लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों का सभी बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. आजकल हर एक राउंड के वोट हम घर बैठे टीवी या फिर स्मार्टफोन पर देख सकते हैं, लेकिन सोचिए एक जमाना ऐसा भी था कि जब चुनाव में कौन जीता यह जानने के लिए अगले दिन के अखबारों की राह देखनी पड़ती थी. उस इंतजार को खत्म किया था “सत्यम शिवम सुन्दरम” कहकर कार्यक्रमों की शुरुआत करने वाले एक संस्थान ने. चलिए जानते हैं कि दूरदर्शन ने भारतीयों को कब और कैसे ‘चुनाव' दर्शन कराया.
जब भारत ने टीवी पर देखे चुनावी परिणाम
दूरदर्शन ने भारत के विशाल चुनावी मैदान में अपने कदम रखे. चुनावों में क्या हुआ और क्या नहीं इसकी जानकारी लोगों को मिलने लगी. 1971 का वह साल था जब दूरदर्शन पर पहली बार चुनाव के नतीजे साझा किए गए थे. परिणाम का लोगों तक तुरंत पहुंचना जरूरी भी था, क्योंकि यह चुनाव बड़ा रोमांचक और दिलचस्प था.
1971 का ऐतिहासिक चुनाव और कांग्रेस के दो गुट
1971 के चुनाव में कई राजनीतिक दल जरूर थे, लेकिन अहम बात असली कांग्रेस कौन वाली थी. पंडित नेहरू और लाल बहादुर शास्त्री के निधन के बाद कांग्रेस बिखर चुकी थी. कहा जाता है कि इंदिरा गांधी को कठपुतली बनाने की सोच रखने वाले के.कामराज को इंदिरा गांधी का स्वतंत्र रवैया जंच नहीं रहा था. कामराज की अगुवाई में कांग्रेस (O) यानी कांग्रेस ऑर्गनाइजेशन का एक गुट और इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस (I) यानी इंदिरा वाली कांग्रेस का अलग गुट बना था.
चुनाव के परिणाम इंदिरा गांधी वाली कांग्रेस के पक्ष में आए. 352 सांसद और 43.68% (वोट प्रतिशत) के विशाल बहुमत से इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बनी थीं.
दूरदर्शन की शुरुआत
दूरदर्शन की शुरुआत तो 15 सितंबर 1959 में हुई थी. शुरुआती दिनों में हमारे देश में टीवी होना अपने आप में एक आर्थिक रूप से सम्पन्न परिवार से होने की निशानी माना जाता था. दूरदर्शन और टीवी धीरे-धीरे भारत के लोगों तक पहुंचा. बता दें कि 1970 आने तक दूरदर्शन चुनाव और सरकारी प्रसारणों में माहिर हो चुका था.
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