फर्जीवाड़े को रोकने के लिए सरकार ने डेथ सर्टिफिकेट के लिए आधार को अनिवार्य कर दिया है
नई दिल्ली:
अभी तक तो जीवन के साथ और जीवन के बाद भी चलने का वादा सिर्फ भारतीय जीवन बीमा निगम ही किया करता था, लेकिन अब आधार कार्ड भी हमारे जीवन के साथ-साथ जीवन के बाद भी काम आने जा रहा है. केंद्र सरकार ने फैसला लिया है कि एक अक्टूबर से डेथ सर्टिफिकेट के लिए आधार नंबर दर्ज करना होगा, तभी डेथ सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा.
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शुक्रवार को गृह मंत्रालय ने यह फैसला लिया है. सरकार का दावा है कि इससे कदम से पहचान संबंधी फर्जीवाड़े पर अंकुश लगेगा. गृह मंत्रालय का यह नया फरमान पहली अक्टूबर से पूरे देश में लागू होगा. जम्मू-कश्मीर, असम और मेघालय को इससे फिलहाल दूर रखा गया है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत काम करने वाले महापंजीयक कार्यालय की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया कि मृतक की पहचान स्थापित करने के मकसद से मृत्यु प्रमाण-पत्र आवेदन में आवेदक को मृतक का आधार नंबर या एनरोलमेंट आईडी नंबर मुहैया कराना होगा.
बहरहाल, यदि आवेदक को मृतक के आधार नंबर या एनरोलमेंट आईडी नंबर के बारे में पता नहीं है तो उसे एक प्रमाण-पत्र देकर बताना होगा कि उसकी जानकारी में मृत व्यक्ति के पास कोई आधार नंबर नहीं है.
महापंजीयक कार्यालय ने कहा कि आधार के इस्तेमाल से मृतक के रिश्तेदारों/आश्रितों/परिचितों की ओर से दिए गए ब्योरे की सत्यता सुनिश्चित हो सकेगी. इससे पहचान संबंधी धोखाधड़ी पर भी लगाम लगाई जा सकेगी.
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डेथ सर्टिफिकेट हासिल करने वाले को मृतक का आधार नंबर या फिर आधार का पंजीकरण दर्ज कराना होगा. जिसके पास आधार नंबर नहीं है उस पर गृह मंत्रालय का कहना है कि ऐसे में डेथ सर्टिफिकेट में यह दर्ज रहेगा कि मृतक का आधार कार्ड नहीं है. इसके अलावा सरकार ने यह भी कहा है कि इस बारे में कोई भी गलत जानकारी देना एक अपराध माना जाएगा. मृतक के आधार के साथ-साथ उसके करीब सदस्य जैसे, पति-पत्नी, माता-पिता या फिर बेटा-बेटी का भी आधार नबंर डेथ सर्टिफिकेट के लिए दर्ज कराना होगा.
गृह मंत्रालय के तहत कार्य करने वाले रजिस्ट्रार जनरल के कार्यालय ने कहा कि आधार का उपयोग रिश्तेदारों या आश्रितों या मृतकों की परिचितों के परिजनों द्वारा दिए गए विवरण की सटीकता सुनिश्चित करने में होगा.
VIDEO: क्या निजता के लिए नया क़ानून बने? यह पहचान धोखाधड़ी को रोकने के लिए एक प्रभावी तरीका प्रदान करेगा. यह मृत व्यक्ति की पहचान दर्ज करने में भी मदद करेगा. इसके अलावा, यह मृत व्यक्ति की पहचान को साबित करने के लिए कई दस्तावेज तैयार करने की आवश्यकता को खत्म कर देगा.
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शुक्रवार को गृह मंत्रालय ने यह फैसला लिया है. सरकार का दावा है कि इससे कदम से पहचान संबंधी फर्जीवाड़े पर अंकुश लगेगा. गृह मंत्रालय का यह नया फरमान पहली अक्टूबर से पूरे देश में लागू होगा. जम्मू-कश्मीर, असम और मेघालय को इससे फिलहाल दूर रखा गया है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत काम करने वाले महापंजीयक कार्यालय की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया कि मृतक की पहचान स्थापित करने के मकसद से मृत्यु प्रमाण-पत्र आवेदन में आवेदक को मृतक का आधार नंबर या एनरोलमेंट आईडी नंबर मुहैया कराना होगा.
बहरहाल, यदि आवेदक को मृतक के आधार नंबर या एनरोलमेंट आईडी नंबर के बारे में पता नहीं है तो उसे एक प्रमाण-पत्र देकर बताना होगा कि उसकी जानकारी में मृत व्यक्ति के पास कोई आधार नंबर नहीं है.
महापंजीयक कार्यालय ने कहा कि आधार के इस्तेमाल से मृतक के रिश्तेदारों/आश्रितों/परिचितों की ओर से दिए गए ब्योरे की सत्यता सुनिश्चित हो सकेगी. इससे पहचान संबंधी धोखाधड़ी पर भी लगाम लगाई जा सकेगी.
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डेथ सर्टिफिकेट हासिल करने वाले को मृतक का आधार नंबर या फिर आधार का पंजीकरण दर्ज कराना होगा. जिसके पास आधार नंबर नहीं है उस पर गृह मंत्रालय का कहना है कि ऐसे में डेथ सर्टिफिकेट में यह दर्ज रहेगा कि मृतक का आधार कार्ड नहीं है. इसके अलावा सरकार ने यह भी कहा है कि इस बारे में कोई भी गलत जानकारी देना एक अपराध माना जाएगा. मृतक के आधार के साथ-साथ उसके करीब सदस्य जैसे, पति-पत्नी, माता-पिता या फिर बेटा-बेटी का भी आधार नबंर डेथ सर्टिफिकेट के लिए दर्ज कराना होगा.
गृह मंत्रालय के तहत कार्य करने वाले रजिस्ट्रार जनरल के कार्यालय ने कहा कि आधार का उपयोग रिश्तेदारों या आश्रितों या मृतकों की परिचितों के परिजनों द्वारा दिए गए विवरण की सटीकता सुनिश्चित करने में होगा.
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