
- प्रवर्तन निदेशालय ने सहारा ग्रुप के कोर मैनेजमेंट ऑफिस के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर अनिल अब्राहम और प्रॉपर्टी डीलर जितेन्द्र वर्मा को PMLA के तहत गिरफ्तार किया है.
- जांच में पता चला कि सहारा ग्रुप की प्रॉपर्टी डील्स में बड़ी मात्रा में कैश का लेन-देन छुपाकर विदेश भेजा गया था, जिसमें दोनों आरोपियों की भूमिका थी.
- ईडी ने छापेमारी के दौरान डिजिटल और दस्तावेजी सबूत जुटाए हैं, जो साबित करते हैं कि प्रॉपर्टी गुपचुप तरीके से बेची गई और रकम विदेश पहुंचाई गई.
सहारा ग्रुप के चेयरमैन कोर मैनेजमेंट ऑफिस के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर अनिल वैलापरम्पिल अब्राहम और लंबे समय से जुड़े सहयोगी और प्रॉपर्टी डीलर जितेन्द्र प्रसाद वर्मा को प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार कर लिया है. यह गिरफ्तारी PMLA के तहत की गई है. ED की जांच में सामने आया है कि सहारा ग्रुप की कई प्रॉपर्टी डील्स में बड़ी मात्रा में कैश का लेन-देन हुआ था, जिसे छुपाकर बाहर भेजा गया. अनिल अब्राहम इन डील्स को कोऑर्डिनेट और फाइनेंस करने में अहम भूमिका निभा रहा था, जबकि जितेन्द्र वर्मा इन प्रॉपर्टी सौदों को अंजाम देने और कैश रूटिंग में सक्रिय थे.
ईडी ने छापेमारी के दौरान कई अहम डिजिटल और दस्तावेजी सबूत जुटाए हैं, जिनसे ये साबित होता है कि सहारा ग्रुप की प्रॉपर्टी को गुपचुप तरीके से एक-एक करके बेचा जा रहा था और इस बिक्री से आने वाली रकम को विदेश में बैठे ग्रुप प्रमोटर्स तक पहुंचाया जा रहा था.
कोर्ट ने ईडी की हिरासत में भेजा
गिरफ्तार दोनों आरोपियों को 12 जुलाई को कोलकाता की थर्ड चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें 14 जुलाई तक ईडी की हिरासत में भेज दिया गया है.
ईडी ने यह जांच ओडिशा, बिहार और राजस्थान पुलिस द्वारा दर्ज की गई तीन एफआईआर के आधार पर शुरू की थी. इन मामलों में आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी) और 120B (षड्यंत्र) के तहत मामला दर्ज हुआ था.
सहारा ग्रुप से जुड़ी 500 एफआईआर
अब तक सहारा ग्रुप से जुड़ी 500 से ज्यादा एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं, जिनमें 300 से ज्यादा मामले PMLA के तहत दर्ज हैं.
ईडी की जांच में खुलासा हुआ है कि सहारा ग्रुप की कंपनियां - हमारा इंडिया क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड, सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड, स्टार्स मल्टीपर्पस कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड, सहारा यूनिवर्सल मल्टीपर्पज सोसाइटी लिमिटेड आदि एक तरह से पोंजी स्कीम चला रही थीं.
लोगों को ऊंचे रिटर्न और कमीशन का लालच देकर निवेश करवाया गया, लेकिन मैच्योरिटी के समय पैसे नहीं लौटाए गए. जबरदस्ती री-इंवेस्टमेंट करवाया गया और रिकॉर्ड में हेरफेर कर सच्चाई छिपाई गई.
बेनामी संपत्तियों, निजी खर्चों में इस्तेमाल
गंभीर बात यह है कि सहारा ग्रुप वित्तीय रूप से सक्षम न होते हुए भी लोगों से नए निवेश लेता रहा और इन पैसों को बेनामी संपत्तियों में लगाने या निजी खर्चों में उड़ाने में इस्तेमाल किया गया.
अब तक की कार्रवाई में ED ने 2.98 करोड़ रुपये की नकदी जब्त की है और दो अस्थायी कुर्की आदेश (Provisional Attachment Order) भी जारी किए हैं.
पहला आदेश 15 अप्रैल 2025 को जारी हुआ जिसमें एंबी वैली की 707 एकड़ जमीन (मूल्य 1460 करोड़) और दूसरा 23 अप्रैल 2025 को सहारा प्राइम सिटी की 1023 एकड़ जमीन (मूल्य 1538 करोड़) को कुर्क किया गया है.
ईडी की जांच फिलहाल जारी है और आने वाले दिनों में और गिरफ्तारियां और खुलासे हो सकते हैं.
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