भारतीय जनता पार्टी (BJP)के पूर्व सहयोगी अकाली दल ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए एनडीए की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) का समर्थन करने का ऐलान किया है. चंडीगढ़ में अकाली दल की कोर कमेटी की बैठक के बाद पार्टी प्रमुख सुखबीर बादल ने कहा, "कृषि कानूनों, जेल के कैद सिखों और अन्य की रिहाई के मुद्दे पर बीजेपी के साथ मतभेद के बावजूद हमने उनके उम्मीदवार का समर्थन करने का फैसला किया है." सुखबीर ने कहा कि उनकी पार्टी कभी भी कांग्रेस पार्टी द्वारा उतारे गए उम्मीदवार का समर्थन नहीं कर सकती. उन्होंने कहा, "अकाली दल ने हमेशा समाज के वंचित वर्ग के लोगों का समर्थन किया है. समाज के कमजोर वर्ग के लोगों का समर्थन करना हमारी जिम्मेदारी है और अनुसूचित जनजाति वर्ग से आने वाली द्रौपदी मुर्मु उनमें से एक हैं."
गौरतलब है कि अकाली दल से पहले बसपा प्रमुख मायावती भी राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने का ऐलान कर चुकी हैं. एनडीए का साथ देने का एलान करते हुए मायावती ने कहा था कि वो द्रौपदी मुर्मू का समर्थन इसलिए कर रही हैं क्योंकि वो आदिवासी समुदाय से आती हैं. इसके साथ-साथ बसपा प्रमुख ने विपक्ष पर भी हमला बोलते हुए कहा था कि राष्ट्रपति उम्मीदवार को लेकर विपक्ष ने बसपा से सलाह मशविरा नहीं किया. बीजू जनता दल, वायएसआर कांग्रेस जैसी पार्टियां भी राष्ट्रपति चुनाव में बीजेपी व एनडीए की प्रत्याशी को समर्थन देने का ऐलान कर चुकी हैं, ऐसे में द्रौपदी मुर्मू की जीत लगभग तय मानी जा रही है. राष्ट्रपति पद के लिए द्रौपदी मुर्मू का मुकाबला विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा से होना है. अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार में सिन्हा विदेश और वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं. कुछ समय पहले बीजेपी से नाता तोड़कर वे तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए थे.
गौरतलब है कि भारत के राष्ट्रपति का चुनाव, सभी राज्यों की विधानसभाओं के चुने गए सदस्य और लोकसभा तथा राज्यसभा में चुनकर आए सांसद अपने वोट के माध्यम से करते हैं. उल्लेखनीय है कि सांविधानिक ताकत का प्रयोग कर जिन सांसदों को राष्ट्रपति नामित करते हैं वे सांसद राष्ट्रपति चुनाव में वोट नहीं डाल सकते हैं. राष्ट्रपति के चुनाव में एक विशेष तरीके से वोटिंग होती है. इसे सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम कहते हैं. यानी एकल स्थानंतर्णीय प्रणाली. सिंगल वोट यानी वोटर एक ही वोट देता है, लेकिन वह कई उम्मीदवारों को अपनी प्राथमिकी से वोट देता है. यानी वह बैलेट पेपर पर यह बताता है कि उसकी पहली पसंद कौन है और दूसरी, तीसरी कौन. वोट डालने वाले सांसदों और विधायकों के वोट का प्रमुखता अलग-अलग होती है. इसे वेटेज भी कहा जाता है. दो राज्यों के विधायकों के वोटों का वेटेज भी अलग अलग होता है. यह वेटेज राज्य की जनसंख्या के आधार पर तय किया जाता है और यह वेटेज जिस तरह तय किया जाता है, उसे आनुपातिक प्रतिनिधित्व व्यवस्था कहते हैं.
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