
- महाराष्ट्र में शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे के विरोध में उतरे किसान.
- 12 जिलों के किसान प्रोजेक्ट के खिलाफ प्रदर्शन में शामिल हैं.
- महाराष्ट्र सरकार ने 802 किमी लंबे एक्सप्रेसवे की मंजूरी दी थी जिस पर 20,787 करोड़ रुपये का खर्च आएगा.
- परियोजना के लिए 7,500 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा.
मंगलवार को महाराष्ट्र में किसानों ने शक्तिपीठ एक्सप्रेस-वे प्रोजेक्ट को लेकर विरोध प्रदर्शन किया. किसान इस मुद्दे को लेकर नाराज हैं. जिन 12 जिलों से एक्सप्रेसवे गुजरने वाला है, उनमें से कई हिस्सों के किसान प्रदर्शन में शामिल हैं. महाराष्ट्र विधानसभा के मॉनसून सत्र के दूसरे दिन इस मसले पर विपक्ष भी एकजुट है.
क्या है शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट विवाद?
महाराष्ट्र सरकार ने 24 जून को अहम फैसला लेते हुए 802 किलोमीटर लंबे शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे के लिए डिजाइन और भूमि अधिग्रहण की मंजूरी दी थी. इस परियोजना के लिए 7,500 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा. कोल्हापुर, बीड, सांगली, धाराशिव जैसे जिलों के किसान इस परियोजना के लिए भूमि सर्वेक्षण तक नहीं करने दे रहे हैं. ये कहते हुए की इस परियोजना से हज़ारों किसानों की खेती योग्य उपजाऊ जमीनों को नष्ट किया जा रहा है.
वर्धा, परभणी, यवतमाल, नांदेड, बीड, लातूर, हंगोली, धाराशिव, सोलापुर, सांगली, कोल्हापुर और सिंधुदुर्ग सहित 12 जिलों और 18 धार्मिक स्थलों को 'शक्तिपीठ महामार्ग' जोड़ेगा. इसके साथ ही 802 किलोमीटर लंबा एक्सप्रेसवे नागपुर से गोवा की यात्रा को 18 घंटे से घटाकर 8 घंटे कर देगा. परियोजना के लिए कुल अनुमानित लागत करीब 80,000 करोड़ बताई गई है.
हजारों करोड़ का निवेश
इस परियोजना के लिए सरकार ने कुल 20,787 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है. इस फैसले के बाद अब जिन जिलों से ये महामार्ग गुजरने वाला है, वहां के किसान नाराज हो गए हैं. शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे को लेकर विरोध पुराना है, इससे 2024 लोकसभा में हुए भारी नुक़सान के बाद, विधानसभा चुनाव से पहले प्रोजेक्ट को ठंडे बस्ते में रख दिया गया. लेकिन विधानसभा चुनाव के नतीजों में मिली बहुमत के बाद प्रोजेक्ट में फिर से जान भरी गई है.
अब अंदेशा है आनेवाले स्थानीय निकाय और नगर निगम चुनावों में किसानों की नाराजगी सरकार पर भारी पड़ सकती है. इस मंजूरी से कोल्हापुर से महायुति के ही मंत्री प्रकाश आबीटकर और हसन मुश्रीफ नाराज बताए जा रहे हैं. महायुति के महत्वाकांक्षी 'शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट' का उद्देश्य ज्योतिर्लिंगों, आध्यात्मिक, ऐतिहासिक स्थलों के अलावा प्रमुख तीर्थ स्थलों को जोड़ना है.
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