
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से जारी टैरिफ वॉर के बीच चीन ने अमेरिकी बोइंग कंपनी के विमानों को लेने से इनकार कर दिया है. ऐसे में एक बड़ी खबर सामने आ रही है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार मामले से परिचित लोगों ने कहा कि एयर इंडिया बोइंग कंपनी से उन विमानों को खरीदने पर विचार कर रही है जिसे लेने से चीन ने इनकार कर दिया है. ऐसे में वाशिंगटन और बीजिंग के बीच जारी टैरिफ वॉर से फायदा उठाने की होड़ में एशियाई एयरलाइनों की लिस्ट में एयर इंडिया शामिल हो गई है.

टाटा ग्रूप के स्वामित्व वाली एयर इंडिया को फिर से मार्केट में खड़ा होने और पकड़ बनाने के लिए तत्काल विमानों की आवश्यकता है. ऐसे में मौके पर चौका मारते हुए एयर इंडिया कई विमान प्राप्त करने के लिए बोइंग से संपर्क करने की योजना बना रही है. यह जानकारी उन लोगों ने दी है जो एयरलाइन में जारी चर्चा से परिचित हैं और अपनी पहचान नहीं बताना चाहते क्योंकि जानकारी सार्वजनिक नहीं है.
उन लोगों ने कहा कि एयर इंडिया भविष्य में डिलीवरी के लिए स्लॉट उपलब्ध होने पर उसे लेने के लिए भी उत्सुक है. एयर इंडिया को अतीत में भी चीन के पीछे हटने से लाभ हुआ था. मार्च में उसने मूल रूप से चीनी एयरलाइनों के लिए बनाए गए कुल 41 737 मैक्स जेट को स्वीकार कर लिया था, जिनकी डिलीवरी मॉडल के 2019 ग्राउंडिंग के बाद से स्थगित कर दी गई थी.
एयर इंडिया और बोइंग के प्रतिनिधियों ने इस मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. रविवार को छपी बर्नामा की रिपोर्ट के अनुसार, मलेशिया का एविएशन ग्रुप बीएचडी भी चीन द्वारा खाली किए गए डिलीवरी स्लॉट पर विमान खरीदने के लिए बोइंग के साथ बातचीत कर रहा है.
चीन ने बोइंग से विमान खरीदने पर लगाई है रोक
ब्लूमबर्ग न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले हफ्ते चीन की सरकार ने चीनी एयरलाइनों को बोइंग विमान स्वीकार नहीं करने के लिए कहा था. चीन और अमेरिका के बीच चल रहे टैरिफ वॉर के बीच ये फैसला लिया गया. बीजिंग ने अमेरिका में बने सामानों पर 125% तक का जवाबी टैरिफ निर्धारित किया था. उस समय लगभग 10 विमानों को डिलीवरी के लिए तैयार किया जा रहा था. चीन में मौजूद लगभग 737 मैक्स जेट को तब से अमेरिका वापस भेज दिया गया है.
पहले से बन चुके या बन रहे विमान को किसी नए खरीददार को बेचना बोइंग के लिए मुश्किल काम होगा. इसकी वजह है कि इनमें से कई विनान के लिए केबिन कॉन्फिगरेशन पहले से ही मूल ग्राहक (इस मामले में चीन) द्वारा निर्धारित किया गया होगा, और कुछ पेमेंट भी किए गए होंगे. अब बोइंग उन विमान को नए मालिकों को नहीं दे सकता जो अभी भी चीन में एयरलाइंस के साथ कॉन्ट्रैक्ट में हैं.
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