नई दिल्ली : नेपाल में भूकंप से विनाश के बीच विशेषज्ञों ने आज आगाह किया कि भूकंप के मामूली झटके से भी दिल्ली जैसे भारतीय शहरों में भारी तबाही आ सकती है। विशेषज्ञों के मुताबिक, दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता सहित 38 शहर सामान्य से लेकर उच्च श्रेणी के भूकंप संभावित क्षेत्र में आते हैं।
एनडीएमए के उपाध्यक्ष शशिधर रेड्डी ने बताया कि भूकंप बड़ी चिंता का विषय है। भारतीय भूमि का 58.6 प्रतिशत भाग भूकंप से अतिसंवेदनशील है और देश के 38 शहर सामान्य से लेकर उच्च श्रेणी के भूकंप संभावित क्षेत्र में आते हैं।
गौरतलब है कि दिल्ली, चेन्नई, पुणे, ग्रेटर मुंबई, काच्च्चि, कोलकाता, तिरुवनंतपुरम, पटना, अहमदाबाद और देहरादून जैसे कुछ ऐसे शहर हैं जो भूकंप से अतिसंवेदनशील हैं।
दूसरी तरफ ‘सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट’ (सीएसई) ने भारतीय भवनों की हालत और गुणवत्ता के 'खराब' होने का जिक्र करते हुए कहा कि भारत में भूकंप के बिना ही कई इमारतों के गिरने की घटनाएं होती हैं और दिल्ली में 70-80 फीसदी भवनों में नियमन का उल्लंघन हुआ है।
सीएसई के वरिष्ठ शोधकर्ता अविकल सोमवंशी ने कहा, 'विशेषज्ञों का अनुमान है कि मामूली तीव्रता के भूकंप से भी भारत खासकर दिल्ली जैसे बड़े शहरों में जानमाल का भारी नुकसान हो सकता है। दिल्ली में 90 फीसदी भवनों का निर्माण राजगीरों अथवा कांट्रेक्टर द्वारा किया गया है।' उन्होंने कहा, 'नए बने मकानों में भी कभी कभार ही राष्ट्रीय भवन संहिता-2015, दिल्ली के मास्टर प्लान-2021, भवनों से संबंधित कानूनों का पालन किया जाता है।'
साल 2006 में गठित तेजेंद्र खन्ना समिति का हवाला देते हुए सीएसई ने कहा कि समिति ने पाया कि 70-80 फीसदी ढांचों में भवन एवं विकास नियंत्रण नियमन का उल्लंघन किया गया। सोमवंशी ने कहा, 'जब भूकंप रोधी स्थिति की बात करते हैं तो उस संदर्भ में भारतीय भवनों की हालत और गुणवत्ता काफी खराब है।'
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