- 6 महीने पहले अहमदाबाद से लंदन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट क्रैश हो गई थी
- इस भीषण क्रैश हादसे में सिर्फ एक यात्री को छोड़कर 260 लोगों की मौत हो गई थी
- जब हादसे को 6 महीने बीत चुके हैं तब भी पीड़ित परिवारों का दर्द कम नहीं हुआ है
अहमदाबाद में एयर इंडिया फ्लाइट 171 के भीषण हादसे को छह महीने का वक्त बीत चुका है, लेकिन जिन्होंने अपने परिवार के लोगों को खोया है, उनकी ज़िंदगी अब भी कई सवालों, अधूरी जांच के बीच ठहरी हुई है. 12 जून को अहमदाबाद से उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद लंदन गैटविक जा रही एयर इंडिया की बोइंग 787-8 विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी. इस हादसे में 241 यात्रियों और क्रू समेत कुल 260 लोगों की मौत हो गई थी. बस केवल एक यात्री जीवित बचा. छह महीने बाद भी जांच अधूरी है और परिवारों का दर्द जस का तस है
हमारे लिए हवाई अड्डा देखना ही बड़ी बात थी
सूरत की रहने वाली मुक्ति के लिए यह हादसा सब कुछ बदल देने वाला था क्योंकि उनके माता-पिता पहली बार हवाई यात्रा कर रहे थे. पिता किसान थे और वे अपनी बड़ी बेटी से मिलने लंदन जा रहे थे. मुक्ति याद करती हैं, "हमारे लिए एयरपोर्ट देखना ही बड़ी बात थी. यह मेरे माता-पिता का सपना था कि वे लंदन आई देखें." उन्होंने बताया कि शुरुआती हफ्तों में अधिकारियों का सहयोग मिला, लेकिन समय के साथ सब कुछ धीमा पड़ गया. मुक्ति कहती हैं, "अब कोई जवाब नहीं देता. एयर इंडिया ने हमारे ईमेल तक का जवाब नहीं दिया. हमें सिर्फ अपने माता-पिता की आखिरी निशानियां सम्मान के साथ वापस चाहिए."
एयर इंडिया ने परिवार को 25 लाख रुपये दिए है, लेकिन टाटा ट्रस्ट से जुड़े कल्याणकारी पहल के तहत घोषित एक करोड़ रुपये की सहायता को लेकर कुछ भी साफ नहीं है. मुक्ति कहती हैं, "हम हमेशा रतन टाटा का सम्मान करते रहे हैं, उस विरासत को निभाया जाना चाहिए. एयर इंडिया के लिए यह एक क्षतिग्रस्त विमान हो सकता है, लेकिन हमारे लिए तो सब खत्म हो गया."
"अब कोई इस हादसे की बात नहीं करता"
यूके में रहने वाले एक अन्य परिजन, जिनकी 36 वर्षीय बहन और जीजा की इस हादसे में मौत हो गई वो कहते हैं कि अंतरिम मुआवजा तो मिला, लेकिन ट्रस्ट की ओर से भुगतान अब भी "प्रक्रिया में" है. वे कहते हैं,"लोग अब इस हादसे की बात नहीं करते, जैसे किसी को परवाह ही नहीं. हम अब भी ब्लैक बॉक्स डेटा का इंतजार कर रहे हैं. बस यह जानना चाहते हैं कि हुआ क्या था, ताकि ऐसा फिर कभी न हो."
सरकार का बयान: जांच जारी है
इस महीने की शुरुआत में सरकार ने ही देस की संसद को बताया कि विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) की जांच अब भी जारी है. नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल ने कहा कि जांच विमान दुर्घटना और घटना नियम, 2025 के तहत हो रही है और अंतिम रिपोर्ट अभी जारी नहीं हुई है. हालांकि जुलाई में जारी प्रारंभिक रिपोर्ट में केवल शुरुआती सबूतों के आधार पर जानकारी दी गई थी. इसके साथ ही मंत्री ने स्पष्ट किया कि जांचकर्ता सभी संभावित कारणों की पड़ताल कर रहे हैं. अंतिम रिपोर्ट व्यापक मूल्यांकन के बाद ही जारी होगी।
"भगवद गीता ही वापस कर दें"
लंदन में रहने वाली प्रीतम, जिनके ससुराल वाले इस हादसे में मारे गए, बार-बार वो एयर इंडिया को सामान लौटाने के लिए लिख रही हैं. वे कहती हैं, "जब मेरी सास आ रही थीं, मैंने उनसे कहा था कि मेरे लिए भगवद गीता लेकर आएं. अब मैं सिर्फ एयर इंडिया से वही गीता वापस मांग रही हूं. लेकिन छह महीने हो गए, आखिर किस बात में इतना समय लग रहा है?"
प्रीतम का कहना है कि AAIB की प्रारंभिक रिपोर्ट ने कुछ भी साफ नहीं कहा. यहां तक कि हमें नहीं पता कि गलती बोइंग की थी या एयर इंडिया की मेंटेनेंस की. यह हमारा बुनियादी अधिकार है कि हमें सच्चाई पता चले.
इसके साथ ही वो मुआवजे को लेकर कहती है, "लोग पूछते हैं कि क्या हमें एक करोड़ मिला. हमें कैसा लगना चाहिए? पैसा हमारे परिवार को वापस नहीं ला सकता. हम अब भी सो नहीं पाते. हादसे में दुनिया भर से जिन लोगों ने अपने परिवार के लोगों को खोया है, वे एक सपोर्ट ग्रुप में जुड़े हैं. हर दिन रोते हैं, हमें सिर्फ न्याय और सच्चाई चाहिए. विमान के पायलटों को दोष देना गलत है. हम जवाबदेही चाहते हैं ताकि ऐसा फिर कभी न हो."
एयर इंडिया का बयान
NDTV को दिए बयान में एयर इंडिया ने कहा कि वह AI-171 हादसे से प्रभावित परिवारों के साथ खड़ी है. वहीं एयरलाइन ने कहा, "हम अपनी जिम्मेदारी को गहराई से समझते हैं और प्रभावित परिवारों को सहयोग और देखभाल प्रदान कर रहे हैं. टाटा समूह के वरिष्ठ नेता लगातार परिवारों से मिलकर संवेदना व्यक्त कर रहे हैं." एयर इंडिया के अनुसार, 95% से अधिक प्रभावित परिवारों को 25 लाख रुपये की रकम दी चुकी है. 120 से अधिक परिवारों को AI-171 मेमोरियल और वेलफेयर ट्रस्ट से एक करोड़ रुपये की सहायता दी गई है और 80 से अधिक परिवारों को भुगतान प्रक्रिया में है."
सिर्फ एक सवाल है – उस दिन हुआ क्या था?
छह महीने बाद भी परिवारों का दर्द अब एक सामूहिक मांग में बदल गया है और वो ये है कि सभी इस मामले में पारदर्शिता और न्याय चाहते हैं. वे कहते हैं कि जांच की गति धीमी नहीं पड़नी चाहिए. प्रीतम कहती हैं, "हर किसी के मन में सिर्फ एक सवाल है कि आखिर असल में उस दिन हुआ क्या था?"
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