बीते 112 दिन से जारी हिंसा की वजह से घाटी में विद्यालय बंद पड़े हुए हैं (फाइल फोटो)
श्रीनगर:
दक्षिण कश्मीर के एक गांव में अज्ञात तत्वों ने रविवार को एक स्कूल भवन को आग के हवाले कर दिया. कश्मीर में जारी हिंसा के बीच यह 25वां शिक्षण संस्थान है, जो आग की चपेट में आ चुका है. इन 25 संस्थानों में से अधिकांश सरकारी हैं और दक्षिण कश्मीर में स्थित हैं.
पुलिस ने बताया कि स्थानीय निवासियों ने अनंतनाग जिले के एशमुकाम स्थित केंद्रीय सरकार द्वारा संचालित जवाहर नवोदय विद्यालय में आग देखी. आग पर जल्द काबू पा लिया गया और भवन को किसी बड़े नुकसान से बचा लिया गया. अधिकारियों ने कहा कि उन असामाजिक तत्वों की पहचान कर ली गई है, जो एक सुनियोजित साजिश के तहत विद्यालयों में आग लगा रहे हैं.
बीते 112 दिन से जारी हिंसा की वजह से घाटी में विद्यालय बंद पड़े हुए हैं. इस हिंसा में अब तक 92 लोग मारे जा चुके हैं. विद्यालयों के लगातार बंद होने से बच्चे और अभिभावक परेशान हैं. खासकर 10 प्लस 2 में पढ़ने वाले बच्चे और उनके अभिभावक, क्योंकि इनकी अंतिम परीक्षा अक्टूबर-नवंबर में होनी होती है.
श्रीनगर के एक स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे के पिता ने कहा, '10 प्लस 2 के प्रदर्शन के आधार पर बच्चे प्रोफेशनल कोर्स की विभिन्न परीक्षाओं में बैठते हैं. यह परीक्षाएं पूरे देश में तयशुदा कार्यक्रम के तहत होती हैं. मेरे बेटे की वजह से यह कार्यक्रम तो बदलने वाला नहीं है.'
अलगाववादी अपने विरोध प्रदर्शन से स्कूल को अलग करने के लिए तैयार नहीं हैं. उनका कहना है कि अशांति के इस दौर में स्कूलों को खोलना बच्चों की जान को खतरे में डालना है. लेकिन, उनका कहना है कि विद्यालयों में आग लगाने की घटनाओं से उनका कोई वास्ता नहीं है. वरिष्ठ अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी ने कहा कि स्कूलों में आग लगाने वाले कश्मीर की जनता के दुश्मन हैं.
वहीं राज्य सरकार ने कहा है कि स्कूल खुलें या न खुलें, वह नवंबर के अंत तक सभी कक्षाओं की परीक्षा हर हाल में कराएगी. इन परीक्षाओं को अगले साल मार्च तक टालने की बच्चों और अभिभावकों की मांग को अनसुना कर दिया गया है.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
पुलिस ने बताया कि स्थानीय निवासियों ने अनंतनाग जिले के एशमुकाम स्थित केंद्रीय सरकार द्वारा संचालित जवाहर नवोदय विद्यालय में आग देखी. आग पर जल्द काबू पा लिया गया और भवन को किसी बड़े नुकसान से बचा लिया गया. अधिकारियों ने कहा कि उन असामाजिक तत्वों की पहचान कर ली गई है, जो एक सुनियोजित साजिश के तहत विद्यालयों में आग लगा रहे हैं.
बीते 112 दिन से जारी हिंसा की वजह से घाटी में विद्यालय बंद पड़े हुए हैं. इस हिंसा में अब तक 92 लोग मारे जा चुके हैं. विद्यालयों के लगातार बंद होने से बच्चे और अभिभावक परेशान हैं. खासकर 10 प्लस 2 में पढ़ने वाले बच्चे और उनके अभिभावक, क्योंकि इनकी अंतिम परीक्षा अक्टूबर-नवंबर में होनी होती है.
श्रीनगर के एक स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे के पिता ने कहा, '10 प्लस 2 के प्रदर्शन के आधार पर बच्चे प्रोफेशनल कोर्स की विभिन्न परीक्षाओं में बैठते हैं. यह परीक्षाएं पूरे देश में तयशुदा कार्यक्रम के तहत होती हैं. मेरे बेटे की वजह से यह कार्यक्रम तो बदलने वाला नहीं है.'
अलगाववादी अपने विरोध प्रदर्शन से स्कूल को अलग करने के लिए तैयार नहीं हैं. उनका कहना है कि अशांति के इस दौर में स्कूलों को खोलना बच्चों की जान को खतरे में डालना है. लेकिन, उनका कहना है कि विद्यालयों में आग लगाने की घटनाओं से उनका कोई वास्ता नहीं है. वरिष्ठ अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी ने कहा कि स्कूलों में आग लगाने वाले कश्मीर की जनता के दुश्मन हैं.
वहीं राज्य सरकार ने कहा है कि स्कूल खुलें या न खुलें, वह नवंबर के अंत तक सभी कक्षाओं की परीक्षा हर हाल में कराएगी. इन परीक्षाओं को अगले साल मार्च तक टालने की बच्चों और अभिभावकों की मांग को अनसुना कर दिया गया है.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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