नई दिल्ली:
ई-रिक्शों की चार्जिंग कितनी खतरनाक हो सकती है, ये देखने को मिला दिल्ली में शाहदरा के मोहन पार्क इलाके में. यहां चार्जिंग के वक्त इमारत में आग लग जाने से तीन लोगों की मौत हो गई और 15 लोग घायल हो गए.मरने वालों में रजनी और उसकी 10 साल की बेटी करीना है, जो अपने तीन भाइयों के साथ भाई दूज मनाने आई थी.
चश्मदीद के मुताबिक कई लोगों को उन्होंने सीढ़ी लगाकर निकाला, क्योंकि ऊपर छत की तरफ जाने वाला दरवाजा बंद था. लोगों के मुताबिक इस चार-मंजिला मकान की पार्किंग में 11 ई-रिक्शे खड़े होते हैं, जो चार्ज हो रहे थे. चार्जिंग के दौरान ही आग की चिंगारी निकली. इससे पहले इमारत के नीचे खड़े वाहन जल गए और फिर पहली मंजिल को आग ने अपनी चपेट में ले लिया. दो लोग आग देखकर इमारत से कूद गए.
पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. जांच में पता चला है कि कुछ रिक्शे इसी इमारत में रहने वाला पप्पू के हैं और कुछ रिक्शे बाहर के लोगों के है, जो किराया देकर हर रोज रिक्शे चार्ज करते थे.
जानकारी के मुताबिक दिल्ली में डेढ़ लाख से ज्यादा ई-रिक्शे हैं, जिनमें हजार ही रजिस्टर्ड हैं. इनकी बैटरी की चार्जिंग को लेकर भी कोई दिशा-निर्देश नहीं हैं. चार्जिंग के लिए कोई चार्जिंग सेंटर नहीं है. ई-रिक्शा में दो बैटरी अगली सीट के नीचे और दो पिछली सीट के नीचे होती है. ई रिक्शे की एक बार बैटरी चार्ज होने में 7-8 यूनिट बिजली खर्च होती है. दिल्ली में हर साल ई-रिक्शों की बैटरी चार्ज करने में करीब 200 करोड़ रुपये की बिजली चोरी होती है.
जानकारों की मानें तो सस्ती और घटिया बैटरी की वजह से इस तरह के हादसे होते हैं. टॉक्सिक्स लिंक के निदेशक रवि अग्रवाल के मुताबिक लेड एसिड बैटरी में ओवर चार्ज करने या गलत तरीके से चार्ज करने से हाइड्रोजन गैस निकलती है, जिससे आग लग जाती है या स्पार्किंग होने लगती है.
चश्मदीद के मुताबिक कई लोगों को उन्होंने सीढ़ी लगाकर निकाला, क्योंकि ऊपर छत की तरफ जाने वाला दरवाजा बंद था. लोगों के मुताबिक इस चार-मंजिला मकान की पार्किंग में 11 ई-रिक्शे खड़े होते हैं, जो चार्ज हो रहे थे. चार्जिंग के दौरान ही आग की चिंगारी निकली. इससे पहले इमारत के नीचे खड़े वाहन जल गए और फिर पहली मंजिल को आग ने अपनी चपेट में ले लिया. दो लोग आग देखकर इमारत से कूद गए.
पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. जांच में पता चला है कि कुछ रिक्शे इसी इमारत में रहने वाला पप्पू के हैं और कुछ रिक्शे बाहर के लोगों के है, जो किराया देकर हर रोज रिक्शे चार्ज करते थे.
जानकारी के मुताबिक दिल्ली में डेढ़ लाख से ज्यादा ई-रिक्शे हैं, जिनमें हजार ही रजिस्टर्ड हैं. इनकी बैटरी की चार्जिंग को लेकर भी कोई दिशा-निर्देश नहीं हैं. चार्जिंग के लिए कोई चार्जिंग सेंटर नहीं है. ई-रिक्शा में दो बैटरी अगली सीट के नीचे और दो पिछली सीट के नीचे होती है. ई रिक्शे की एक बार बैटरी चार्ज होने में 7-8 यूनिट बिजली खर्च होती है. दिल्ली में हर साल ई-रिक्शों की बैटरी चार्ज करने में करीब 200 करोड़ रुपये की बिजली चोरी होती है.
जानकारों की मानें तो सस्ती और घटिया बैटरी की वजह से इस तरह के हादसे होते हैं. टॉक्सिक्स लिंक के निदेशक रवि अग्रवाल के मुताबिक लेड एसिड बैटरी में ओवर चार्ज करने या गलत तरीके से चार्ज करने से हाइड्रोजन गैस निकलती है, जिससे आग लग जाती है या स्पार्किंग होने लगती है.
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