उत्तर प्रदेश के आगरा (Uttar Pradesh's Agra)में एक पांच साल की बच्ची (five-year-old girl)की मौत के बाद परिजनों ने भूख को इसका कारण बताया था. दूसरी ओर, घटना के तीन दिन बाद जिला प्रशासन ने मौत और बच्ची के परिवार के गरीब होने की बात तो मानी है लेकिन यह भी दावा किया है कि भुखमरी नहीं बल्कि बीमारी इस बच्ची की मौत का कारण थी. गौरतलब है कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने पांच साल की इस बच्ची की कथित तौर पर भूख और बीमारी से हुई मौत के मामले में मीडिया में आई रिपोर्ट के आधार पर स्वत: संज्ञान लेते हुए रविवार को उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
आयोग ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को भेजे नोटिस में चार हफ्ते में प्रशासन द्वारा पीड़ित परिवार के पुनर्वास और लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई के मामले में रिपोर्ट देने को कहा है. NHRC ने कहा कि मुख्य सचिव से उम्मीद की जाती है कि वह सभी जिलाधिकारियों को निर्देश जारी करेंगे ताकि भविष्य में इस तरह की क्रूर और लापरवाही की घटना दोबारा नहीं हो. गौरतलब है कि मीडिया में खबर आई थी कि परिवार के कमाने वाले सदस्य के तपेदिक के शिकार होने की वजह से बच्ची को भोजन एवं इलाज नहीं मिल पाया और तीन दिन तक बुखार से ग्रस्त होने के बाद शुक्रवार को उसकी मौत हो गई.
मामले में जवाब देते हुए आगरा के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट ने सोमवार को 90 सेकंड के वीडियो में दावा किया कि बच्ची की मौत बीमारी की वजह से हुई. पांच साल की बच्ची की जिस दिन मौत हुई, उस दिन उसे दूध पिलाया गया था. वीडियो में डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट ने कहा, 'हमें पता चला है कि बच्ची को उल्टियां हो रही थी और उसे छह दिन से डायरिया था. जिस दिन बच्ची की मौत हुई थी, उस दिन उसने दूध किया था लेकिन उसे उल्टी हो गई. बच्ची की मां दैनिक मजदूर के तौर पर काम करती है. जब तक वह घर पहुंची, बच्ची की मौत हो चुकी थी. परिवार गरीब है लेकिन बच्ची की मौत बीमारी की वजह से हुई है.'
लड़की के परिवार ने मीडिया को बताया था कि वह अपपने माता-पिता और बहन के साथ आगरा के नागला विधिचंद गांव में रह रही थी. रिपोर्टों के अनुसार, बच्ची का परिवार के पास करीब एक माह से काम नहीं था और बीमारी के कारण उसके पिता भी काम करने में असमर्थ हैं. मृत बच्ची की बहन पूजा ने मीडिया को शुक्रवार को बताया था, 'घर में खाने के लिए कुछ भी नहीं था, एक टुकड़ा भी नहीं. हम पड़ोसियों से इसके लिए मदद मांगते थे या फिर जल्दी सो जाते थे. मेरे एक भाई की नोटबंदी के दौरान मौत हो चुकी है.' परिवार ने यह भी दावा किया है कि न तो उनके पास भोजन है और न ही राशनकार्ड. सात हजार रुपये का बिजली का बिल नहीं चुका पाने के कारण घर की बिजली भी एक साल पहले काट दी गई थी.रविवार को कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने सोशल मीडिया पर इस घटना के बारे में लिखा. उन्होंने गरीबों की आवाज और चिंताओं पर ध्यान नहीं रख पाने के लिए यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार की नाकामी को लेकर भी निशाना साधा. (भाषा से भी इनपुट)
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