अजय माकन (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
दिल्ली कांग्रेस के प्रमुख अजय माकन ने कहा कि मुख्य संसदीय सचिव बनाए गए आम आदमी पार्टी (आप) के 21 विधायक अगर अयोग्य घोषित किए गए और इसके बाद दिल्ली की इन 21 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव कराए गए, तो उनकी पार्टी इनमें से अधिकांश सीट जीतेगी। माकन ने पार्टी मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "इनमें से ज्यादातर विधानसभा सीटें कांग्रेस के दिग्गजों के पास रही हैं जिनमें महाबल मिश्रा, अरविंदर सिंह लवली और ए. के. वालिया आदि हैं। हमें भरोसा है कि अगर उपचुनाव होते हैं तो हम इन 21 सीटों में से ज्यादातर पर जीत हासिल करेंगे।"
उन्होंने कहा कि इन चुनावों में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी और दिल्ली विधानसभा में नेता विपक्ष का पद उनकी पार्टी की झोली में गिरेगा। माकन ने आम आदमी पार्टी (आप) पर आरोप लगाया कि उसने मुख्य संसदीय सचिव के मुद्दे पर लोगों को गुमराह किया है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में शीला दीक्षित के पहले कार्यकाल के दौरान माकन भी मुख्य संसदीय सचिव रह चुके हैं। उन्होंने कहा, "एक मुख्य संसदीय सचिव को पारिश्रमिक नहीं भी दिया जाए तो कम से कम एक कार्यालय की जगह, एक गाड़ी और ड्राइवर मिलता ही है। तो, यह कैसे लाभ का पद नहीं है।"
माकन से इस विधेयक के विधायी पहलू के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, "जब शीला दीक्षित मेरी नियुक्ति के लिए विधेयक लेकर आईं थीं तो उसे विधानसभा में धन विधेयक के रूप में पेश किया गया था। दोबारा जब 2007 में इसमें संशोधन किया गया तब भी यह धन विधेयक ही था।"
उन्होंने कहा कि 'आप' अगर इस विधेयक को उचित माध्यम से लेकर आई होती, तो राष्ट्रपति जरूर उसे अपनी मंजूरी देते। राष्ट्रपति द्वारा इस विधेयक को मंजूरी नहीं दिए जाने के कारण आप के 21 विधायक अयोग्य घोषित हो सकते हैं।
माकन ने कहा कि 'आप' ने ये पद अपने विधायकों को साथ जोड़े रखने के लिए दिए थे। उन्होंने कहा, "आप ने इन मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति 13 मार्च को की थी, जो अरविंद केजरीवाल के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के एक महीने बाद था। इसी दौरान योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण पार्टी से बाहर निकाल दिए गए। इन विधायकों को अगर ये पद नहीं दिए जाते तो वे योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण के साथ चले जाते।"
माकन ने कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया था, जिसने चुनाव आयोग से मिलकर 'आप' के इन 21 विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग की थी।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
उन्होंने कहा कि इन चुनावों में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी और दिल्ली विधानसभा में नेता विपक्ष का पद उनकी पार्टी की झोली में गिरेगा। माकन ने आम आदमी पार्टी (आप) पर आरोप लगाया कि उसने मुख्य संसदीय सचिव के मुद्दे पर लोगों को गुमराह किया है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में शीला दीक्षित के पहले कार्यकाल के दौरान माकन भी मुख्य संसदीय सचिव रह चुके हैं। उन्होंने कहा, "एक मुख्य संसदीय सचिव को पारिश्रमिक नहीं भी दिया जाए तो कम से कम एक कार्यालय की जगह, एक गाड़ी और ड्राइवर मिलता ही है। तो, यह कैसे लाभ का पद नहीं है।"
माकन से इस विधेयक के विधायी पहलू के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, "जब शीला दीक्षित मेरी नियुक्ति के लिए विधेयक लेकर आईं थीं तो उसे विधानसभा में धन विधेयक के रूप में पेश किया गया था। दोबारा जब 2007 में इसमें संशोधन किया गया तब भी यह धन विधेयक ही था।"
उन्होंने कहा कि 'आप' अगर इस विधेयक को उचित माध्यम से लेकर आई होती, तो राष्ट्रपति जरूर उसे अपनी मंजूरी देते। राष्ट्रपति द्वारा इस विधेयक को मंजूरी नहीं दिए जाने के कारण आप के 21 विधायक अयोग्य घोषित हो सकते हैं।
माकन ने कहा कि 'आप' ने ये पद अपने विधायकों को साथ जोड़े रखने के लिए दिए थे। उन्होंने कहा, "आप ने इन मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति 13 मार्च को की थी, जो अरविंद केजरीवाल के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के एक महीने बाद था। इसी दौरान योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण पार्टी से बाहर निकाल दिए गए। इन विधायकों को अगर ये पद नहीं दिए जाते तो वे योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण के साथ चले जाते।"
माकन ने कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया था, जिसने चुनाव आयोग से मिलकर 'आप' के इन 21 विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग की थी।
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