
यशवंत का छलका दर्द, पीएम मोदी ने सालभर से मिलने का समय नहीं दिया
नई दिल्ली:
यशवंत सिन्हा ने बुधवार को लेख लिखकर अर्थव्यवस्था के बहाने केंद्र सरकार पर जो हमला किया, उसे गुरुवार को भी जारी रखा. दिलचस्प ये है कि गुरुवार को एक लेख उनके बेटे जयंत सिन्हा ने भी लिखा और ये बताने की कोशिश की कि यशवंत जिन फ़ैसलों की आलोचना कर रहे हैं, वो बिल्कुल नई दिशा देने वाले हैं.
बुधवार को लेख लिखने के बाद यशवंत सिन्हा गुरुवार को टीवी चैनलों पर भी आ गए. उन्होंने दो टूक कहा- अर्थव्यवस्था संकट में है, पॉलिसी पैरालिसिस भी है और नोटबंदी और जीएसटी से जनता को एक के बाद एक झटके लगे हैं. एनडीटीवी से खास बातचीत में उन्होंने कहा, "मैं जीएसटी की डिज़ाइन से सहमत नहीं हूं, ना ही जीएसटी रेट स्लैब से सहमत हूं."
अहम बात ये है कि इसके पहले यशवंत सिन्हा के बेटे और मौजूदा नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने सरकार की ओर से मोर्चा संभाला. टाइम्स ऑफ इंडिया में लेख लिखकर उन्होंने बताया कि सरकार की आर्थिक नीतियों पर हमले तथ्य से परे हैं. एक-दो तिमाहियों से नतीजे निकालना ठीक नहीं है. नोटबंदी, जीएसटी और डिजिटल भुगतान बिल्कुल गेम चेंजर हैं और ढांचागत सुधारों का जल्द असर दिखेगा.
यशवंत सिन्हा मोदी सरकार पर फिर भड़के- 40 महीने से सरकार में हो, UPA को दोष नहीं दे सकते
लेकिन बुधवार का लेख लिखकर यशवंत सिन्हा जैसे संतुष्ट नहीं हुए. उस लेख पर सरकार की ओर से आ रहे जवाबों पर भी उन्होंने तंज किया.
यशवंत सिन्हा ने कहा, "पीयूष गोयल और राजनाथ सिंह शायद मुझसे बेहतर अर्थशास्त्र जानते हैं. वो मानते हों तो भारत दुनिया की अर्थव्यवस्था का मेरुदंड है." यशवंत सिन्हा से जब एनडीटीवी इंडिया ने ये पूछा कि उन्होंने पार्टी फोरम पर यह बात क्यों नहीं रखी तो उनकी तल्खी खुल कर सामने आ गई. इस बार उनके निशाने पर सीधे प्रधानमंत्री मोदी दिखे.
मोदी सरकार पर हमले लगातार जारी, अब शिवसेना बोली- विकास तो पागल हो गया
यशवंत सिन्हा ने एनडीटीवी से कहा, "पार्टी या सरकार में मैं किस प्लैटफॉर्म पर अपनी बात रखता? कोई मंच नहीं है बीजेपी में जहां कोई अपनी बात रख सके. मैंने पिछले साल पीएम से समय मांगा था लेकिन आज तक समय नहीं मिला. ऐसे में मैं क्या प्रधानमंत्री के घर पर धरने पर बैठ जाता?''
जाहिर है, यशवंत सिन्हा ने जो गोला-बारूद मुहैया कराया है वो विपक्ष को ख़ासा रास आ रहा है. कांग्रेस लगातार सरकर पर हमला बोल रही है. ख़ास बात ये है कि बीजेपी और सरकार के असंतुष्ट भी इस मौक़े का इस्तेमाल कर रहे हैं. केंद्र और महाराष्ट्र में सरकार में शामिल शिवसेना के मुखपत्र सामना में यशवंत सिन्हा की बात का समर्थन करते हुए लिखा गया कि पूरे देश का विकास पागल हो गया है. जाहिर है, गुजरात से चले जुमले से शिवसेना ने केंद्र सरकार को लपेटा है. शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत ने कहा, 'सरकार यशवंत सिन्हा और शत्रुघ्न सिन्हा जो सवाल उठा रहे हैं उन्हें सरकार को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिये."
बचाव में उतरे शत्रुघ्न सिन्हा ने यशवंत सिन्हा को बताया- जांचा-परखा बुद्धिमान व्यक्ति
बीजेपी के पुराने असंतुष्ट शत्रुघ्न सिन्हा भी यशवंत सिन्हा के पक्ष में ट्विटर पर सक्रिय हो गए. साफ़ है कि यशवंत के हमले से सरकार और बीजेपी घिरी हुई है. ये तय करना मुश्किल है कि पिता और पुत्र का अलग-अलग रुख़ दोनों की सोची-समझी रणनीति है या वाकई हालात पर अलग-अलग नज़रिया.
फिलहाल यशवंत सिन्हा ये अच्छी तरह से समझते हैं कि कमज़ोर पड़ती अर्थव्यवस्था मोदी सरकार की सबसे कमज़ोर कड़ी है, और उनकी तरफ से उठाए जा रहे सवालों को लंबे समय तक नज़रअंदाज़ करना सरकार के लिए बेहद मुश्किल होगा.
बुधवार को लेख लिखने के बाद यशवंत सिन्हा गुरुवार को टीवी चैनलों पर भी आ गए. उन्होंने दो टूक कहा- अर्थव्यवस्था संकट में है, पॉलिसी पैरालिसिस भी है और नोटबंदी और जीएसटी से जनता को एक के बाद एक झटके लगे हैं. एनडीटीवी से खास बातचीत में उन्होंने कहा, "मैं जीएसटी की डिज़ाइन से सहमत नहीं हूं, ना ही जीएसटी रेट स्लैब से सहमत हूं."
अहम बात ये है कि इसके पहले यशवंत सिन्हा के बेटे और मौजूदा नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने सरकार की ओर से मोर्चा संभाला. टाइम्स ऑफ इंडिया में लेख लिखकर उन्होंने बताया कि सरकार की आर्थिक नीतियों पर हमले तथ्य से परे हैं. एक-दो तिमाहियों से नतीजे निकालना ठीक नहीं है. नोटबंदी, जीएसटी और डिजिटल भुगतान बिल्कुल गेम चेंजर हैं और ढांचागत सुधारों का जल्द असर दिखेगा.
यशवंत सिन्हा मोदी सरकार पर फिर भड़के- 40 महीने से सरकार में हो, UPA को दोष नहीं दे सकते
लेकिन बुधवार का लेख लिखकर यशवंत सिन्हा जैसे संतुष्ट नहीं हुए. उस लेख पर सरकार की ओर से आ रहे जवाबों पर भी उन्होंने तंज किया.
यशवंत सिन्हा ने कहा, "पीयूष गोयल और राजनाथ सिंह शायद मुझसे बेहतर अर्थशास्त्र जानते हैं. वो मानते हों तो भारत दुनिया की अर्थव्यवस्था का मेरुदंड है." यशवंत सिन्हा से जब एनडीटीवी इंडिया ने ये पूछा कि उन्होंने पार्टी फोरम पर यह बात क्यों नहीं रखी तो उनकी तल्खी खुल कर सामने आ गई. इस बार उनके निशाने पर सीधे प्रधानमंत्री मोदी दिखे.
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यशवंत सिन्हा ने एनडीटीवी से कहा, "पार्टी या सरकार में मैं किस प्लैटफॉर्म पर अपनी बात रखता? कोई मंच नहीं है बीजेपी में जहां कोई अपनी बात रख सके. मैंने पिछले साल पीएम से समय मांगा था लेकिन आज तक समय नहीं मिला. ऐसे में मैं क्या प्रधानमंत्री के घर पर धरने पर बैठ जाता?''
जाहिर है, यशवंत सिन्हा ने जो गोला-बारूद मुहैया कराया है वो विपक्ष को ख़ासा रास आ रहा है. कांग्रेस लगातार सरकर पर हमला बोल रही है. ख़ास बात ये है कि बीजेपी और सरकार के असंतुष्ट भी इस मौक़े का इस्तेमाल कर रहे हैं. केंद्र और महाराष्ट्र में सरकार में शामिल शिवसेना के मुखपत्र सामना में यशवंत सिन्हा की बात का समर्थन करते हुए लिखा गया कि पूरे देश का विकास पागल हो गया है. जाहिर है, गुजरात से चले जुमले से शिवसेना ने केंद्र सरकार को लपेटा है. शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत ने कहा, 'सरकार यशवंत सिन्हा और शत्रुघ्न सिन्हा जो सवाल उठा रहे हैं उन्हें सरकार को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिये."
बचाव में उतरे शत्रुघ्न सिन्हा ने यशवंत सिन्हा को बताया- जांचा-परखा बुद्धिमान व्यक्ति
बीजेपी के पुराने असंतुष्ट शत्रुघ्न सिन्हा भी यशवंत सिन्हा के पक्ष में ट्विटर पर सक्रिय हो गए. साफ़ है कि यशवंत के हमले से सरकार और बीजेपी घिरी हुई है. ये तय करना मुश्किल है कि पिता और पुत्र का अलग-अलग रुख़ दोनों की सोची-समझी रणनीति है या वाकई हालात पर अलग-अलग नज़रिया.
फिलहाल यशवंत सिन्हा ये अच्छी तरह से समझते हैं कि कमज़ोर पड़ती अर्थव्यवस्था मोदी सरकार की सबसे कमज़ोर कड़ी है, और उनकी तरफ से उठाए जा रहे सवालों को लंबे समय तक नज़रअंदाज़ करना सरकार के लिए बेहद मुश्किल होगा.
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