प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज रात कहा कि देश की खुशहाली के लिए अच्छा पड़ोसी होना महत्वपूर्ण है और इसके अभाव में देश समृद्धि के बावजूद शांति से नहीं रह सकता।
प्रधानमंत्री की इस टिप्पणी को पड़ोसी मुल्कों चीन और पाकिस्तान के संदर्भ में देखा जा सकता है। उन्होंने भूटान को इस बात की याद दिलाते हुए यह टिप्पणी कि उसकी खुशहाली के कारणों में से एक उसके पास भारत जैसा अच्छा पड़ोसी होना भी है।
भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे की ओर से आयोजित भोज में भाग लेने के दौरान मोदी ने कहा, 'खुशहाली की गारंटी के लिए यह महत्वपूर्ण है कि आपको कैसे पड़ोसी मिलते हैं। कभी-कभी आपको ऐसे पड़ोसी मिलते हैं कि सारी खुशहाली और समृद्धि होते हुए भी आप शांति से नहीं रह सकते हैं।'
हालांकि मोदी ने किसी देश का नाम नहीं लिया, लेकिन उनकी इस टिप्पणी को चीन और पाकिस्तान के संदर्भ में देखा जा सकता है, क्योंकि इनकी वजह से आर्थिक समृद्धि के बावजूद भारत को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बाद अपने पहले विदश दौरे के लिए मोदी ने भूटान को चुना है। दो दिन के दौरे पर यहां आए प्रधानमंत्री ने भूटान को आश्वस्त किया कि नयी दिल्ली में सरकार बदलने के बावजूद भारत उसे विशेष तरजीह देना जारी रखेगा। उनका यह आश्वासन काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि हाल के दिनों में चीन भूटान को अपने प्रभाव में लेने का प्रयास करता रहा है।
मोदी ने आज रात भूटान को आश्वासन दिया कि भले ही दिल्ली में सरकार बदल गयी हो लेकिन भारत उसकी खुशहाली एवं प्रगति के लिए प्रतिबद्ध है । उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए शांति, सुरक्षा, विकास एवं पर्यटन जैसे क्षेत्रों पर पर ध्यान देने को अधिक बल दिया।
भूटान के प्रधानमंत्री द्वारा आयोजित भोज में मोदी ने कहा कि दोनों देशों के बीच गौरवपूर्ण पारंपरिक संबंधों को देखते हुए भारत एवं भूटान एक दूसरे के लिए बने हैं। उन्होंने कहा, 'मैंने पहले कहा था कि बी के लिए बी (भारत के लिए भूटान और भूटान के लिए भारत)। मैंने इसे वैसे ही कह दिया था, लेकिन फिर मुझे यह महसूस किया कि मैंने शुभसंकेत के रूप में ऐसा कहा।'
सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की बजाय सकल राष्ट्रीय प्रसन्नता (ग्रॉस नेशनल हैपीनैस) पर जोर देने की भूटान की अनूठी प्रवृत्ति की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे मापने का एक पैमाना यह विचार हो सकता है कि उसका भारत जैसा पड़ोसी है।
मोदी ने कहा, 'भूटान की प्रसन्नता के मानकों में से एक यह भी है कि उसके पास भारत जैसा मित्र है। यह प्रसन्नता का एक महत्वपूर्ण मानक है। मैं इसे दृढ़ता से मानता हूं क्योंकि हम जानते हैं कि पड़ोसियों के क्या फायदे होते हैं और पड़ोसियों से क्या नुकसान होते हैं। हम इसे बहुत अच्छी तरह जानते हैं। यही कारण है कि एक अच्छा पड़ोसी प्रसन्नता का एक बड़ा कारण होता है और इससे प्रगति का अवसर मिलता है।'
प्रधानमंत्री ने इस बात को रेखांकित किया कि भारत एवं भूटान न केवल जमीनी सीमा को साझा करते हैं बल्कि उनकी गौरवपूर्ण सांस्कृतिक परंपराएं हैं जिससे ये रिश्ते अनूठे हो जाते हैं। मोदी ने कहा, 'हमारे पासपोर्ट का रंग भले ही भिन्न हो है लेकिन हमारी सोच समान है..भारत भूटान की खुशहाली और प्रगति के लिए प्रतिबद्ध है।'
प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए भूटान को चुना है ताकि उसे यह संकेत दिया जा सके कि उसके साथ भारत विशेष व्यवहार करता है। उन्होंने कहा, 'भारत भूटान के साथ है, उसकी सफलता के साथ, उसकी खुशहाली के साथ और वह भूटान का साथ देता रहेगा। भारत में भले ही सरकार बदली हो लेकिन हमें अपनी सांस्कृतिक परंपरा को जारी रखने की जरूरत है। हमें शांति की परंपरा को बरकरार रखना है तथा भारत एवं भूटान के बीच संबंधों को मजबूती देनी है।'
मोदी ने भूटान नरेश और वहां की सरकार की कठिनाइयों के बावजूद देश की प्रगति सुनिश्चित करने के लिए सराहना की तथा कहा कि भारत इसके लिए योगदान देना जारी रखेगा। मोदी ने आज सुबह इस देश में पहुंचने के बाद मिले भव्य स्वागत का उल्लेख करते हुए कहा, 'मैं इसे पूरे जीवन याद रखूंगा।'
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