मुंबई:
महाराष्ट्र की राजधानी में दो मई को तेजाब हमले की शिकार हुई दिल्ली निवासी नर्स प्रीति राठी की शनिवार को यहां के एक निजी अस्पताल में मौत हो गई। यह जानकारी उसके परिवार ने दी है।
प्रीति के पिता अमर सिंह राठी ने बताया, "चिकित्सकों ने अपराह्न लगभग चार बजे वेंटिलेटर और अन्य चिकित्सकीय सपोर्ट हटा लिए, जिसके बल पर वह जिंदा थी।"
प्रीति (25) पर उस समय अज्ञात लोगों ने तेजाब फेंक दिया था, जब वह नई दिल्ली-मुंबई गरीब रथ एक्सप्रेस से दो मई को सुबह बांद्रा टर्मिनस पर उतरी थी। वह यहां सेना के अस्पताल में नर्स की नौकरी शुरू करने आई थी।
वह दो सप्ताह से वेंटिलेटर पर थी, क्योंकि उसका दाहिना फेफड़ा बिल्कुल नष्ट हो गया था और बाया आंशिक रूप से ही काम कर रहा था।
राठी की देखरेख कर रहे चिकित्सकों के अनुसार, अंदरूनी चोट, प्रमुख अंगों के क्षतिग्रस्त होने और हमले के बाद हुए रक्तस्राव के कारण उसके बचने की संभावना पांच प्रतिशत ही रह गई थी।
अमर सिंह ने पिछले पखवारे महाराष्ट्र के गृह मंत्री आरआर पाटील और राज्य के पुलिस महानिदेशक संजीव दयाल से याचना की थी कि हमले की जांच राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) से वापस ले ली जाए।
सिंह ने याचिका में कहा था, "हम चाहते हैं कि जांच की जिम्मेदारी या तो राज्य के अपराध जांच विभाग को सौंप दी जाए या फिर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को, क्योंकि जीआरपी इस मामले की ठीक से जांच नहीं कर रही है।" उन्होंने आरोप लगाया था कि जीआरपी ने गलत तरीके से एक युवक को गिरफ्तार किया और असली दोषी को वह अभी तक नहीं पकड़ पाई है।
प्रीति के पिता अमर सिंह राठी ने बताया, "चिकित्सकों ने अपराह्न लगभग चार बजे वेंटिलेटर और अन्य चिकित्सकीय सपोर्ट हटा लिए, जिसके बल पर वह जिंदा थी।"
प्रीति (25) पर उस समय अज्ञात लोगों ने तेजाब फेंक दिया था, जब वह नई दिल्ली-मुंबई गरीब रथ एक्सप्रेस से दो मई को सुबह बांद्रा टर्मिनस पर उतरी थी। वह यहां सेना के अस्पताल में नर्स की नौकरी शुरू करने आई थी।
वह दो सप्ताह से वेंटिलेटर पर थी, क्योंकि उसका दाहिना फेफड़ा बिल्कुल नष्ट हो गया था और बाया आंशिक रूप से ही काम कर रहा था।
राठी की देखरेख कर रहे चिकित्सकों के अनुसार, अंदरूनी चोट, प्रमुख अंगों के क्षतिग्रस्त होने और हमले के बाद हुए रक्तस्राव के कारण उसके बचने की संभावना पांच प्रतिशत ही रह गई थी।
अमर सिंह ने पिछले पखवारे महाराष्ट्र के गृह मंत्री आरआर पाटील और राज्य के पुलिस महानिदेशक संजीव दयाल से याचना की थी कि हमले की जांच राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) से वापस ले ली जाए।
सिंह ने याचिका में कहा था, "हम चाहते हैं कि जांच की जिम्मेदारी या तो राज्य के अपराध जांच विभाग को सौंप दी जाए या फिर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को, क्योंकि जीआरपी इस मामले की ठीक से जांच नहीं कर रही है।" उन्होंने आरोप लगाया था कि जीआरपी ने गलत तरीके से एक युवक को गिरफ्तार किया और असली दोषी को वह अभी तक नहीं पकड़ पाई है।