आम आदमी पार्टी (आप) ने हाल ही में दिल्ली विधानसभा चुनाव में भारी जीत के बाद सरकार बनाई थी। लेकिन उसी पार्टी ने अपने दो महत्वपूर्ण नेताओं 'योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण' को शनिवार को राष्ट्रीय कार्यकारिणी से निकाल दिया। पार्टी ने योगेंद्र के समर्थकों 'आनंद कुमार और अजीत झा' को भी 21 सदस्यीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी से हटा दिया है।
योगेंद्र ने बैठक से बाहर आने के बाद कहा, 'राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में लोकतंत्र की हत्या हुई है।' वहीं प्रशांत ने कहा कि जो लोग केजरीवाल से असमत थे, उन्हें पीटा गया और उन्हें बैठक से निकाल दिया गया।
योगेंद्र और प्रशांत ने केजरीवाल को एक अराजक व्यक्ति करार दिया और उन पर पार्टी के सिद्धांतों से दूर जाने का आरोप लगाया। दूसरी तरफ आप ने उन पर दिल्ली चुनाव में पार्टी को हराने की कोशिश का आरोप लगाया है।
राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में करीब 300 लोग मौजूद थे, जहां दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने योगेंद्र और प्रशांत को हटाने का प्रस्ताव पेश किया। प्रस्ताव के साथ ही 2012 में अस्तित्व में आई पार्टी के दो प्रमुख संस्थापक सदस्य राष्ट्रीय कार्यकारिणी से हटा दिए गए।
'आप' के कई कार्यकर्ता भी बैठक स्थल के बाहर मौजूद थे। जिनके हाथों में योगेंद्र और प्रशांत के विरोध में लिखी तख्तियां मौजूद थीं और उनका कहना था कि वे पार्टी के हित में वहां आए हैं। एक तख्ती पर लिखा था, 'एकजुट रहें' और दूसरे पर लिखा था 'अरविंद केजरीवाल हम आपके साथ हैं।'
'आप' के राष्ट्रीय सचिव पंकज गुप्ता ने कहा कि 247 सदस्यों ने चार सदस्यों को राष्ट्रीय कार्यकारिणी से हटाने के पक्ष में वोट किया। उन्होंने कहा कि सिर्फ आठ ने ही विरोध किया, जबकि दो ने लिखित विरोध दर्ज कराया। 54 सदस्यों ने कोई राय जाहिर नहीं की।
योगेंद्र ने इससे पहले बैठक के दौरान उन्हें हटाने के लिए सही तरीके से वोटिंग न कराने का दावा किया था। उन्होंने कहा, 'यह लोकतंत्र की हत्या है। सदस्यों और आगंतुकों में कोई अंतर नहीं था। मनीष ने घोषणा की कि उनके पास 160 लोगों के हस्ताक्षर सहित अर्जी है। न कोई वोटिंग हुई, न बहस।'
योगेंद्र ने कहा, 'वहां कई लोग इसका विरोध कर रहे थे। उन्हें एक बार मौका भी नहीं दिया गया। यह लोकतंत्र का माखौल है।' सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत ने दावा किया कि बैठक की पटकथा पहले से तैयार कर ली गई थी।
प्रशांत ने कहा, 'जो कुछ हुआ, वह पूर्व नियोजित था। ऐसा लगता है कि सबकुछ पहले से लिखा गया था।' AAP नेता संजय सिंह ने बैठक के दौरान हुई मारपीट से इंकार किया। उन्होंने बैठक के बाद मीडिया से कहा, 'कोई हिंसा नहीं हुई। किसी को कोई चोट नहीं आई।'
योगेंद्र और प्रशांत ने पांच मांगों - पार्टी के अंदर पारदर्शिता, पार्टी की स्थानीय इकाइयों को स्वायत्तता, भ्रष्टाचार की जांच के लिए लोकपाल, 'आप' के अंदर आरटीआई के इस्तेमाल और मुख्य मामलों में गुप्त मतदान- पर जोर दिया।
दिल्ली में सरकार बनाने के बाद से ही 'आप' आंतरिक कलह से जूझ रही है और योगेंद्र तथा प्रशांत केजरीवाल के खिलाफ खड़े हो गए हैं। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर आनंद कुमार ने कहा कि वे पार्टी नहीं छोड़ेंगे। उन्होंने कहा, 'केजरीवाल ने कहा कि हमने चुनाव में गड़बड़ी की, और सदस्यों से पूछा कि हमें बाहर किया जाना चाहिए या नहीं। लेकिन उन्होंने हमें बोलने नहीं दिया।'
आनंद ने कहा, 'हम पार्टी से बाहर नहीं हैं। हम न पार्टी छोड़ेंगे न तोड़ेंगे। यह कार्यकर्ताओं की पार्टी है।' उन्होंने कहा कि योगेंद्र के एक समर्थक मारपीट के दौरान घायल हुए हैं।
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