अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) की फाइल फोटो
लखनऊ:
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में पढ़ने वाले कश्मीरी छात्रों ने हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकवादी मन्नान बशीर वानी की नमाज-ए-जनाजा पढ़ने की कोशिश के दौरान देश विरोधी नारे लगाने के आरोप में अपने तीन साथियों पर दर्ज देशद्रोह का मुकदमा वापस नहीं लिये जाने की स्थिति में एएमयू छोड़ने की चेतावनी दी है. आपको बता दें कि हिजबुल मुजाहिदीन का आतंकवादी मनन वानी गुरुवार को कश्मीर के हंदवाड़ा में सुरक्षाबलों से मुठभेड़ में मारा गया था. वह एएमयू में पीएचडी का छात्र था. पिछली जनवरी में उसने सोशल मीडिया पर एके-47 रायफल के साथ अपनी तस्वीर डाली थी, जिसके बाद उसे विश्वविद्यालय से निष्कासित दिया गया था.
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एएमयू छात्र संघ के पूर्व उपाध्यक्ष सज्जाद राथर ने विश्वविद्यालय के कुलपति तारिक मंसूर को भेजे गये पत्र में कहा है कि अगर कश्मीरी छात्रों की छवि खराब करने की कोशिशें बंद नहीं हुईं तो एएमयू के 1200 से ज्यादा कश्मीरी छात्र आगामी 17 अक्टूबर को विश्वविद्यालय छोड़कर अपने-अपने घर लौट जाएंगे. उन्होंने पत्र में कहा है कि एएमयू प्रशासन की तरफ से इजाजत नहीं मिलने के बाद वानी की नमाज-ए-जनाजा पढ़ने का इरादा छोड़ दिया गया था. जब कोई जमात ही नहीं हुई तो तीन कश्मीर छात्रों पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया जाना केवल बदले और उत्पीड़न की कार्रवाई है. बड़ी संख्या में कश्मीरी छात्रों ने यह पत्र शनिवार रात एएमयू के प्रॉक्टर मोहसिन खान को दिया.
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इस बीच, एएमयू के प्रवक्ता प्रोफेसर शाफे किदवाई ने कश्मीरी छात्रों के उत्पीड़न के आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि किसी भी बेकसूर को नहीं फंसाया जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि एएमयू परिसर में किसी भी तरह की देशविरोधी गतिविधि को बरदाश्त नहीं किया जाएगा. मालूम हो कि एएमयू के निष्कासित छात्र आतंकवादी मन्नान वानी की नमाज-ए-जनाजा परिसर के अंदर पढ़ने की कोशिश के दौरान राष्ट्र विरोधी नारे लगाने के आरोप में गत 12 अक्टूबर को तीन कश्मीरी छात्रों वसीम मलिक, अब्दुल मीर तथा एक अज्ञात छात्र के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया था. इसके अलावा एएमयू प्रशासन ने नमाज ए जनाजा पढ़ने के लिए अवैध रूप से भीड़ इकट्ठा करने के मामले में विश्वविद्यालय के नौ छात्रों को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था.
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एएमयू के प्रवक्ता के मुताबिक, विश्वविद्यालय प्रशासन को गत 11 अक्टूबर को खबर मिली थी कि जम्मू-कश्मीर के रहने वाले कुछ छात्र केनेडी हॉल के पास एकत्र हुए हैं और वे वानी की नमाज-ए-जनाजा पढ़ने की फिराक में हैं. इस पर विश्वविद्यालय के सुरक्षा कर्मी मौके पर पहुंचे. इसी बीच, एएमयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष फैजुल हसन ने हस्तक्षेप करते हुए कश्मीरी छात्रों को यह नमाज पढ़ने से रोका. उन्होंने बताया कि छात्र संघ नेताओं ने कहा कि एक आतंकवादी के जनाजे की नमाज पढ़ना स्वीकार्य नहीं है और कश्मीरी छात्रों को ऐसा नहीं करने दिया जाएगा. एएमयू सुरक्षा स्टाफ ने भी उन्हें रोका. इस पर दोनों पक्षों के बीच तीखी बहस भी हुई, लेकिन कुछ देर बाद कश्मीरी छात्र वहां से चले गये. ज्ञातव्य है कि हिज्बुल मुजाहिदीन का आतंकवादी मन्नान वानी गुरुवार को कश्मीर के हंदवाड़ा में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में मारा गया था. वह एएमयू में पीएचडी का छात्र था. पिछली जनवरी में उसने सोशल मीडिया पर एके-47 रायफल के साथ अपनी तस्वीर डाली थी, जिसके बाद उसे विश्वविद्यालय से निकाल दिया गया था.
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एएमयू छात्र संघ के पूर्व उपाध्यक्ष सज्जाद राथर ने विश्वविद्यालय के कुलपति तारिक मंसूर को भेजे गये पत्र में कहा है कि अगर कश्मीरी छात्रों की छवि खराब करने की कोशिशें बंद नहीं हुईं तो एएमयू के 1200 से ज्यादा कश्मीरी छात्र आगामी 17 अक्टूबर को विश्वविद्यालय छोड़कर अपने-अपने घर लौट जाएंगे. उन्होंने पत्र में कहा है कि एएमयू प्रशासन की तरफ से इजाजत नहीं मिलने के बाद वानी की नमाज-ए-जनाजा पढ़ने का इरादा छोड़ दिया गया था. जब कोई जमात ही नहीं हुई तो तीन कश्मीर छात्रों पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया जाना केवल बदले और उत्पीड़न की कार्रवाई है. बड़ी संख्या में कश्मीरी छात्रों ने यह पत्र शनिवार रात एएमयू के प्रॉक्टर मोहसिन खान को दिया.
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इस बीच, एएमयू के प्रवक्ता प्रोफेसर शाफे किदवाई ने कश्मीरी छात्रों के उत्पीड़न के आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि किसी भी बेकसूर को नहीं फंसाया जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि एएमयू परिसर में किसी भी तरह की देशविरोधी गतिविधि को बरदाश्त नहीं किया जाएगा. मालूम हो कि एएमयू के निष्कासित छात्र आतंकवादी मन्नान वानी की नमाज-ए-जनाजा परिसर के अंदर पढ़ने की कोशिश के दौरान राष्ट्र विरोधी नारे लगाने के आरोप में गत 12 अक्टूबर को तीन कश्मीरी छात्रों वसीम मलिक, अब्दुल मीर तथा एक अज्ञात छात्र के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया था. इसके अलावा एएमयू प्रशासन ने नमाज ए जनाजा पढ़ने के लिए अवैध रूप से भीड़ इकट्ठा करने के मामले में विश्वविद्यालय के नौ छात्रों को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था.
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एएमयू के प्रवक्ता के मुताबिक, विश्वविद्यालय प्रशासन को गत 11 अक्टूबर को खबर मिली थी कि जम्मू-कश्मीर के रहने वाले कुछ छात्र केनेडी हॉल के पास एकत्र हुए हैं और वे वानी की नमाज-ए-जनाजा पढ़ने की फिराक में हैं. इस पर विश्वविद्यालय के सुरक्षा कर्मी मौके पर पहुंचे. इसी बीच, एएमयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष फैजुल हसन ने हस्तक्षेप करते हुए कश्मीरी छात्रों को यह नमाज पढ़ने से रोका. उन्होंने बताया कि छात्र संघ नेताओं ने कहा कि एक आतंकवादी के जनाजे की नमाज पढ़ना स्वीकार्य नहीं है और कश्मीरी छात्रों को ऐसा नहीं करने दिया जाएगा. एएमयू सुरक्षा स्टाफ ने भी उन्हें रोका. इस पर दोनों पक्षों के बीच तीखी बहस भी हुई, लेकिन कुछ देर बाद कश्मीरी छात्र वहां से चले गये. ज्ञातव्य है कि हिज्बुल मुजाहिदीन का आतंकवादी मन्नान वानी गुरुवार को कश्मीर के हंदवाड़ा में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में मारा गया था. वह एएमयू में पीएचडी का छात्र था. पिछली जनवरी में उसने सोशल मीडिया पर एके-47 रायफल के साथ अपनी तस्वीर डाली थी, जिसके बाद उसे विश्वविद्यालय से निकाल दिया गया था.
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