रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को कहा कि स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत को नौसेना में शामिल करने के बाद भारत ने अपने दूसरे विमानवाहक पोत पर काम शुरू कर दिया है.राजनाथ सिंह ने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि हाल में आईएनएस विक्रांत को नौसेना में शामिल कर भारत दुनिया का सातवां देश बन गया है जिसके पास विमानवाहक पोत निर्माण की क्षमता है.
सिंह ने कहा, ‘‘भारत जब आजाद हुआ था तब देश में सूई का भी निर्माण नहीं होता था. 2022 में हमने आईएनएस विक्रांत जैसे विशाल विमानवाहक पोत का निर्माण किया.'' उन्होंने कहा कि कुछ साल पहले तक कोई विश्वास नहीं कर सकता था कि भारत ऐसे काम करने में भी सक्षम है.''
सिंह ने कहा, ‘‘अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, चीन और जापान के बाद भारत सातवां देश है जो विमानवाहक पोत का निर्माण कर सकता है.'' उन्होंने कहा, ‘‘हमारे दूसरे एयरक्राफ्ट कैरियर का भी काम प्रारंभ हो गया है.''
रक्षामंत्री ने रेखांकित किया कि आईएनएस विक्रांत से 73 से 74 प्रतिशत स्वदेशीकरण की उपलब्धि प्राप्त हुई है.वर्तमान में भारत के पास दो विमानवाहक पोत हैं जिनमें रूस निर्मित आईएनएस विक्रमादित्य और 40 हजार टन वजनी देश में ही निर्मित आईएनएस विक्रांत है.
पिछले सप्ताह नौसेना प्रमुख आर हरि कुमार ने कहा था कि नौसेना आईएनएस विक्रांत के तर्ज पर दूसरे पोत का निर्माण करने पर विचार कर रही है ताकि देश में मौजूदा विशेषज्ञता का इस्तेमाल किया जा सके.
कुमार ने कहा कि नौसेना को 65 हजार टन जल विस्थापन क्षमता के भारी दूसरे विमान वाहक पोत निर्माण पर फैसला करना बाकी है.
सिंह ने कहा कि ‘आत्मनिर्भर भारत पहल' के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कारोबारियों से ‘मेक इन इंडिया' और ‘मेक फॉर वर्ल्ड' की अपील की. उन्होंने कहा कि टाटा-एयरबस ने भारत में सी-295 मालवाहक विमान निर्माण की आधाशिला रखी है, जिसका दूसरे देशों में भी निर्यात होगा.
सिंह ने कहा कि भारत का रक्षा निर्यात इस साल पहले ही 14 हजार करोड़ के आंकड़े को छू चुका है और 2023 के आखिर तक के लिए 19 हजार करोड़ रुपये का लक्ष्य तय किया गया है. रक्षामंत्री ने कहा कि भारत ने 2024-25 में 25 हजार करोड़ रुपये के रक्षा निर्यात का लक्ष्य रखा है.
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