1984 सिख विरोधी दंगे को लेकर राजनीति कोई नई बात नहीं है, लेकिन 30 साल बीत जाने पर भी पीड़ितों को न तो पूरा इंसाफ मिल पाया है और न ही मुआवजा।
एनडीटीवी संवाददाता आशीष भार्गव ने इस मामले की पड़ताल की.... देखें वीडियो
अभी भी कितने ही पीड़ित हैं, जो मुआवजा पाने के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। उस पर मुआवजे को हड़पने वाले भी पीछे नहीं। एनडीटीवी इंडिया को कागजात भी मिले हैं कि किस तरह दिल्ली पुलिस के फर्जी कागजात तैयार कर पीड़ितों का मुआवजा हड़पने की कोशिश की गई।
अब पुलिस इस मामले की जांच कर रही है। हिंसा में करीब 3300 लोग मारे गए जबकि 2400 लोगों के परिवारों को मुआवजा मिला है पुलिस ने 254 एफआईआर दर्ज की थी, जिनमें से छह लोगों को सजा हो पाई है। पीएमओ के दखल के बाद पीड़ितों की जांच का जिम्मा दिल्ली पुलिस की एंटी रायट सेल को सौंपा गया था।
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