बिहार में शुक्रवार की सुबह स्कूल के लिए निकले शिक्षकों से भरी नाव रास्ता भटक गई. सहरसा में रोज की तरह नाव नवहट्टा के ई -2 घाट से सुबह 7 बजे खुली. नाव पर कई विद्यालयों के लगभग 17 से 18 शिक्षक सवार थे. 40 से 45 मिनट में उसे परताहा पहुंचना था. लेकिन नदी में कोहरा होने के कारण वह भटककर चार किलोमीटर दूर दूसरी दिशा में चली गई. रोज की तरह तय समय पर परताहा नहीं पहुंचने पर नाविक सहित सवार शिक्षकों को चिंता हुई. जिसके बाद नाविक को मालूम हुआ कि वो रास्ता भटक गए इसके बाद नाव परताहा के लिए निकली. शुक्रवार को शिक्षक पौने आठ बजे की जगह साढ़े दस बजे के बाद ही पहुंच सके.
बारिश से बढ़ा नदियों का जलस्तर
रास्ता भटकने वाली प्राइवेट नाव रजिस्टर्ड है. जो कि 40 से 45 मिनट की यात्रा के लिए प्रत्येक शिक्षक हर फेरे के लिए 100 रूपये भाड़ा देते हैं. बिहार में लगातार बारिश के बाद कई नदियों का जलस्तर बढ़ गया है. जिस वजह से बिहार के निचले इलाकों में पानी भर गया. कई जगहों पर तो लोग एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए नाव का सहारा ले रहे हैं. बिहार में अधिकतर नदियों के जलस्तर वृद्धि जारी है जिसके कारण नदियां निचले इलाकों को अपनी चपेट में ले रही हैं. पूर्वी चंपारण, गोपालगंज और पश्चिमी चंपारण जिलों में गंडक और बूढ़ी गंडक नदी सहित अन्य नदियां या तो अपने खतरे के स्तर से ऊपर बह रही हैं या कुछ स्थानों पर खतरे के निशान के करीब हैं.
बिहार में कौन-कौन सी नदी उफान पर
पिछले कुछ दिनों में हुई बारिश के कारण राज्य में गंडक, कोसी, गंगा, बूढ़ी गंडक, महानंदा और कमला नदियों का जलस्तर बढ़ा है. राज्य के गोपालगंज, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, बगहा, पूर्णिया, सुपौल, दरभंगा, खगड़िया और झंझारपुर में कुछ स्थानों पर नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. गंडक नदी पर बने वाल्मीकिनगर बैराज में पानी के बढ़ते दबाव को देखते हुए 'बृहस्पतिवार को बैराज के कुछ द्वार खोल दिए गए जिससे पानी का बहाव तेजी से शुरू हो गया, जो आज 2.33 लाख क्यूसेक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया.'' इसी तरह कोसी नदी का उफान भी लोगों को डरा रहा है.
(भाषा इनपुट्स के साथ)
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