बेंगलुरु:
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा को एक बार फिर कर्नाटक की कमान सौंपी जा सकती है। बीजेपी सूत्रों के हवाले से मिली खबर के मुताबिक येदियुरप्पा आज दिल्ली आ रहे हैं जिसके बाद इस पर अंतिम फैसला लिया जाएगा।
येदियुरप्पा ने अपने समर्थक विधायकों के साथ पिछले कुछ दिनों से मोर्चा खोल रखा है। येदियुरप्पा के समर्थन में करीब 65 विधायक और 10 से ज्यादा सांसद हैं जो उन्हें मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर रहे हैं।
इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के साथ अस्थायी समझौते के संकेत देते हुए बजट को सुचारु रूप से पारित होने के लिए अपने समर्थकों के साथ विधानसभा में मौजूद रहने पर राजी हो गए थे। पार्टी में येदियुरप्पा के एक करीबी नेता ने बताया, बजट की एक निश्चित पवित्रता होती है और इसे बरकरार रखा जाना चाहिए, इसलिए येदियुरप्पा ने बजट पास होने तक विधानसभा में मौजूद रहने रहने का फैसला किया था।
उल्लेखनीय है कि येदियुरप्पा समर्थकों की बैठक के बाद जल संसाधन मंत्री बसवराज बोम्मई ने मंगलवार को घोषणा की थी कि उन्होंने कल बजट सत्र में हिस्सा लेने का फैसला किया है, जब मुख्यमंत्री डीवी सदानंद गौड़ा बजट पेश करेंगे। दरअसल येदियुरप्पा अपने समर्थक विधायकों के साथ पिछले सप्ताह से ही बेंगलुरू के बाहरी इलाके में स्थित एक पांच-सितारा रिसॉर्ट में रह रहे हैं। उनका दावा है कि राज्य के 66 विधायक और 12 सांसद उनका समर्थन कर रहे हैं। गौरतलब है कि येदियुरप्पा को उनके लिंगायत समुदाय का बहुत बड़ा समर्थन मिलता रहा है और उन्हें राज्य में भाजपा को मजबूत आधार दिलाने वाला व्यक्ति माना जाता है। माना जा रहा है कि भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए उन्हें दोबारा मुख्यमंत्री बनाने पर विचार कर रहा है।
बोम्मई ने कहा था कि भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी और वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने येदियुरप्पा से बातचीत की और उन्हें आश्वासन दिया कि कर्नाटक संकट के हल के लिए यथासंभव फैसला किया जाएगा जिसके बाद वे बहिष्कार खत्म करने पर राजी हुए।
बोम्मई ने कहा था, सकारात्मक आश्वासन के आलोक में हमने बजट सत्र में हिस्सा लेने का फैसला किया। हमने इस बात को महसूस किया कि बजट हमारे लिए और राज्य की जनता के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने बजट के बहिष्कार के पिछले फैसले का बचाव करते हुए यह भी कहा था कि वह बजट का असम्मान नहीं था, बस, येदियुरप्पा के पास संख्याबल के बारे में कुछ दुष्प्रचार को दूर करने के लिए ऐसा किया गया था। बोम्मई के मुताबिक गडकरी ने फोन पर बातचीत में येदियुरप्पा से कहा था कि पार्टी सारी स्थिति, उन्हें प्राप्त समर्थन और उनकी राजनीतिक ताकत से अवगत है।
येदियुरप्पा ने अपने समर्थक विधायकों के साथ पिछले कुछ दिनों से मोर्चा खोल रखा है। येदियुरप्पा के समर्थन में करीब 65 विधायक और 10 से ज्यादा सांसद हैं जो उन्हें मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर रहे हैं।
इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के साथ अस्थायी समझौते के संकेत देते हुए बजट को सुचारु रूप से पारित होने के लिए अपने समर्थकों के साथ विधानसभा में मौजूद रहने पर राजी हो गए थे। पार्टी में येदियुरप्पा के एक करीबी नेता ने बताया, बजट की एक निश्चित पवित्रता होती है और इसे बरकरार रखा जाना चाहिए, इसलिए येदियुरप्पा ने बजट पास होने तक विधानसभा में मौजूद रहने रहने का फैसला किया था।
उल्लेखनीय है कि येदियुरप्पा समर्थकों की बैठक के बाद जल संसाधन मंत्री बसवराज बोम्मई ने मंगलवार को घोषणा की थी कि उन्होंने कल बजट सत्र में हिस्सा लेने का फैसला किया है, जब मुख्यमंत्री डीवी सदानंद गौड़ा बजट पेश करेंगे। दरअसल येदियुरप्पा अपने समर्थक विधायकों के साथ पिछले सप्ताह से ही बेंगलुरू के बाहरी इलाके में स्थित एक पांच-सितारा रिसॉर्ट में रह रहे हैं। उनका दावा है कि राज्य के 66 विधायक और 12 सांसद उनका समर्थन कर रहे हैं। गौरतलब है कि येदियुरप्पा को उनके लिंगायत समुदाय का बहुत बड़ा समर्थन मिलता रहा है और उन्हें राज्य में भाजपा को मजबूत आधार दिलाने वाला व्यक्ति माना जाता है। माना जा रहा है कि भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए उन्हें दोबारा मुख्यमंत्री बनाने पर विचार कर रहा है।
बोम्मई ने कहा था कि भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी और वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने येदियुरप्पा से बातचीत की और उन्हें आश्वासन दिया कि कर्नाटक संकट के हल के लिए यथासंभव फैसला किया जाएगा जिसके बाद वे बहिष्कार खत्म करने पर राजी हुए।
बोम्मई ने कहा था, सकारात्मक आश्वासन के आलोक में हमने बजट सत्र में हिस्सा लेने का फैसला किया। हमने इस बात को महसूस किया कि बजट हमारे लिए और राज्य की जनता के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने बजट के बहिष्कार के पिछले फैसले का बचाव करते हुए यह भी कहा था कि वह बजट का असम्मान नहीं था, बस, येदियुरप्पा के पास संख्याबल के बारे में कुछ दुष्प्रचार को दूर करने के लिए ऐसा किया गया था। बोम्मई के मुताबिक गडकरी ने फोन पर बातचीत में येदियुरप्पा से कहा था कि पार्टी सारी स्थिति, उन्हें प्राप्त समर्थन और उनकी राजनीतिक ताकत से अवगत है।
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