दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की जीत में बिजली-पानी मुफ्त योजना का अहम योगदान माना जा रहा है. इसलिए दिल्ली सरकार की तरह महाराष्ट्र सरकार भी अब मुफ्त बिजली देने पर विचार कर रही है. लेकिन तीन अलग-अलग पार्टियों की गठबंधन सरकार होने की वजह से इस मुद्दे पर आपस में सहमति नहीं बन पा रही है.
दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) की विधानसभा चुनाव में जीत के पीछे मुफ्त बिजली और पानी योजना का अहम योगदान है. लिहाजा अब दूसरे प्रदेशों की सरकारें भी मतदाताओं को लुभाने के लिए इस तरह के कदम उठाने पर विचार कर रही हैं. महाराष्ट्र में कांग्रेस के कोटे से ऊर्जा मंत्री बनाए गए नितिन राऊत ने तो अपने विभाग को 100 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने के लिए जरूरी अध्ययन करने का आदेश भी दे दिया है.
नितिन राऊत ने कहा कि 100 यूनिट तक बिजली मुफ्त करने का निर्णय लेने से पहले कई बातों पर विचार करने की जरूरत है. मैंने विभाग से मुफ्त बिजली पर अध्ययन करने को कहा है.
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लेकिन महाराष्ट्र का वित्त मंत्रालय संभाल रहे एनसीपी के नेता और उप मुख्यमंत्री अजीत पवार मुफ्त बिजली योजना के खिलाफ खड़े हो गए हैं. इसलिए एनसीपी अभी तक ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं आने का बहाना बना रही है.
महाराष्ट्र में बिजली विभाग पहले ही काफी नुकसान झेल रहा है. करीब तैंतीस हजार करोड़ रुपये से अधिक के बिजली बिल की वसूली होना बाकी है. ऐसे में मुख्य विपक्षी दल बीजेपी को सरकार को घेरने का मौका मिल गया है.
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महाराष्ट्र विकास अघाडी का नेतृत्व शिवसेना के हाथ में है. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के लिए किसानों की पूर्ण कर्जमाफी का वादा पहले ही गले की हड्डी बना हुआ है. ऐसे में 100 यूनिट बिजली मुफ्त देना राज्य की आर्थिक हालत को और खराब कर सकता है.
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