भारत सरकार ने हर्व फैल्सियानी से मदद मांगी है, जिसने कुछ ही दिन पहले एनडीटीवी से बात करते हुए कहा था कि स्विस तथा अन्य विदेशी बैंको में जमा कराए गए काले धन के बारे में भारत के पास जितनी जानकारी है, वह मात्र एक प्रतिशत है, और वह इस बारे में बहुत जानकारी मुहैया करा सकता है।
उल्लेखनीय है कि छह साल पहले एचएसबीसी के पूर्व कर्मचारी और सचेतक हर्व फैल्सियानी ने गुप्त खातों की एक सूची जारी की थी, जिसमें 600 नाम भारतीयों के थे। हर्व ने एनडीटीवी से खास बातचीत में कहा था कि वह तमाम देशों की मदद कर रहा है और वह भारत की भी मदद करना चाहता है।
इसके बाद एनडीटीवी ने भारतीय अधिकारियों तथा हर्व फैल्सियानी के बीच संपर्क करवाया, और हर्व ने एनडीटीवी से यह भी कहा कि वह ज़रूरत पड़ने पर एक टीम के साथ भारत आ भी सकता है।
इस महीने की शुरुआत में एनडीटीवी से एक्सक्लूसिव बातचीत में जिनेवा के एचएसबीसी बैंक में सिस्टम इंजीनियर रह चुके हर्व ने कहा था कि वर्ष 2011 में फ्रांस ने भारत के साथ एचएसबीसी के जिन खातों की जानकारी साझा की थी, वह सिर्फ एक प्रतिशत थी। हर्व का कहना था कि भारत को मात्र दो एमबी (मेगाबाइट) जानकारी ही दी गई थी, जबकि 200 जीबी (गिगाबाइट) का डाटा है। उसका कहना था कि अगर भारत आग्रह कल करेगा, हम उन्हें तुरंत प्रस्ताव देंगे।
दरअसल, भारत सरकार के पास एचएसबीसी बैंक में खाता रखने वाले 627 नामों की एक सूची है, जिनके नाम हाल ही में सुप्रीम कोर्ट को सौंपे गए थे, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ही काला धन वापस लाने के सरकारी प्रयासों पर निगरानी कर रही है। वित्तमंत्री अरुण जेटली ने भी हाल ही में कहा कि सूची में मौजूद लगभग 400 नामों की पहचान हो गई है, और उनमें से 250 ने खाता होने की बात कबूल भी कर ली है।
वैसे, सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व जजों तथा सेवानिवृत्त नौकरशाहों की एक टीम बनाई है, जो काला धन वापस लाने का रास्ता सुझाएगी। माना जा रहा है कि सोमवार को यह स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) सुप्रीम कोर्ट को बताएगी कि 100 एचएसबीसी जिनेवा खाताधारकों की टैक्स एसेसमेंट पूरी हो गई है, और उन पर कुल मिलाकर 1,000 करोड़ रुपये का टैक्स बनता है। टीम को उम्मीद है कि वह शेष खाताधारकों के जुर्माने की राशि का आकलन बी मार्च, 2015 के अंत तक कर लेगी।
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