- चीफ जस्टिस बीआर गवई के छह महीने के कार्यकाल में अनुसूचित जाति के दस न्यायाधीशों की हाईकोर्ट में नियुक्ति हुई.
- इस अवधि में ओबीसी और पिछड़ा वर्ग के ग्यारह न्यायाधीशों को भी विभिन्न हाईकोर्ट्स में नियुक्त किया गया.
- CJI गवई के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने सरकार को 129 नाम सिफारिश किए, जिनमें से 93 को मंजूरी मिली.
देश के चीफ जस्टिस बीआर गवई के करीब छह महीने के कार्यकाल के दौरान देश के विभिन्न हाईकोर्ट्स में अनुसूचित जाति (एस) वर्ग के 10 न्यायाधीशों, जबकि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और पिछड़ा वर्ग (बीसी) के 11 न्यायाधीशों की नियुक्ति की गई. CJI गवई देश के पहले बौद्ध और दूसरे दलित प्रधान न्यायाधीश हैं. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम का नेतृत्व किया, जिसने विभिन्न हाई कोर्ट्स में जजों के रूप में नियुक्ति के लिए सरकार को 129 नामों की सिफारिश की, जिनमें से 93 नामों को मंजूरी दी गई.
ये भी पढ़ें- प्रेसिडेंशियल रेफरेंस, न्यायिक भर्ती... सीजेआई बीआर गवई के ये हैं 5 बड़े फैसले
सुप्रीम कोर्ट में हुईं इन 5 जजों की नियुक्तियां
CJI गवई के कार्यकाल के दौरान जिन सुप्रीम कोर्ट में जिन पांच जजों की नियक्तियां हुईं, उनमें जस्टिस एनवी अंजारिया, जस्टिस विजय बिश्नोई, जस्टिस एएस चंदुरकर, जस्टिस आलोक अराधे और जस्टिस विपुल मनुभाई पंचोली शामिल हैं.
अल्पसंख्यक समुदायों के 28 जजों की नियुक्ति
सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर 14 मई से लेकर अब तक अपलोड किए गए जजों के नियुक्ति संबंधी विवरण के मुताबिक, जब CJI गवई भारत के चीफ जस्टिस बने, उसके बाद सरकार की ओर से हाई कोर्ट्स में नियुक्ति के लिए मंजूर किए गए 93 नामों में अल्पसंख्यक समुदायों के 13 जजों और 15 महिला जजों के नाम शामिल थे.
विवरण के मताबिक, CJI गवई के कार्यकाल में जिन न्यायाधीशों की नियुक्ति को मंजूरी दी गई, उनमें से पांच पूर्व या सेवारत न्यायाधीशों से संबंधित हैं, जबकि 49 न्यायाधीश बार से नियुक्त किए गए और बाकी सेवा संवर्ग से हैं.
सीजेआई बीआर गवई ने दिए कई अहम फैसले
बता दें कि CJI गवई रविवार (23 नवंबर) को पदमुक्त हो जाएंगे. उनकी जगह पर जस्टिस सूर्यकांत 24 नवंबर को भारत के अगले प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे. भारत के 52वें सीजेआई बीआर गवई ने अपने छह महीने के कार्यकाल के दौरान कई अहम फैसले दिए हैं, जिनमें वक्फ कानून के प्रमुख प्रावधानों पर रोक लगाना, न्यायाधिकरण सुधार कानून को रद्द करना और केंद्र को परियोजनाओं को बाद में हरित मंजूरी देने की अनुमति देना शामिल हैं.
शुक्रवार को सीजेआई गवई का अंतिम कार्य दिवस था. वह न्यायमूर्ति केजी बालाकृष्णन के बाद भारतीय न्यायपालिका का नेतृत्व करने वाले दूसरे दलित न्यायाधीश थे. अपने अंतिम कार्य दिवस पर मिले सम्मान से अभिभूत सीजेआई गवई ने कहा कि वह एक वकील और न्यायाधीश के रूप में चार दशकों की यात्रा पूरी करने के बाद “पूर्ण संतुष्टि की भावना के साथ” तथा “न्याय के छात्र” के रूप में संस्थान छोड़ रहे हैं.
इनपुट- भाषा के साथ
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं