शांति के एक लंबे दौर के बाद संदिग्ध उग्रवादियों ने उत्तर-पूर्व भारत में एक बार फिर सुरक्षाबलों को निशाना बनाया है. रविवार सुबह म्यांमार से लगती सीमा पर स्थित चांगलांग जिले में असम राइफल्स के जवानों को निशाना बनाया गया. पुलिस ने बताया कि सुबह 9:40 बजे के करीब घात लगाकर किए गए हमले में एक जवान शहीद हो गया जबकि एक अन्य घायल हो गया. घटना जिले के जयरामपुर पुलिस थाना क्षेत्र के टेंगमो गांव में हुई जो कि राजधानी इटानगर से करीब 300 किलोमीटर दूर है. यह इलाका मोनमाओ के हेटलोंग गांव के करीब है. चांगलांग जिले के पुलिस प्रमुख ने NDTV को बताया कि घटना रविवार सुबह हुई. एक जवान शहीद हो गया जबकि एक अन्य घायल है. क्षेत्र में बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चलाया जा रहा है और हमने आतंकरोधी ऑपरेशन भी शुरू कर दिया है.'
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सैन्य खुफिया सूत्रों के अनुसार, परेश बरुआ के नेतृत्व वाले उल्फा के स्वतंत्र धड़े और एनएससीएन (खपलांग गुट) के 30-35 उग्रवादी इस मुठभेड़ के पीछे हैं क्योंकि NSCN (IM) गुट के अलावा इन दोनों गुटों के उग्रवादी इस इलाके में सक्रीय हैं.
खुफिया सूत्रों ने बताया, 'उग्रवादियों ने घात लगाकर हमला किया और जब उन्होंने देखा कि असम राइफल्स के पानी के एक टैंकर को अपने करीब आते देखा तो उन्होंने उसपर ग्रेनेड फेंके और ऑटोमेटिक हथियारों सें उसपर गोलियां बरसाकर छलनी कर दिया. इसमें असम राइफल्स का एक जवान शहीद हो गया जबकि एक अन्य घायल हो गया.'
11 जुलाई को म्यांमार की सीमा से लगते अरुणाचल प्रदेश के लोंगडिंग जिले में सुरक्षाबलों ने भूमिगत नगा गुट NSCN (IM) के कम से कम 6 उग्रवादियों को मार गिराया था.
अरुणाचल प्रदेश के तीन जिले - तिराप, लोंगडिंग और चांगलांग, जिनकी सीमा म्यांमार से लगती है, में लंबे समय तक अफस्पा [Armed Forces (Special Powers) Act] के अधीन हैं जो कि सुरक्षा बलों को असीम ताकत देता है जिसमें गोली मारने का अधिकार भी शामिल है.
ये क्षेत्र न केवल एक पारगमन मार्ग रहे हैं, बल्कि असम और नगालैंड के कई प्रतिबंधित आतंकवादी समूहों के लिए ऑपरेशन के क्षेत्र भी रहे हैं.
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पिछले साल, घात लगाकर किए गए भीषण हमले में, अरुणाचल प्रदेश के खोंसा के तत्कालीन विधायक त्रिओंग अबो और 10 अन्य लोग मारे गए थे.
पिछले महीने राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (NIA) ने NSCN-(IM) दो मोस्ट वांटेड कमांडरों अपेम और अबसोलोन थांगकुल पर नकद इनाम भी घोषित किया था. यह गुट 1997 से केंद्र के साथ शांति वार्ता में शामिल रहा है.
सभी प्रतिबंधित उग्रवादी समूहों के पास अभी भी म्यांमार में ठिकाने हैं और सुरक्षा बलों पर हमले करने के लिए वो चुपके से सीमा पार कर घुस आते हैं.
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