नई दिल्ली:
सज्जन कुमार को 1984 के सिख विरोधी दंगों से संबंधित एक मामले में बरी किए जाने के खिलाफ दायर एक याचिका दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को मंजूर कर ली और कांग्रेस नेता कुमार व सीबीआई दोनों को नोटिस जारी कर दिए।
न्यायमूर्ति जीएस सिस्तानी और जीपी मित्तल की खंडपीठ ने सज्जन कुमार और सीबीआई दोनों से 27 अगस्त तक जवाब मांगा है।
दंगों में अपने रिश्तेदारों को गंवाने वाली जगदीश कौर और निरप्रीत कौर ने निचली अदालत के 30 अप्रैल के फैसले को रद्द करने की मांग की है। अपनी याचिका में उन्होंने कहा है कि निचली अदालत अपने फैसले में बड़ी संख्या में पेश कानूनी तौर पर स्वीकार्य साक्ष्यों को शामिल करने में विफल रहा है।
प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 31 अक्टूबर, 1984 को हुई हत्या के बाद भड़के दंगों में दिल्ली छावनी इलाके में पांच सिखों की हत्या के मामले में सज्जन कुमार को निचली अदालत ने 30 अप्रैल को बरी कर दिया था।
याचिका में कहा गया है कि निचली अदालत उन साक्ष्यों को स्वीकार करने में विफल रही, जो राजनगर में पांच सिखों की हत्या के मामले में सज्जन कुमार की भूमिका को साबित करने वाले थे।
निचली अदालत ने प्रत्यक्षदर्शी गवाह जगदीश कौर, जगशेर कौर और निरप्रीत कौर की गवाही पर ध्यान नहीं दिया। ये सभी दो नवंबर, 1984 को सज्जन कुमार की उपस्थिति और घृणास्पद भाषण के प्रत्यक्ष गवाह थे।
निचली अदालत ने पूर्व लोकसभा सदस्य सज्जन कुमार को तो बरी कर दिया, लेकिन पूर्व पार्षद बलवान खोकर, पूर्व विधायक महेंद्र यादव और किशन खोकर, गिरधारी लाल और कैप्टन भागमल को दोषी करार दिया था।
न्यायमूर्ति जीएस सिस्तानी और जीपी मित्तल की खंडपीठ ने सज्जन कुमार और सीबीआई दोनों से 27 अगस्त तक जवाब मांगा है।
दंगों में अपने रिश्तेदारों को गंवाने वाली जगदीश कौर और निरप्रीत कौर ने निचली अदालत के 30 अप्रैल के फैसले को रद्द करने की मांग की है। अपनी याचिका में उन्होंने कहा है कि निचली अदालत अपने फैसले में बड़ी संख्या में पेश कानूनी तौर पर स्वीकार्य साक्ष्यों को शामिल करने में विफल रहा है।
प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 31 अक्टूबर, 1984 को हुई हत्या के बाद भड़के दंगों में दिल्ली छावनी इलाके में पांच सिखों की हत्या के मामले में सज्जन कुमार को निचली अदालत ने 30 अप्रैल को बरी कर दिया था।
याचिका में कहा गया है कि निचली अदालत उन साक्ष्यों को स्वीकार करने में विफल रही, जो राजनगर में पांच सिखों की हत्या के मामले में सज्जन कुमार की भूमिका को साबित करने वाले थे।
निचली अदालत ने प्रत्यक्षदर्शी गवाह जगदीश कौर, जगशेर कौर और निरप्रीत कौर की गवाही पर ध्यान नहीं दिया। ये सभी दो नवंबर, 1984 को सज्जन कुमार की उपस्थिति और घृणास्पद भाषण के प्रत्यक्ष गवाह थे।
निचली अदालत ने पूर्व लोकसभा सदस्य सज्जन कुमार को तो बरी कर दिया, लेकिन पूर्व पार्षद बलवान खोकर, पूर्व विधायक महेंद्र यादव और किशन खोकर, गिरधारी लाल और कैप्टन भागमल को दोषी करार दिया था।
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