गुलाब चंद कटारिया को राज्यपाल बनाए जाने के बाद अब केंद्र के हाथ में राजस्थान BJP की बागडोर, जानें भविष्य के संकेत

गुलाब चंद कटारिया की राजस्थान से विदाई प्रदेश की राजनीति के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण वाकया है. राज्य में चुनाव इस साल के अंत में होने हैं और लगता है कि भाजपा में राजनीतिक उठापटक का ये पहला संकेत है.

गुलाब चंद कटारिया को राज्यपाल बनाए जाने के बाद अब केंद्र के हाथ में राजस्थान BJP की बागडोर, जानें भविष्य के संकेत

गुलाब चंद कटारिया 22 फरवरी को असम जाएंगे.

जयपुर:

राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया नए राज्यपाल के रूप में कार्यभार संभालने 22 फरवरी को असम जाएंगे. हालांकि उनका गवर्नर मनोनीत होना इतना महत्वपूर्ण नहीं है, जितना उनकी राजस्थान की राजनीति से विदाई होना. हमेशा मुख्यमंत्री की रेस में रहने वाले गुलाब चंद कटारिया की राजस्थान से विदाई ये संकेत देती है कि विधानसभा चुनाव 2023 के पहले बीजेपी नेतृत्व में फेरबदल कर रही है. उनकी जगह पर नेता प्रतिपक्ष कौन बनेगा ये भी सबसे बड़ा सवाल है.

अठहत्तर साल के गुलाब चंद कटारिया राजस्थान विधानसभा में भाजपा के नेता प्रतिपक्ष हैं, सदन अभी सेशन में है और ऐसे में उनको असम का राज्यपाल मनोनीत करना अपने आप में नेतृत्व फेरबदल का संकेत हो सकता है. कटारिया आठ बार के विधायक और एक बार सांसद भी रहे हैं. मेवाड़ की सीटों में भी उनका प्रभाव था. उनके जाने से मेवाड़ वागड़ के राजनीतिक मंच पर एक जगह खाली हो गई है.

मनोनीत राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि बीजेपी नेता बेस्ड पार्टी नहीं है, अब दूसरों को मौका मिलेगा.

सवाल है कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को फिलहाल राज्य की राजनीति में कोई पद नहीं मिला है, क्या पार्टी चुनाव के पहले किसी तरह से उनकी वापसी तय करेगी?

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौर और कई सांसद इस रेस में हैं बीजेपी किसी पर भी दांव खेल सकती है. जाहिर है, राजस्थान की कमान अब केंद्र के हाथों में है.

भाजपा प्रवक्ता राम लाल शर्मा ने कहा कि संसदीय बोर्ड ही तय करेगा कि राजस्थान का नेता प्रतिपक्ष कौन रहेगा. संसदीय बोर्ड यहां के नेताओं से चर्चा भी करेगा. वहीं बीजेपी विधायक वासुदेव देवनानी ने कहा कि हमेशा बदलाव होता है, संगठन हित में जो भी आवश्यक होगा, वो कदम उठाएंगे.

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गुलाब चंद कटारिया की राजस्थान से विदाई यहां की राजनीति के लिए बहुत महत्वपूर्ण वाकया है. राज्य में चुनाव इस साल के अंत में होने हैं और लगता है कि भाजपा में राजनीतिक उठापटक का ये पहला संकेत है.