इस गणतंत्र दिवस पर पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र के बाद अब केरल राज्य की भी झांकी भी नहीं दिखेगी. राजपथ पर होने वाले इस कार्यक्रम को देखने के लिए दूसरे देशों से बड़ी संख्या में अतिथि आते हैं. बता दें कि केंद्र सरकार ने नए साल पर घोषणा की थी कि इस साल 32 राज्यों में महज 16 राज्यों की झांकी को ही गणतंत्र दिवस की परेड में शामिल होने का मौका दिया जाएगा. केंद्र के इस ऐलान के बाद विभिन्न राज्यों की सरकारों ने मोदी सरकार पर भेदभाव करने का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि राजपथ पर होने वाले इस कार्यक्रम में सभी राज्यों को एक सामान अपनी झांकी पेश करने का अधिकार है.
गणतंत्र दिवस की परेड में बंगाल की झांकी को मंजूरी नहीं देना राज्य का अपमान: TMC
बता दें कि गणतंत्र दिवस परेड में महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल की झांकी शामिल न करने को लेकर सियासी घमासान मच गया है. एक तरफ, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) और शिवसेना ने मोदी सरकार पर गणतंत्र दिवस परेड के लिए महाराष्ट्र की झांकी की अनुमति नहीं देने के लिए निशाना साधा है. तो दूसरी तरफ तृणमूल कांग्रेस भी हमलावर है. एनसीपी ने इसे राज्य की जनता का अपमान बताया. एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने दावा किया था कि केंद्र ने गणतंत्र दिवस परेड के लिए गैर-भाजपा शासित महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल की झांकियों को अनुमति नहीं दी है. उन्होंने केंद्र सरकार पर पूर्वाग्रह से ग्रस्त होने का आरोप लगाया था. उन्होंने कहा था कि दोनों राज्यों ने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और उनकी झांकियों को अनुमति नहीं देना लोगों का ‘अपमान' जैसा है.
गणतंत्र दिवस की परेड में बंगाल की झांकी को मंजूरी नहीं देना राज्य का अपमान: TMC
सुप्रिया सुले ने ट्वीट किया था कि केंद्र ने गणतंत्र दिवस पर परेड के लिए महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल की झांकियों को अनुमति नहीं दी है. यह देश का पर्व है और केंद्र से सभी राज्यों को प्रतिनिधित्व देने की उम्मीद है. लेकिन सरकार पक्षपातपूर्ण तरीके से व्यवहार कर रही है और विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों से सौतेला व्यवहार कर रही है.' वहीं, शिवसेना के राज्यसभा सदस्य संजय राउत ने एक समाचार चैनल से कहा था कि आपको बताना होगा कि दो राज्यों की झांकियों को मंजूरी क्यों नहीं दी गयी. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को मामले की जांच करानी चाहिए. पता लगाना चाहिए कि इसके लिए कौन जिम्मेदार है. क्या ऐसे तत्व हैं जिनकी पिछली सरकार के प्रति निष्ठा बनी हुई है?.
गणतंत्र दिवस पर नहीं दिखेगी पश्चिम बंगाल की झांकी, केन्द्र से प्रस्ताव को नहीं मिली मंजूरी
दूसरी तरफ, तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा नीत केंद्र सरकार पर हमला बोला और आरोप लगाया कि संशोधित नागरिकता कानून का विरोध करने के कारण राज्य के लोगों का अपमान किया गया. हालांकि प्रदेश भाजपा ने इस पर तुरंत पलटवार करते हुए आरोप लगाया कि तृणमूल सरकार ने नियमों एवं प्रक्रियाओं का सही तरीके से पालन नहीं किया और इसी कारण यह प्रस्ताव खारिज हुआ. सूत्रों ने बताया कि पश्चिम बंगाल सरकार ने परेड में अपनी पुरस्कार प्राप्त नकद हस्तांतरण योजना ‘‘कन्याश्री'' के प्रदर्शन का प्रस्ताव दिया था, इसके अलावा स्कूली छात्रों को साइकिल वितरण योजना ‘‘सबुज साथी'' और जल संरक्षण योजना ‘‘जोल ढोरो जोल भोरो'' परियोजना का विकल्प दिया गया था. रक्षा मंत्रालय द्वारा बुधवार को जारी बयान के अनुसार एक विशेषज्ञ समिति ने दो दौर की बैठक में इस संबंध में पड़ताल करने के बाद पश्चिम बंगाल के प्रस्ताव को खारिज कर दिया.
ममता बनर्जी ने मोदी सरकार से पूछा- गणतंत्र दिवस की परेड में पश्चिम बंगाल की झांकी क्यों नहीं
इसमें कहा गया था कि विशेषज्ञ समिति की दूसरे दौर की बैठक में विचार-विमर्श के बाद पश्चिम बंगाल सरकार के झांकी के प्रस्ताव को विचार के लिए आगे नहीं बढ़ाया गया.'इसके अनुसार, ‘यहां यह बताना प्रासंगिक है कि 2019 के गणतंत्र दिवस परेड में हिस्सा लेने के लिए इसी प्रक्रिया के तहत पश्चिम बंगाल सरकार की झांकी को सूचीबद्ध किया गया था.'पश्चिम बंगाल में संसदीय मामलों के राज्य मंत्री तापस रॉय ने आरोप लगाया कि भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार राज्य के साथ ‘बदले की भावना' से बर्ताव कर रही है. रॉय ने कहा, ‘चूंकि पश्चिम बंगाल भाजपा सरकार की जनविरोधी नीतियों का विरोध कर रहा है इसी कारण राज्य के साथ सौतेला बर्ताव किया जा रहा है. चूंकि हमलोग सीएए जैसे जनविरोधी कानूनों का विरोध कर रहे हैं इसलिए केंद्र ने हमारी झांकी के प्रस्ताव को खारिज किया है.'
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