
अहमदाबाद एयरपोर्ट से उड़ान भरने के तुरंत बाद लंदन जा रहा एयर इंडिया का एक पैसेंजर प्लेन गुरुवार, 12 जून को दुर्घटनाग्रस्त (Ahmedabad Plane Crash) हो गया. इस दुखद हादसे के बाद भारत में अबतक हुए तमाम बड़े प्लेन क्रैश का इतिहास फिर से सुर्खियों में है. बीच हवा में घातक टक्करों और खराब मौसम के कारण जानलेवा दुर्घटनाओं से लेकर टेबलटॉप एयरपोर्ट्स पर रनवे के ओवरशूट तक, देश ने दशकों में कई त्रासदियों को देखा है.
यहां भारत के विमानन इतिहास की सबसे विनाशकारी हवाई दुर्घटनाओं की लिस्ट दी गई है:
एयर इंडिया फ्लाइट AI171 (12 जून 2025): अहमदाबाद से लंदन गैटविक जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट एआई171 में कम से कम 169 भारतीय और 53 ब्रिटिश नागरिक यात्रा कर रहे थे, जो उड़ान भरने के तुरंत बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गई. अहमदाबाद से दोपहर 1.38 बजे रवाना हुई इस फ्लाइट में 242 यात्री और चालक दल के सदस्य सवार थे, जिसमें सात पुर्तगाली नागरिक और एक कनाडाई नागरिक भी थे. विमान में 10 केबिन क्रू और दो पायलट थे. कैप्टन सुमीत सभरवाल, जो लंबे समय से एयर इंडिया के पायलट हैं और जिनके पास 8,200 से अधिक उड़ान घंटे का अनुभव है और फर्स्ट ऑफिसर क्लाइव कुंदर, जिन्होंने 1,100 घंटे उड़ान भरी थी.
एयर इंडिया एक्सप्रेस फ्लाइट 1344 (साल 2020): कोरोना महामारी के दौरान, वंदे भारत रिपार्टिशन मिशन के हिस्से के रूप में संचालित एयर इंडिया एक्सप्रेस उड़ान 1344, 7 अगस्त, 2020 को कोझिकोड (कालीकट) इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उतरते समय रनवे से फिसल गई. भारी बारिश के बीच, विमान गीले टेबलटॉप रनवे से आगे निकल गया, घाटी में गिर गया और दो हिस्सों में बंट गया. विमान में सवार 190 लोगों में से दो पायलटों सहित 21 लोगों की जान चली गई.
एयर इंडिया एक्सप्रेस फ्लाइट 812 (साल 2010): 22 मई, 2010 को एयर इंडिया एक्सप्रेस फ्लाइट 812 कर्नाटक के मंगलुरु इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उतरते समय रनवे से आगे निकल गई. दुबई से आ रही बोइंग 737-800, टेबलटॉप रनवे से परे एक खाई में गिर गई और आग की लपटों में घिर गई, जिससे 158 लोगों की मौत हो गई. इस दुखद घटना ने प्रतिकूल परिस्थितियों के दौरान भारत के टेबलटॉप एयरपोर्ट्स और लैंडिंग प्रोटोकॉल की जांच बढ़ा दी.
एलायंस एयर फ्लाइट 7412 (साल 2000): 17 जुलाई, 2000 को एलायंस एयर फ्लाइट 7412 उतरने का प्रयास करते समय बिहार के पटना में घनी आबादी वाले आवासीय क्षेत्र में दुर्घटनाग्रस्त हो गई. फाइनल एप्रोच के दौरान अनुचित संचालन के कारण बोइंग 737-200 को कम ऊंचाई पर रुकने का अनुभव हुआ. साठ लोग मारे गए, जिनमें पांच ग्राउंड पर मरे थे. दुर्घटना ने छोटे शहरी एयरपोर्ट पर एप्रोच की प्रक्रिया को अपग्रेड करने को प्रेरित किया.
चरखी दादरी में हवा में टक्कर (साल 1996): 12 नवंबर 1996 को जो प्लेन क्रैश हुआ वह भारत की सबसे विनाशकारी विमानन दुर्घटना बन गई. उसमें 349 लोग मारे गए. यह त्रासदी तब हुई जब सउदीया फ्लाइट 763 (एक बोइंग 747) और कजाकिस्तान एयरलाइंस की फ्लाइट 1907 (एक इल्यूशिन आईएल-76) हरियाणा में चरखी दादरी के पास हवा में टकरा गईं. यानी दो प्लेन की हवा में टक्कर हुई थी. दुर्घटना की वजह थी कि कम्यूनिकेशन सही से नहीं किया गया और कजाख प्लेन का क्रू अपनी निर्धारित ऊंचाई से नीचे उतर आया था. घटना के बाद, भारत ने महत्वपूर्ण विमानन सुरक्षा उपाय पेश किए, जिसमें सभी वाणिज्यिक विमानों पर ट्रैफिक टकराव बचाव प्रणाली (टीसीएएस) की स्थापना को अनिवार्य करना शामिल है.
इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट 605 (साल 1990): 14 फरवरी 1990 को, इंडियन एयरलाइंस की उड़ान 605 बेंगलुरु के एचएएल एयरपोर्ट के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गई, जिसमें सवार 146 लोगों में से 92 की मौत हो गई. एयरबस A320 उस समय भारत में अपेक्षाकृत नया विमान था. वो बहुत नीचे उतरा और रनवे से कुछ दूर जमीन से टकराकर एक गोल्फ कोर्स पर फिसल गया. जांच से पता चला कि पायलट की गलती थी और क्रू को A320 के उन्नत डिजिटल कॉकपिट की पूरी जानकारी नहीं थी और इसी के कारण यह दुखद दुर्घटना हुई.
इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट 113 (साल 1988): 19 अक्टूबर 1988 को खराब दृश्यता (विजिबिलिटी) के बीच, इंडियन एयरलाइंस की उड़ान 113, बोइंग 737-200, अहमदाबाद एयरपोर्ट के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गई. मुंबई से आ रही फ्लाइट पेड़ों से टकरा गई और रनवे से कुछ दूर जाकर दुर्घटनाग्रस्त हो गई. इससे उसमें सवार 135 लोगों में से 133 की मौत हो गई. जांचकर्ताओं ने पायलट की गलती, अपर्याप्त मौसम की जानकारी और हवाई यातायात नियंत्रण द्वारा प्रक्रियात्मक खामियों की ओर इशारा किया.
एयर इंडिया की उड़ान 855 (साल 1978): 1 जनवरी 1978 को, दुबई जाने वाली एयर इंडिया की फ्लाइट 855 (एक बोइंग 747) मुंबई से उड़ान भरने के तुरंत बाद अरब सागर में गिर गई, जिससे उसमें सवार सभी 213 लोगों की मौत हो गई. यह दुर्घटना उड़ान के केवल 101 सेकंड बाद घटी जब एक दोषपूर्ण एटीट्यूड डायरेक्टर इंडिकेटर के कारण कैप्टन ने विमान की दिशा का गलत अर्थ निकाला. दुर्घटना समुद्र के ऊपर रात के समय हुई, जिससे चालक दल को अपने पोजिशन का पता आंखों से नहीं चला.
इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट 440 (1973): 31 मई 1973 को, इंडियन एयरलाइंस की उड़ान 440 दिल्ली के पालम एयरपोर्ट के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गई. बोइंग 737-200 को खराब मौसम का सामना करना पड़ा और रनवे से कुछ ही दूर हाई-टेंशन तारों से टकरा गया. जहाज पर सवार 65 लोगों में से 48 की मौत हो गई. मृतकों में प्रमुख भारतीय राजनीतिज्ञ मोहन कुमारमंगलम भी शामिल थे. दुर्घटना ने भारतीय एयरपोर्ट्स पर बेहतर मौसम रडार की आवश्यकता को रेखांकित किया.
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