फाइल फोटो
नई दिल्ली:
सिर्फ़ चार घंटे...सटीक और विश्वसनीय जानकारी के आधार पर सुरक्षा बलों ने 1 अगस्त को सुबह चार बजे एक ऑपरेशन शुरू किया और सुबह के आठ बजे तक ये साफ़ हो चला था कि लश्कर का कमांडर अबु दुजाना मारा जा चुका है. पिछले सात साल से 28 साल का दुजाना हर बार सुरक्षा बलों का घेरा तोड़ कर भागने में कामयाब हो रहा था. इस बार जम्मू-कश्मीर पुलिस की कोर टीम ने उसके बारे में सटीक जानकारी दी. "हमारी एक कोर टीम सिर्फ़ अलग अलग तंजीमों के एरिया कमांडर्स पर काम कर रही है. दुजाना के हकिरपोरा में होने की जानकारी भी उन्होंने ही दी," एक सीनियर पुलिस अफ़सर ने NDTV इंडिया से कहा.
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने ये टीम कुछ महीने पहले ही बनाई थी, जब ये साफ़ हो चला था कि दक्षिण कश्मीर के कुछ इलाक़े आतंकी लिबरेटेड ज़ोन (आतंकियों से मुक्त) घोषित करने वाले हैं. सुरक्षा बल ने भी सबसे बड़ा अभियान दो महीने पहले इन्हीं इलाक़ों में चलाया था. लेकिन लोकल पब्लिक की वजह से उन्हें ज़्यादा कुछ कामयाबी नहीं मिली थी. "पुलवामा में ही लश्कर के दो गुट हैं, एक अबु दुजाना का था और एक अयूब लोन का. हम लोग दोनों को ट्रैक कर रहे थे, पहले दुजाना हाथ लग गया," एक अधिकारी ने बताया जो सीधा इस ऑपरेशन से जुड़ा हुआ था.
यह भी पढ़ें: 'अय्याशी' में डूबा रहता था अबु दुजाना
दुजाना एक पाकिस्तानी आतंकी था इसीलिए एक हाई वैल्यू टारगेट था. जबकि अयूब लोन एक लोकल आतंकी है. पुलिस के लिए ये ऑपरेशन मुश्किल इस लिहाज़ से था क्योंकि जिस इलाक़े यानी हकिरपोरा में दुजाना की लोकेशन आ रही थी वो भीड़-भाड़ वाला इलाक़ा है.
जब मिली लोकेशन
दुजाना जिस घर में था उसकी जानकारी जम्मू-कश्मीर पुलिस की ह्यूमन इंटेलिजेन्स से मिली और ये जानकारी उन जवानों को दी गई जो ऑपरेशन के पहले घेराबंदी में थे. इस संबंध में ऑपरेशन में गए एक अफ़सर ने कहा, "ये एक क्लीन ऑपरेशन था हमें पता था दुजाना किस घर में है,"
सिर्फ़ चार घंटे में दुजाना के मारे जाने की पुष्टि भी हो गई. हालांकि इस ऑपरेशन में एक नागरिक की जान गई. "हर ऑपरेशन में सुरक्षा बल हिस्सा लेते हैं इस बार जब बल पीछे रहे थे तो उस दौरान एक शख़्स मारा गया," उस अधिकारी ने कहा. हालांकि इस बार प्रशासन ने इस बात का पूरा ख़याल रखा कि यहां की तस्वीरें वायरल ना हों और ना ही एनकाउंटर साइट पर ज़्यादा लोग एकत्र हों. इस अधिकारी ने समझाया, "इलाक़े में इंटरनेट बंद कर दिया गया था. इससे ये फ़ायदा हुआ कि लोग ना तस्वीरें शेयर कर सके और ना ही जानकारी जब तक सुरक्षा बल हट नहीं गए."
पढ़ें: जानें जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबलों को कई बार चकमा दे चुका अबु दुजाना कौन हैं?
ये इसीलिए अहम था क्योंकि घाटी में ये पैटर्न बन गया है कि वाट्सएप के ज़रिये लोग लोगों को इत्तला देते हैं और हुजूम इकट्ठा हो जाता है और जब सुरक्षा बल इलाक़े को ख़ाली कर रहे होते हैं तो पत्थरबाज़ी के चलते कैजुअल्टी का आंकड़ा बढ़ जाता है. बहरहाल इस कोर टीम की सफलता का ही नतीजा है कि दक्षिण कश्मीर में पिछले सात महीनों में 39 आतंकी ढेर किए जा चुके हैं. इस कोर टीम के अफसर ने NDTV इंडिया को बताया, "ये कोई आम आतंकी नहीं था, ये एरिया कमांडर था. पिन प्वाइंट जानकारी के कारण इसे मार गिराया गया."
सटीक निशाना
मई में सटीक जानकारी के आधार पर सुरक्षा बलों ने हिजबुल मुजाहिदीन के तराल इलाके के कमांडर सब्ज़ार अहमद बट को मार गिराया था. सब्ज़ार अहमद बट बुरहान वानी का उत्तराधिकारी बताया गया था. उसके बाद जून में लश्कर कमांडर जुनैद मट्टू मारा गया फिर जुलाई में लश्कर का बेहद वांटेड आतंकी बशीर लश्करी एनकाउंटर में मारा गया. ये सब सूचनाएं जम्मू-कश्मीर पुलिस की थीं जिन पर सुरक्षा बलों ने कार्रवाई की थी.
VIDEO: मारा गया अबु दुजाना
बहरहाल सुरक्षा बलों की फाइलों में दुजाना सबसे लंबा जीने वाला पाकिस्तानी आतंकी बताया जाता है. आम तौर पर एक आतंकी कमांडर की शेल्फ़ लाइफ़ 2-3 साल होती है लेकिन ये सात साल तक पुलिस को चकमा देता रहा. इस संबंध में एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है, "घाटी में हर साल आतंकी मारे जाते हैं लेकिन इस साल बहुत संगीन आतंकी मारे गए है." हालांकि अभी भी सुरक्षा बलों के आगे एक बहुत लंबा सफ़र है क्योंकि सिर्फ़ दक्षिण कश्मीर में क़रीब 90 और पूरी घाटी में 250 सक्रिय आतंकी हैं.
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने ये टीम कुछ महीने पहले ही बनाई थी, जब ये साफ़ हो चला था कि दक्षिण कश्मीर के कुछ इलाक़े आतंकी लिबरेटेड ज़ोन (आतंकियों से मुक्त) घोषित करने वाले हैं. सुरक्षा बल ने भी सबसे बड़ा अभियान दो महीने पहले इन्हीं इलाक़ों में चलाया था. लेकिन लोकल पब्लिक की वजह से उन्हें ज़्यादा कुछ कामयाबी नहीं मिली थी. "पुलवामा में ही लश्कर के दो गुट हैं, एक अबु दुजाना का था और एक अयूब लोन का. हम लोग दोनों को ट्रैक कर रहे थे, पहले दुजाना हाथ लग गया," एक अधिकारी ने बताया जो सीधा इस ऑपरेशन से जुड़ा हुआ था.
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दुजाना एक पाकिस्तानी आतंकी था इसीलिए एक हाई वैल्यू टारगेट था. जबकि अयूब लोन एक लोकल आतंकी है. पुलिस के लिए ये ऑपरेशन मुश्किल इस लिहाज़ से था क्योंकि जिस इलाक़े यानी हकिरपोरा में दुजाना की लोकेशन आ रही थी वो भीड़-भाड़ वाला इलाक़ा है.
जब मिली लोकेशन
दुजाना जिस घर में था उसकी जानकारी जम्मू-कश्मीर पुलिस की ह्यूमन इंटेलिजेन्स से मिली और ये जानकारी उन जवानों को दी गई जो ऑपरेशन के पहले घेराबंदी में थे. इस संबंध में ऑपरेशन में गए एक अफ़सर ने कहा, "ये एक क्लीन ऑपरेशन था हमें पता था दुजाना किस घर में है,"
सिर्फ़ चार घंटे में दुजाना के मारे जाने की पुष्टि भी हो गई. हालांकि इस ऑपरेशन में एक नागरिक की जान गई. "हर ऑपरेशन में सुरक्षा बल हिस्सा लेते हैं इस बार जब बल पीछे रहे थे तो उस दौरान एक शख़्स मारा गया," उस अधिकारी ने कहा. हालांकि इस बार प्रशासन ने इस बात का पूरा ख़याल रखा कि यहां की तस्वीरें वायरल ना हों और ना ही एनकाउंटर साइट पर ज़्यादा लोग एकत्र हों. इस अधिकारी ने समझाया, "इलाक़े में इंटरनेट बंद कर दिया गया था. इससे ये फ़ायदा हुआ कि लोग ना तस्वीरें शेयर कर सके और ना ही जानकारी जब तक सुरक्षा बल हट नहीं गए."
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ये इसीलिए अहम था क्योंकि घाटी में ये पैटर्न बन गया है कि वाट्सएप के ज़रिये लोग लोगों को इत्तला देते हैं और हुजूम इकट्ठा हो जाता है और जब सुरक्षा बल इलाक़े को ख़ाली कर रहे होते हैं तो पत्थरबाज़ी के चलते कैजुअल्टी का आंकड़ा बढ़ जाता है. बहरहाल इस कोर टीम की सफलता का ही नतीजा है कि दक्षिण कश्मीर में पिछले सात महीनों में 39 आतंकी ढेर किए जा चुके हैं. इस कोर टीम के अफसर ने NDTV इंडिया को बताया, "ये कोई आम आतंकी नहीं था, ये एरिया कमांडर था. पिन प्वाइंट जानकारी के कारण इसे मार गिराया गया."
सटीक निशाना
मई में सटीक जानकारी के आधार पर सुरक्षा बलों ने हिजबुल मुजाहिदीन के तराल इलाके के कमांडर सब्ज़ार अहमद बट को मार गिराया था. सब्ज़ार अहमद बट बुरहान वानी का उत्तराधिकारी बताया गया था. उसके बाद जून में लश्कर कमांडर जुनैद मट्टू मारा गया फिर जुलाई में लश्कर का बेहद वांटेड आतंकी बशीर लश्करी एनकाउंटर में मारा गया. ये सब सूचनाएं जम्मू-कश्मीर पुलिस की थीं जिन पर सुरक्षा बलों ने कार्रवाई की थी.
VIDEO: मारा गया अबु दुजाना
बहरहाल सुरक्षा बलों की फाइलों में दुजाना सबसे लंबा जीने वाला पाकिस्तानी आतंकी बताया जाता है. आम तौर पर एक आतंकी कमांडर की शेल्फ़ लाइफ़ 2-3 साल होती है लेकिन ये सात साल तक पुलिस को चकमा देता रहा. इस संबंध में एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है, "घाटी में हर साल आतंकी मारे जाते हैं लेकिन इस साल बहुत संगीन आतंकी मारे गए है." हालांकि अभी भी सुरक्षा बलों के आगे एक बहुत लंबा सफ़र है क्योंकि सिर्फ़ दक्षिण कश्मीर में क़रीब 90 और पूरी घाटी में 250 सक्रिय आतंकी हैं.
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