डॉ एमसी मिश्रा (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
एम्स के निदेशक एमसी मिश्रा ने इस साल हाईकोर्ट में दिया अपना वह हलफनामा बदल दिया है, जिसमें उन्होंने एम्स में भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर संसदीय कमेटी की रिपोर्ट को आधारहीन कहा था.
मिश्रा के हलफनामे की ख़बर मीडिया में आने के बाद काफी विवाद हुआ था. एनडीटीवी इंडिया ने आपको ख़बर दिखाई थी कि संसद में राज्यसभा सांसदों अली अनवर, ऋतोब्रतो बनर्जी और मुनव्वर सलीम ने राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी को नोटिस देकर एम्स के निदेशक पर विशेषाधिकार हनन का मामला चलाए जाने की मांग की थी.
इसके बाद एम्स निदेशक को 8 अगस्त को इस मामले में नोटिस भेजा गया और अब उन्होंने अपना हलफनामा बदल दिया है.
यह भी पढ़ें- मुश्किल में एम्स के निदेशक : सांसदों ने की विशेषाधिकार कमेटी के सामने बुलाने की मांग
एम्स में भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों में संसदीय कमेटी ने स्वास्थ्य मंत्रालय के रुख से कड़ी नाराज़गी जताई थी. इस बारे में हाइकोर्ट में केस चल रहा है, जहां दिये हलफनामें में एम्स निदेशक ने कहा था कि संसदीय कमेटी की रिपोर्ट आधारहीन है और उनकी कोई वैधानिक मान्यता भी नहीं है. इससे नाराज़ सांसदों ने राज्यसभा में इस मामले को उठाकर एम्स निदेशक के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया.
एम्स के निदेशक एमसी मिश्रा विवादों में रहे हैं. सीबीआई ने भ्रष्टाचार के मामलों में दोषी पाकर स्वास्थ्य मंत्रालय से पहले ही उनके खिलाफ कार्रवाई करने की सिफारिश की है. अब संसद से नोटिस मिलने के बाद मिश्रा ने अपने नये हलफनामे में संसदीय कमेटी पर की गई टिप्पणियां हटा ली हैं.
मिश्रा के हलफनामे की ख़बर मीडिया में आने के बाद काफी विवाद हुआ था. एनडीटीवी इंडिया ने आपको ख़बर दिखाई थी कि संसद में राज्यसभा सांसदों अली अनवर, ऋतोब्रतो बनर्जी और मुनव्वर सलीम ने राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी को नोटिस देकर एम्स के निदेशक पर विशेषाधिकार हनन का मामला चलाए जाने की मांग की थी.
इसके बाद एम्स निदेशक को 8 अगस्त को इस मामले में नोटिस भेजा गया और अब उन्होंने अपना हलफनामा बदल दिया है.
यह भी पढ़ें- मुश्किल में एम्स के निदेशक : सांसदों ने की विशेषाधिकार कमेटी के सामने बुलाने की मांग
एम्स में भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों में संसदीय कमेटी ने स्वास्थ्य मंत्रालय के रुख से कड़ी नाराज़गी जताई थी. इस बारे में हाइकोर्ट में केस चल रहा है, जहां दिये हलफनामें में एम्स निदेशक ने कहा था कि संसदीय कमेटी की रिपोर्ट आधारहीन है और उनकी कोई वैधानिक मान्यता भी नहीं है. इससे नाराज़ सांसदों ने राज्यसभा में इस मामले को उठाकर एम्स निदेशक के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया.
एम्स के निदेशक एमसी मिश्रा विवादों में रहे हैं. सीबीआई ने भ्रष्टाचार के मामलों में दोषी पाकर स्वास्थ्य मंत्रालय से पहले ही उनके खिलाफ कार्रवाई करने की सिफारिश की है. अब संसद से नोटिस मिलने के बाद मिश्रा ने अपने नये हलफनामे में संसदीय कमेटी पर की गई टिप्पणियां हटा ली हैं.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं