साल 2016 के नारद स्टिंग ऑपरेशन केस में तृणमूल कांग्रेस (TMC) के तीन सांसदों पर मुकदमा चलाने के लिए CBI ने स्पीकर की अनुमति मांगी. सूत्रों ने यह जानकारी दी है. बता दें, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने नारद स्टिंग मामले के सिलसिले में बुधवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता मुकुल राय और तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य के डी सिंह से पूछताछ की थी. इस स्टिंग में तृणमूल के कुछ नेता एवं कुछ सरकारी अधिकारी एक कंपनी के प्रतिनिधि के रूप में खुद को पेश कर रहे एक पत्रकार से कथित रूप से पैसे लेते दिख रहे हैं. अधिकारियों के अनुसार राय दिल्ली सीबीआई मुख्यालय पहुंचे जहां उनसे पूछताछ के लिए कोलकाता से अधिकारियों की एक टीम आयी थी. राय तृणमूल छोड़ने से पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के विश्वासपात्र थे.
नारद स्टिंग मामले से जुड़ी प्राथमिकी में पूर्व तृणमूल नेता आरोपी हैं. उनसे सारदा चिटफंड मामले में अतीत में पूछताछ हुई थी. सीबीआई सूत्रों ने बताया कि राय से नारद मामले में पूछताछ की गयी लेकिन इन भाजपा नेता ने उससे भिन्न बात कही. उन्होंने पीटीआई भाषा से कहा कि उन्हें सीआरपीसी की धारा 160 के तहत सारदा मामले में गवाह के तौर पर पेश होने के लिए नोटिस दिया गया था. उन्होंने कहा, ‘उनके पास सारदा मामले को लेकर कुछ प्रश्न थे. मैंने उसके सारे प्रश्नों के उत्तर दिये. मैंने उनसे कहा कि जब भी उन्हें जरूरत हो, वे मुझे बुला सकते हैं.' राय ने कहा कि उनसे नारद मामले में कोई प्रश्न नहीं किया गया.
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सीबीआई ने राय के बारे में (मीडिया के) किसी भी सवाल का कोई आधिकारिक जवाब (प्रतिक्रिया) नहीं दिया. सीबीआई द्वारा 16 अप्रैल, 2017 को इस मामले में आरोपी नामजद किये जाने के कुछ महीने बाद वह भाजपा में शामिल हो गये थे. अधिकारियों के मुताबिक सीबीआई मुख्यालय में इस टीम ने इस मामले के सिलसिले में सिंह से भी पूछताछ की. जब सिंह से प्रतिक्रिया जानने के लिए उनके आधिकारिक नंबर पर संदेश भेजा गया तो उस पर कोई जवाब नहीं मिला. ये नंबर राज्यसभा की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं.
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सीबीआई ने तृणमूल कांग्रेस के 12 शीर्ष नेताओं तथा एक आईपीएस अधिकारी के खिलाफ मामला दर्ज किया था. अपनी प्राथमिकी में सीबीआई ने कहा है कि उसने अधिकारियों की पहचान कर ली है जो सैमुअल द्वारा दिये गये नकद को या तो लेते हुए या उसे उसकी तरफ से किसी अन्य को सौंप देने के लिए कहते हुए नजर आते हैं. सैमुअल चेन्नई की एक कंपनी के प्रतिनिधि के रूप में उनके पास पहुंचे थे. इस सिलसिले में रिश्वत और आपराधिक कदाचार से निपटने के लिए भ्रष्टाचार निरोधक कानून के प्रावधानों के तहत कथित साजिश को लेकर एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी. इन अपराधों के लिए अधिकतम सजा पांच से सात साल तक का कारावास है.
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