पिछले 27 दिन से ज़िन्दगी और मौत के बीच झूल रहे 13 साल के विजय (बदला हुआ नाम) ने दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में सोमवार तड़के दम तोड़ दिया। उसने 26 नवंबर को एक पेट्रोल पंप से पेट्रोल लाकर फरीदाबाद स्थित अपने स्कूल के बाथरूम में ही खुद को आग के हवाले कर दिया था, और फिर उसे करीब 45 फीसदी जली हुई हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
मौत से पहले बच्चे ने पुलिस और अपने घरवालों को बयान दिया कि उसे स्कूल में संस्कृत की टीचर ताने मारती थी, और नौकर कहकर बुलाती थी, इसीलिए उसने आत्महत्या करने की बात सोची। उसकी मौत के बाद फरीदाबाद पुलिस ने स्कूल प्रशासन तथा आरोपी टीचर के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने तथा जेजे एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया है।
विजय के अस्पताल में दाखिल होने के बाद उसके परिवार ने बताया था कि एक महीना पहले अपने दादा की मौत के बाद से वह सदमे में था। दरअसल, अपने पिता को भी बचपन में ही खो चुके विजय का अपने दादा से काफी लगाव था। विजय के एक रिश्तेदार ने बताया कि पिछले छह महीने से वह बीमार चल रहे दादा की देखभाल में मां और भाई की मदद करने के कारण पढ़ाई में पिछड़ता जा रहा था।
विजय के परिजनों का कहना है कि उसके पिता की मौत 10 साल पहले हो गई थी, और उसके परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर थी। विजय की मां पार्लर चलाकर किसी तरह अपने दो बच्चों का पालन-पोषण कर रही थी। विजय बच्चा पढ़ाई में कुछ कमजोर था, जिसकी शिकायत स्कूल ने पहले भी की थी।
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