
- दिल्ली की स्वास्थ्य परियोजनाओं में देरी और लागत वृद्धि की एसीबी जांच होगी.
- एलजी वीके सक्सेना ने एंटी करप्शन ब्रांच से जांच कराने की सिफारिश की थी.
- 24 अस्पतालों की परियोजनाओं की लागत में भारी वृद्धि और देरी के आरोप हैं.
आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के पूर्व स्वास्थ्य मंत्रियों सौरभ भारद्वाज और सतेंद्र जैन की मुश्किलें और बढ़ने वाली हैं. राजधानी के अस्पतालों में परियोजनाओं में देरी और लागत में वृद्धि के मामले की अब एंटी करप्शन ब्रांच (एसीबी) जांच करेगी. इस सिलसिले में एलजी वीके सक्सेना की सिफारिश पर जांच कराने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंजूरी दे दी है.
ACB कथित अस्पताल घोटाले को लेकर पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज और सतेंद्र जैन के खिलाफ जांच करेगी. बीजेपी नेता विजेंद्र गुप्ता ने इस मामले में पिछले साल 22 अगस्त को शिकायत दर्ज कराई थी. एलजी वीके सक्सेना ने पिछले महीने 6 मई को एसीबी से जांच कराने की सिफारिश भेजी थी.
सौरभ भारद्वाज और सतेंद्र जैन की जांच के मामले में कहा गया है कि इस मामले में 24 अस्पतालों की परियोजना की लागत में भारी वृद्धि हुई है. 6800 बेड क्षमता वाले 7 ICU बनाने के लिए 1125 करोड़ की मंजूरी दी गई थी.
प्राथमिक जांच में पता चला कि तीन साल बाद केवल 50 फ़ीसदी काम हुआ है. वहीं 94 पॉलिक्लिनिक में केवल 52 ही बन पाए लेकिन लागत 220 करोड़ तक बढ़ गई. ACB ने पहली नज़र में धन के दुरुपयोग, परियोजना की लागत में वृद्धि से सरकारी ख़ज़ाने को नुक़सान की बात कही है.
पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज और सत्येंद्र जैन के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 (2018 में संशोधित) की धारा 17ए के तहत जीएनसीटीडी की भ्रष्टाचार विरोधी शाखा (एसीबी) द्वारा जांच किए जाने की मंजूरी दी गई है. इस संबंध में PWD और स्वास्थ्य विभाग को भी जांच में कोई आपत्ति नहीं है.
एसीबी इन पहलुओं पर करेगी जांच
तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज और सत्येंद्र जैन की कथित मिलीभगत से स्वास्थ्य विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार.
2018-19 में 24 अस्पताल परियोजनाओं को मंजूरी मिली, लेकिन वे अभी तक अस्पष्ट देरी और भारी लागत वृद्धि में फंसी हैं. इनमें बड़े पैमाने पर धन के अवैध इस्तेमाल का शक है.
दिल्ली के 6800 बेड की क्षमता वाले 7 आईसीयू अस्पतालों को 1125 करोड़ रुपये की लागत से मंजूरी दी गई थी, लेकिन 3 साल से अधिक समय बीतने के बाद भी केवल 50% काम हो पाया है और लागत 800 करोड़ रुपये है.
एलएनजेपी अस्पताल में नए ब्लॉक प्रोजेक्ट की लागत 465.52 करोड़ रुपये थी, जो सिर्फ 4 वर्षों में लगभग तीन गुना होकर 1125 करोड़ रुपये हो गई है.
पॉलीक्लिनिक प्रोजेक्ट में भी कथित भ्रष्टाचार के आरोप हैं. 94 पॉलीक्लिनिक में से केवल 52 बनाए गए और उनकी लागत भी अस्पष्ट रूप से 220 करोड़ रुपये तक बढ़ गई.
एसीबी ने शिकायत की जांच के बाद पहली नजर में परियोजनाओं की लागत में लगातार वृद्धि, विभाग द्वारा जानबूझकर देरी करने, लागत घटाने के समाधानों को खारिज करने, धन के दुरुपयोग और बेकार संपत्तियों के निर्माण को कदाचार और भ्रष्ट गतिविधियों के पैटर्न के रूप में माना है. इसकी वजह से सरकारी खजाने को भारी नुकसान होने के बात कही गई है.
एसीबी ने जांच की पूर्व अनुमति प्राप्त करने के लिए निगरानी विभाग (डीओवी), जीएनसीटीडी के सामने एक प्रस्ताव पेश किया था. डीओवी ने एसीबी की सिफारिश पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग (एच एंड एफडब्ल्यू) और लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) से टिप्पणियां मांगीं.
एच एंड एफडब्ल्यू विभाग ने अपनी टिप्पणी में कहा कि विभाग को एसीबी की जांच पर कोई आपत्ति नहीं है. पीडब्ल्यूडी ने भी गहन सतर्कता जांच की सिफारिश की है. डीओवी ने एलजी को जांच के लिए मंजूरी देने की सिफारिश करते हुए माना कि परियोजनाओं की लागत में असामान्य वृद्धि हुई है.
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