मुंबई:
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण शनिवार को आदर्श हाउसिंग सोसायटी घोटाले की जांच के लिए राज्य सरकार द्वारा गठित आयोग के समक्ष पेश हुए।
पूछताछ के दौरान अशोक चव्हाण ने विलासराव देशमुख और उस वक्त के प्रमुख सचिव पर आरोप लगाए। इससे पहले, विलासराव देशमुख और सुशील कुमार शिंदे ने अपने-अपने बयानों में अशोक चव्हाण और एनसीपी के जयंत पाटिल पर आरोप लगाए थे। देशमुख ने आदर्श कमीशन के सामने गवाही में आरोप लगाया था कि आदर्श हाउसिंग सोसाइटी में 40 फीसदी गैर-सैनिक लोगों को सदस्य बनाने का फैसला राजस्व विभाग का था।
जब उन्हें इस बारे में राजस्व विभाग के साथ बैठक की सूचना देने वाली चिट्ठी दिखाई गई, तो उन्होंने कहा कि ये चिट्ठी उन्होंने राजस्व मंत्री को भेज दी थी, क्योंकि यह मामला उनके मंत्रालय का था। देशमुख सरकार में अशोक चव्हाण ही राजस्व मंत्री हुआ करते थे। देशमुख ने कमीशन के सामने कहा कि सारे फैसले पहले विभागीय स्तर पर होते हैं। मुख्यमंत्री की मंजूरी की औपचारिकता सबसे अंत में पूरी की जाती है इसलिए इस मामले में जो कुछ हुआ उसके वह जिम्मेदार नहीं है।
नवंबर, 2010 में इस कथित घोटाले के सामने आने के बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने वाले चव्हाण, सीबीआई द्वारा दर्ज मामले में 14 आरोपियों में एक हैं। सीबीआई कोलाबा में खड़ी इस 31 मंजिला इमारत के निर्माण में कई अनियमितताएं और नियमों के उल्लंघन के आरोपों की जांच कर रही है।
सीबीआई ने अपनी प्राथमिकी में आरोप लगाया है कि बतौर राजस्व मंत्री चव्हाण ने रक्षाकर्मियों के लिए बन रही इस सोसायटी में नागरिकों को भी शामिल करने की अनुमति दी थी और उसके बदले में दक्षिण मुंबई की इस ऊंची इमारत में उनके (चव्हाण के) रिश्तेदारों को फ्लैट मिले। इस प्राथमिकी में कई सेवानिवृत सैन्य अधिकारियों एवं नौकरशाहों के भी नाम हैं। विलासराव देशमुख जब पहली बार 1999 से 2003 तक मुख्यमंत्री थे, तब चव्हाण उनके मंत्रिमंडल में राजस्व मंत्री थे।
पूछताछ के दौरान अशोक चव्हाण ने विलासराव देशमुख और उस वक्त के प्रमुख सचिव पर आरोप लगाए। इससे पहले, विलासराव देशमुख और सुशील कुमार शिंदे ने अपने-अपने बयानों में अशोक चव्हाण और एनसीपी के जयंत पाटिल पर आरोप लगाए थे। देशमुख ने आदर्श कमीशन के सामने गवाही में आरोप लगाया था कि आदर्श हाउसिंग सोसाइटी में 40 फीसदी गैर-सैनिक लोगों को सदस्य बनाने का फैसला राजस्व विभाग का था।
जब उन्हें इस बारे में राजस्व विभाग के साथ बैठक की सूचना देने वाली चिट्ठी दिखाई गई, तो उन्होंने कहा कि ये चिट्ठी उन्होंने राजस्व मंत्री को भेज दी थी, क्योंकि यह मामला उनके मंत्रालय का था। देशमुख सरकार में अशोक चव्हाण ही राजस्व मंत्री हुआ करते थे। देशमुख ने कमीशन के सामने कहा कि सारे फैसले पहले विभागीय स्तर पर होते हैं। मुख्यमंत्री की मंजूरी की औपचारिकता सबसे अंत में पूरी की जाती है इसलिए इस मामले में जो कुछ हुआ उसके वह जिम्मेदार नहीं है।
नवंबर, 2010 में इस कथित घोटाले के सामने आने के बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने वाले चव्हाण, सीबीआई द्वारा दर्ज मामले में 14 आरोपियों में एक हैं। सीबीआई कोलाबा में खड़ी इस 31 मंजिला इमारत के निर्माण में कई अनियमितताएं और नियमों के उल्लंघन के आरोपों की जांच कर रही है।
सीबीआई ने अपनी प्राथमिकी में आरोप लगाया है कि बतौर राजस्व मंत्री चव्हाण ने रक्षाकर्मियों के लिए बन रही इस सोसायटी में नागरिकों को भी शामिल करने की अनुमति दी थी और उसके बदले में दक्षिण मुंबई की इस ऊंची इमारत में उनके (चव्हाण के) रिश्तेदारों को फ्लैट मिले। इस प्राथमिकी में कई सेवानिवृत सैन्य अधिकारियों एवं नौकरशाहों के भी नाम हैं। विलासराव देशमुख जब पहली बार 1999 से 2003 तक मुख्यमंत्री थे, तब चव्हाण उनके मंत्रिमंडल में राजस्व मंत्री थे।
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