पंजाब की राजनीति में एक बार फिर साफ संदेश सामने आया है. हाल ही में हुए ब्लॉक समिति और जिला परिषद चुनावों के नतीजों ने यह साबित कर दिया है कि ग्रामीण पंजाब में आम आदमी पार्टी के पक्ष में जबरदस्त लहर है. लगभग 70 प्रतिशत सीटों पर जीत केवल एक चुनावी आंकड़ा नहीं है, बल्कि यह मुख्यमंत्री सरदार भगवंत मान के नेतृत्व वाली सरकार के कामों पर जनता की खुली मुहर है.
राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और मुख्यमंत्री भगवंत मान की प्रेस कॉन्फ्रेंस में जो तस्वीर उभरकर सामने आई, वह बेहद स्पष्ट थी. सरकार के लगभग चार साल पूरे होने वाले हैं. आमतौर पर इस दौर में एंटी-इंकम्बेंसी की चर्चा होती है, लेकिन पंजाब में तस्वीर उलटी दिखाई दी=. यहां प्रो-इंकम्बेंसी साफ नजर आई, जहां लोगों ने सरकार के कामों को याद रखते हुए वोट दिया.
इन नतीजों की सबसे बड़ी खासियत यह रही कि चुनाव पूरी तरह फ्री और फेयर हुए. हर चरण की वीडियोग्राफी, काउंटिंग की रिकॉर्डिंग और बेहद कम अंतर से जीती-हारी सीटें इस बात का प्रमाण हैं. 580 सीटें ऐसी रहीं, जहां जीत-हार का अंतर 100 वोट से कम था. इनमें से 261 सीटें आम आदमी पार्टी ने जीतीं, जबकि 319 सीटें विपक्ष के खाते में गईं. अगर सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग होता, तो इतनी करीबी सीटों पर विपक्ष की जीत संभव ही नहीं होती। 3, 4 या 5 वोट से कांग्रेस की जीत वाले उदाहरण यह साफ बताते हैं कि यह चुनाव निष्पक्षता की मिसाल हैं.
ग्रामीण पंजाब का यह भरोसा अचानक नहीं बना. इसकी जड़ें सरकार के उन फैसलों में हैं, जिनका असर सीधा जमीन पर दिखा. नशे के खिलाफ शुरू हुआ “युद्ध” पहली बार सिर्फ कागजों तक सीमित नहीं रहा. नशा तस्करों के घरों पर बुलडोजर चले, 25 हजार से ज्यादा गिरफ्तारियां हुईं और गांव-गांव में यह संदेश गया कि अब संरक्षण नहीं, कार्रवाई होगी.
किसानों के लिए दशकों पुराना सपना भी हकीकत बना. 70-75 साल बाद पहली बार नहरों का पानी खेतों तक पहुंचा. बिजली व्यवस्था में बदलाव ने किसानों और ग्रामीण परिवारों की दिनचर्या बदल दी. रात तीन बजे उठकर ट्यूबवेल चलाने की मजबूरी खत्म हुई और दिन में लगातार आठ घंटे की बिजली ने राहत दी. आज पंजाब के करीब 90 प्रतिशत घरों को मुफ्त बिजली मिल रही है, जिसने आम परिवार की जेब पर बोझ कम किया है.
इंफ्रास्ट्रक्चर के स्तर पर भी बदलाव दिखा. ग्रामीण इलाकों में 19 हजार किलोमीटर और कुल मिलाकर 83 हजार किलोमीटर सड़कों का निर्माण हो रहा है, वह भी पांच साल की गारंटी के साथ जो पहले कभी नहीं देखा गया. रोजगार के मोर्चे पर 58 हजार से ज्यादा युवाओं को बिना रिश्वत और सिफारिश के सरकारी नौकरी मिली. मुख्यमंत्री द्वारा खुद नियुक्ति पत्र बांटना इस बदलाव का प्रतीक बन गया.
शिक्षा और स्वास्थ्य में भी सरकार की प्राथमिकताएं साफ रहीं. स्कूलों में बदलाव, करीब एक हजार मोहल्ला क्लीनिक और सरकारी अस्पतालों में बेहतर इलाज ने आम आदमी को भरोसा दिया. अब हर परिवार को 10 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा देने की तैयारी है, जिसके कार्ड जनवरी से बनना शुरू होंगे.
पर्यावरण और प्रदूषण के मुद्दे पर भी पंजाब ने तथ्यों के साथ बात रखी. जब पंजाब का AQI 70 से 100 के बीच है और पराली नहीं जल रही, तब दिल्ली के प्रदूषण का ठीकरा पंजाब पर फोड़ना सच्चाई से मुंह मोड़ने जैसा है. सवाल यह है कि जब राजधानी गैस चैंबर बन रही हो और केंद्र सरकार की तरफ से गंभीरता न दिखे, तो समाधान कैसे निकलेगा?
इन तमाम मुद्दों के बीच ग्रामीण चुनावों के नतीजे एक जनमत संग्रह जैसे बन गए हैं। यह समर्थन किसी मजबूरी का नहीं, बल्कि संतोष और भरोसे का है. पंजाब की जनता ने यह साफ कर दिया है कि जब सरकार काम करती है, पारदर्शिता रखती है और जनता की जिंदगी में वास्तविक बदलाव लाती है, तो उसे पूरा समर्थन मिलता है. भगवंत मान के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी की यह जीत केवल राजनीतिक सफलता नहीं, बल्कि एक मजबूत जनविश्वास की कहानी है.
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