
वाजपेयी सरकार में कैबिनेट मंत्री और अब बीजेपी के बागी नेता यशवंत सिन्हा ने झारखंड के हजारीबाग में अपना वोट डाला. उनके साथ उनकी पत्नी भी थीं. हजारीबाग सीट से बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री और यशवंत सिन्हा के बेटे जयंत को टिकट दिया है. जयंत यहां से निर्वतमान सांसद हैं. हजारीबाग में इस बात की चर्चा है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने किसे वोट दिया होगा. क्योंकि सिन्हा मोदी सरकार के घोर निंदकों में से एक हैं. नोटबंदी, जीएसटी, राफेल के मुद्दे पर उन्होंने पीएम मोदी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है तो दूसरी ओर उनके बेट जयंत सिन्हा मोदी सरकार में ही मंत्री हैं जो इन्हीं मुद्दों पर पार्टी की ओर से मीडिया में अपनी राय रखते रहे हैं. हालांकि यशवंत सिन्हा पर इन बातों का कोई फर्क नहीं पड़ा और उनके हमले वक्त के साथ तीखे होते गए. आपको यह भी बता दें कि यशवंत सिन्हा हजारीबाग सीट से बीजेपी की टिकट से सांसद भी रहे हैं. बीती 10 फरवरी को गुवाहाटी में आयोजित के एक कार्यक्रम में यशवंत सिन्हा ने लोगों से अपील की कि वे आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा को ‘‘एक भी सीट नहीं दें.''सिन्हा ने कहा, ‘‘आप चिंतित हैं कि राज्यसभा में नागरिकता (संशोधन) विधेयक पारित होगा कि नहीं. मेरा मानना है कि इस समय यह पूर्वोत्तर की सबसे बड़ी चिंता है. मैंने जिनसे भी बात की है, वे इसे पारित नहीं होने देना चाहते. लिहाजा, मैं नहीं समझता कि सरकार इस विधेयक को पारित करने की हिम्मत दिखाएगी. उन्होंने कहा, ‘‘यह विधेयक पारित नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि यह हर पहलू से गलत है.
मोदी सरकार के खिलाफ रहने वाले यशवंत सिन्हा देंगे बेटे को वोट? जानें जयंत सिन्हा ने क्या कहा
Hazaribagh: Former Union Min Yashwant Sinha & wife Nilima Sinha arrive at a polling booth to cast vote for #LokSabhaElections2019 . His son & Union Minister Jayant Sinha is contesting against Congress' Gopal Sahu & CPI's Bhubneshwar Prasad Mehta from the constituency. #Jharkhand pic.twitter.com/r0F9V9Fffr
— ANI (@ANI) May 6, 2019
सिन्हा ने कहा कि नागरिकता (संशोधन) विधेयक संवैधानिक, नैतिक, कानूनी और समानता के पहलू से तो गलत है ही, ‘‘देश के मूल्यों के भी खिलाफ'' है. इसी कार्यक्रम में सिन्हा ने यह भी दावा किया कि मोदी सरकार वृद्धि के आंकड़ों सहित हर आर्थिक आंकड़े में ‘‘हेरफेर'' करती है और विकास की ‘‘गलत तस्वीर'' पेश करती है. उन्होंने राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के दो सदस्यों के हालिया इस्तीफे की तरफ इशारा करते हुए आंकड़ों की प्रामाणिकता का मुद्दा उठाया। सिन्हा ने कहा कि मौजूदा सरकार के शासन में सबसे अधिक प्रभावित कोई संस्था है तो वह मीडिया है.
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