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This Article is From Nov 07, 2023

सिंधु-गंगा के मैदानी इलाकों समेत देश के अन्य हिस्सों में वायु गुणवत्ता का संकट गहराया

सर्दियों के दौरान इन मैदानी इलाकों में खराब वायु गुणवत्ता का प्रमुख कारण प्रतिकूल मौसमी दशाएं, भौगोलिक स्थिति और फसल कटाई के बाद धान की पराली जलाना है.

सिंधु-गंगा के मैदानी इलाकों समेत देश के अन्य हिस्सों में वायु गुणवत्ता का संकट गहराया
उपग्रह से प्राप्त तस्वीरों के अनुसार, सिंधु-गंगा के मैदानी इलाकों में धुंध छाई हुई है. (फाइल)
नई दिल्ली:

पंजाब के अमृतसर से लेकर पश्चिम बंगाल के आसनसोल तक, सिंधु-गंगा के मैदानी इलाकों में सोमवार को वायु गुणवत्ता  संकट (Air Quality Crisis) गहराता दिखा जिससे इस क्षेत्र में रहने वाली देश की करीब 40 प्रतिशत आबादी को असुविधा का सामना करना पड़ा. वायु गुणवत्ता का यह संकट देश के कई अन्य हिस्सों में भी दिखा. उपग्रह से प्राप्त तस्वीरों के अनुसार, सिंधु-गंगा के मैदानी इलाकों में धुंध छाई हुई है. सोमवार को राजस्थान के श्री गंगानगर में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 310, चूरू (308), भरतपुर (319), भिवाड़ी (433), धौलपुर में 357 दर्ज किया गया, जबकि हरियाणा के फरीदाबाद में 412, फतेहाबाद (422), जिंद (381), हिसार (377), भिवानी (335), सोनीपत (417) और गुरुग्राम में 373 रहा.

पंजाब में भी वायु गुणवत्ता ‘खराब' से ‘बहुत खराब' रही, जहां बड़ी संख्या में किसान अपने खेतों को अगली फसल के लिए जल्दी तैयार करने के लिए पराली जलाते हैं. राज्‍य के अमृतसर में एक्यूआई 316, बठिंडा (288), जालंधर (222), खन्ना (225), लुधियाना (282), और मंडी गोबिंदगढ़ में 256 दर्ज किया गया.

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में एक्यूआई 391, ग्रेटर नोएडा (420), मेरठ (354), बुलंदशहर (243), हापुड़ (332), लखनऊ (251), मुजफ्फरनगर (340), और नोएडा में 384 दर्ज किया गया.

बिहार के पटना में 265, आरा (276), राजगीर (312), सहरसा (306), समस्तीपुर (276), और किशनगंज एक्यूआई 249 रहने के साथ समान स्थिति देखने को मिली.

झारखंड के धनबाद में 255, और पश्चिम बंगाल के आसनसोल में एक्यूआई 215 रहा. यहां तक कि असम के बर्नीहाट (293) और त्रिपुरा में अगरतला (224) जैसे शहरों में भी वायु गुणवत्ता खराब रही.

सिंधु-गंगाा के मैदानी इलाकों के अलावा, मध्य, पश्चिमी और पूर्वी भारत के कुछ हिस्से, जिनमें मध्य प्रदेश में ग्वालियर (286), कटनी (216), और इंदौर (214), महाराष्ट्र में नवी मुंबई (261) और उल्हासनगर (269), गुजरात के अंकलेश्वर (216) और ओडिशा में अंगुल (242) में भी वायु गुणवत्ता खराब रही.

सर्दियों के दौरान इन मैदानी इलाकों में खराब वायु गुणवत्ता का प्रमुख कारण प्रतिकूल मौसमी दशाएं, भौगोलिक स्थिति और फसल कटाई के बाद धान की पराली जलाना है. अन्य स्थानों पर खराब वायु गुणवत्ता के लिए उद्योगों, वाहनों, धूल प्रदूषण, खुले में कूड़ा-कचरा जलाना जैसे स्थानीय कारक को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है.

एक्यूआई शून्य से 50 के बीच 'अच्छा', 51 से 100 के बीच 'संतोषजनक', 101 से 200 के बीच 'मध्यम', 201 से 300 के बीच 'खराब', 301 से 400 के बीच 'बहुत खराब', 401 से 450 के बीच 'गंभीर' तथा 450 के बाद 'अति गंभीर' श्रेणी में माना जाता है.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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