अमेठी में राहुल गांधी (फाइल फोटो)
अमेठी:
देश की राजनीति में रस्साकशी का विषय बनी अमेठी में राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट को बेची गई जमीन को बुधवार को एक स्थानीय अदालत ने ट्रस्ट से वापस लेकर उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक एवं अवस्थापना विकास निगम (यूपीएसआईडीसी) को सौंपने का आदेश दिया।
गौरीगंज की सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट वंदिता श्रीवास्तव की अदालत ने यह फैसला सुनाया।
इस मामले में सम्बन्धित किसानों का पक्ष रख रहे वकील उमाशंकर पाण्डेय ने बताया कि मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने गत 23 अगस्त को जिस जमीन को हड़पे जाने का मामला उठाया था वह दरअसल वर्ष 1983 में कौहार गांव की वह 65 एकड़ जमीन है जो किसानों से लेकर सम्राट बाईसिकिल कम्पनी को कारखाना लगाने के लिए दी गई थी।
उन्होंने बताया कि कम्पनी ने तीन-चार साल तक तो कारखाना लगाने का स्वांग रचा लेकिन बाद में सब्सिडी लेकर कम्पनी ही बंद हो गई। कम्पनी ने कारखाना लगाने के लिए विभिन्न वित्तीय संस्थाओं से जो कर्ज लिया था उसकी वापसी के लिए 90 साल के लिए पट्टे पर ली गई उस जमीन की नीलामी कर दी।
पाण्डेय ने बताया कि इसके लिए कम्पनी ने फर्जी खतौनी बनवाकर खुद को जमीन का मालिक बताते हुए कहा था कि इस जमीन की नीलामी से जो रकम मिले उसका कर्ज अदायगी के तौर पर समायोजन कर लिया जाए।
पाण्डेय ने बताया कि राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट ने उस नीलामी में वह जमीन खरीद ली थी। उसके बाद ट्रस्ट ने इस साल 27 फरवरी को जब अपने ‘आक्शन चेंज’ को गौरीगंज में दर्ज कराया तो किसानों को सचाई का पता लगा। किसानों को लगा कि उस जमीन पर तो उद्योग ही लगना चाहिए। उसे चैरिटेबल ट्रस्ट को क्यों सौंपा गया।
अधिवक्ता ने बताया कि इस पर यूपीएसआईडीसी ने आपत्ति की। इस पर किसानों की तरफ से उन्होंने पैरवी की जिसमें निगम से कहा गया कि सम्राट बाईसिकिल कम्पनी ने फर्जी खतौनी बनवाकर उसकी जमीन को अपने नाम दिखा लिया और उसकी नीलामी भी कर दी, तब उसने कुछ क्यों नहीं किया।
पाण्डेय ने बताया कि यूपीएसआईडीसी के क्षेत्रीय प्रबन्धक ने अमेठी के जिलाधिकारी को गत 2 जून को एक पत्र लिखा जिसमें कहा गया था कि सम्राट बाईसिकिल ने उसे पट्टे पर दी गई जमीन को गलत तरीके से अपने नाम दर्ज कराकर उसकी नीलामी भी कर दी है। उस नीलामी को खारिज करके जमीन को निगम के नाम किया जाए।
उन्होंने बताया कि उस पत्र के आधार पर जिलाधिकारी ने ‘करेक्शन ऑफ पेपर’ का मुकदमा दर्ज कराया। ‘मामला संख्या 21, अधीन धारा 33:39, भू-राजस्व कानून यूपीएसआईडीसी बनाम सम्राट बाईसिकिल’ में आज आये फैसले में कहा गया है कि उस जमीन को सम्राट बाईसिकिल के नाम खारिज करके यूपीएसआईडीसी के नाम दर्ज कर दिया जाए।
गौरतलब है कि केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने गत 23 अगस्त को अमेठी में एक रैली में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को घेरते हुए आरोप लगाया था कि राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट ने किसानों की जमीन को सस्ते दामों में खरीदकर हड़प लिया है। इसे लेकर काफी सियासी खींचतान हुई थी।
गौरीगंज की सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट वंदिता श्रीवास्तव की अदालत ने यह फैसला सुनाया।
इस मामले में सम्बन्धित किसानों का पक्ष रख रहे वकील उमाशंकर पाण्डेय ने बताया कि मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने गत 23 अगस्त को जिस जमीन को हड़पे जाने का मामला उठाया था वह दरअसल वर्ष 1983 में कौहार गांव की वह 65 एकड़ जमीन है जो किसानों से लेकर सम्राट बाईसिकिल कम्पनी को कारखाना लगाने के लिए दी गई थी।
उन्होंने बताया कि कम्पनी ने तीन-चार साल तक तो कारखाना लगाने का स्वांग रचा लेकिन बाद में सब्सिडी लेकर कम्पनी ही बंद हो गई। कम्पनी ने कारखाना लगाने के लिए विभिन्न वित्तीय संस्थाओं से जो कर्ज लिया था उसकी वापसी के लिए 90 साल के लिए पट्टे पर ली गई उस जमीन की नीलामी कर दी।
पाण्डेय ने बताया कि इसके लिए कम्पनी ने फर्जी खतौनी बनवाकर खुद को जमीन का मालिक बताते हुए कहा था कि इस जमीन की नीलामी से जो रकम मिले उसका कर्ज अदायगी के तौर पर समायोजन कर लिया जाए।
पाण्डेय ने बताया कि राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट ने उस नीलामी में वह जमीन खरीद ली थी। उसके बाद ट्रस्ट ने इस साल 27 फरवरी को जब अपने ‘आक्शन चेंज’ को गौरीगंज में दर्ज कराया तो किसानों को सचाई का पता लगा। किसानों को लगा कि उस जमीन पर तो उद्योग ही लगना चाहिए। उसे चैरिटेबल ट्रस्ट को क्यों सौंपा गया।
अधिवक्ता ने बताया कि इस पर यूपीएसआईडीसी ने आपत्ति की। इस पर किसानों की तरफ से उन्होंने पैरवी की जिसमें निगम से कहा गया कि सम्राट बाईसिकिल कम्पनी ने फर्जी खतौनी बनवाकर उसकी जमीन को अपने नाम दिखा लिया और उसकी नीलामी भी कर दी, तब उसने कुछ क्यों नहीं किया।
पाण्डेय ने बताया कि यूपीएसआईडीसी के क्षेत्रीय प्रबन्धक ने अमेठी के जिलाधिकारी को गत 2 जून को एक पत्र लिखा जिसमें कहा गया था कि सम्राट बाईसिकिल ने उसे पट्टे पर दी गई जमीन को गलत तरीके से अपने नाम दर्ज कराकर उसकी नीलामी भी कर दी है। उस नीलामी को खारिज करके जमीन को निगम के नाम किया जाए।
उन्होंने बताया कि उस पत्र के आधार पर जिलाधिकारी ने ‘करेक्शन ऑफ पेपर’ का मुकदमा दर्ज कराया। ‘मामला संख्या 21, अधीन धारा 33:39, भू-राजस्व कानून यूपीएसआईडीसी बनाम सम्राट बाईसिकिल’ में आज आये फैसले में कहा गया है कि उस जमीन को सम्राट बाईसिकिल के नाम खारिज करके यूपीएसआईडीसी के नाम दर्ज कर दिया जाए।
गौरतलब है कि केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने गत 23 अगस्त को अमेठी में एक रैली में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को घेरते हुए आरोप लगाया था कि राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट ने किसानों की जमीन को सस्ते दामों में खरीदकर हड़प लिया है। इसे लेकर काफी सियासी खींचतान हुई थी।
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