले जा सकते हैं।

अरस्तू ने कहा था कि शिक्षा की जड़े बहुत कड़वी लगती हैं, लेकिन उसका फल बहुत मीठा होता है। आईएएस परीक्षा में कामयाब कुछ ऐसे लोगों से भी मैं मिला जो पढ़ाई में बहुत सामान्य हैं, लेकिन मेहनत और सही दिशा ने उन्हें कामयाब बना दिया। दो दोस्तों की एक ऐसी ही कहानी है जो दूर-दराज के गांव और शहरों के छात्रों में प्रेरणा भरने का काम करेगी। इनका नाम सावन कुमार और आदित्य कुमार है। दोनों दिल्ली के एक ही कमरें में रहते थे। एक ही विषय मैथिली साहित्य से तैयारी कर रहे थे। पढ़ाई में दोनों औसत दर्जे के थे। कमोबेश एक जैसे ही पारिवारिक बैकग्राउंड से भी हैं। सावन कुमार के पिता जहां कंडक्टर रह चुके हैं, वहीं आदित्य कुमार के पिता किसान हैं। लेकिन पहले बात सावन कुमार की।

खगड़िया जिले में हाई स्कूल में 65 फीसदी और इंटरमीडिएट में पचास फीसदी नंबर से पास हुए सावन कुमार ने दिल्ली आकर पढ़ाई में मेहनत की। ध्येय आईएएस इंस्टीट्यूट के विनय सिंह से मार्गदर्शन हासिल किया और अपने दोस्त आदित्य कुमार से हौसला लेकर आईएएस परीक्षा में 285 रैंक हासिल किया।

सावन कुमार बताते हैं कि 2010 से पहले उन्होंने रेलवे के ग्रुप डी की परीक्षा भी दी, लेकिन उसे पास नहीं कर पाए। तभी आदित्य कुमार ने दिल्ली चलने को कहा। साल 2011 में जब प्रारंभिक परीक्षा नहीं पास कर पाया तो फिर रेलवे की परीक्षा देने की सोची, लेकिन मेरे दोस्त ने हौसला बढ़ाया और आज मैं कामयाब हो गया।

वहीं बिहार में मधेपुरा के आदित्य कुमार कहते हैं कि हमारी शैक्षिक पृष्ठिभूमि औसत रही है। वह बताते हैं कि इसी के चलते हमारे जैसे छात्रों को संयम और पेशेवर तरीके से पढ़ाई करना बहुत जरूरी है। आदित्य कुमार आईएएस की परीक्षा में दो बार अंग्रेजी के विषय में फेल हो चुके थे, लेकिन उसके बावजूद हिम्मत नहीं हारे। छोटे शहर और गांव के छात्रों की यही कठोर मानसिकता और संघर्ष उनके हौसले के परचम को हमेशा इसी तरह लहराती रहेंगी।

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